
विश्व शौचालय दिवस पर जहां स्वच्छता और सार्वजनिक सुविधाओं को मजबूत करने की बातें हो रही हैं, वहीं सरहदी जिले के प्रवेश द्वार पोकरण की स्थिति बेहद चिंताजनक है।
कस्बे के मुख्य चौराहों और आसपास क्षेत्रों में सार्वजनिक शौचालयों की भारी कमी के कारण विशेषकर महिलाओं को गंभीर असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि जहां एक-दो स्थानों पर शौचालय बने भी हैं, वे सफाई के अभाव में गंदगी व कचरे से अटे पड़े हैं, जिनके पास से गुजरना भी मुश्किल हो जाता है। पोकरण को जैसलमेर का मुख्य प्रवेश द्वार माना जाता है। प्रतिवर्ष जैसलमेर जाने वाले लाखों पर्यटकों में से करीब 90 प्रतिशत पर्यटक इसी कस्बे से होकर गुजरते हैं। इसके अलावा रामदेवरा में बाबा रामदेव की समाधि पर दर्शन करने आने वाले 50 लाख से अधिक श्रद्धालु भी इसी मार्ग से आवागमन करते हैं। जैसलमेर और रामदेवरा से लौटने वाले पर्यटक भी इसी मार्ग से वापस जाते हैं, जिससे कस्बे में आवाजाही लगातार बढ़ी रहती है।
फलसूंड रोड तिराहा से जैसलमेर रोड मदरसा तक का मार्ग सबसे व्यस्त क्षेत्रों में शामिल है। यही मार्ग स्थानीय जन, आसपास के ग्रामीणों, जैसलमेर, फलोदी और रामदेवरा जाने वालों के लिए प्रमुख है। इस क्षेत्र में राजकीय जिला अस्पताल, केंद्रीय बस स्टैंड, एसडीएम कार्यालय, तहसील, नगरपालिका, दो बड़े मदरसे, होटल-रेस्टोरेंट और सैकड़ों दुकानें स्थित हैं। फिर भी यहां सार्वजनिक शौचालयों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। हालांकि एक-दो स्थानों पर पोर्टेबल शौचालय रखे गए हैं, लेकिन सफाई न होने के कारण वे पूरी तरह बेकार हो चुके हैं।
यहां एक गैस एजेंसी के पास एक पोर्टेबल और दो सीमेंटेड शौचालय मौजूद हैं, लेकिन सफाई तंत्र ठप होने के कारण वे कचरे और गंदगी से भरे हुए हैं। उपखंड अधिकारी कार्यालय परिसर में स्थित शौचालय भी दुर्गंध और कचरे के कारण उपयोग योग्य नहीं है। ऐसे में पिंक टॉयलेट जैसी अवधारणा केवल कागजों तक ही नजर आती है।
शौचालयों की अनुपलब्धता का सबसे अधिक परेशान महिलाएं हैं। मजबूरी में उन्हें खुले में जाने तक की स्थिति बन जाती है, जो न केवल असुरक्षित है बल्कि गरिमा के भी विरुद्ध है। स्थानीय महिलाओं और आमजन की शिकायतों के बावजूद नगरपालिका इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठा पा रही है।
-मनीष पुरोहित, नगरपालिका अध्यक्ष, पोकरण
Published on:
18 Nov 2025 11:45 pm

