
Asiatic Caracal Cat: पोकरण (जैसलमेर): भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे सरहदी जिले के रामगढ़ क्षेत्र में दुर्लभ प्रजाति की एशियाटिक कैराकल बिल्ली नजर आई है। अनुमान है कि यहां कैराकल के लगभग 10 जोड़े हैं।
गौरतलब है कि रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाई जाने वाली इस प्रजाति की संख्या पिछले कुछ वर्षों में लगातार घटती जा रही है। इसी गिरावट के कारण एशियाटिक कैराकल को गंभीर संकटग्रस्त प्रजाति की श्रेणी में शामिल किया गया है। जैसलमेर के वन्यजीव प्रेमी सुमेर सिंह भाटी और पंकज विश्नोई ने एशियाटिक कैराकल के फोटो पत्रिका को उपलब्ध करवाए हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह थार में कैराकल की वापसी का संकेत है। यदि संरक्षण के प्रयासों के साथ इनके प्राकृतिक आवास को बचाने की दिशा में कदम बढ़ाए तो इनकी संख्या में बढ़ोतरी की संभावना है।
-इसके कान लंबे होते हैं और काले फर से ढके रहते हैं। कानों के सिरे पर मौजूद लंबे काले बाल इसे सुंदर और विशिष्ट बनाते हैं।
-कैराकल हवा में लगभग तीन मीटर तक उछल सकती है, जो दुनिया की बहुत कम बिल्लियों में पाई जाने वाली क्षमता है। यह उड़ते पक्षियों को भी झपटकर पकड़ लेती है।

-यह इंसानी गतिविधियों से दूर रहती है और जमीन पर कम निशान छोड़ता है।
-इसका शरीर पतला और एथलेटिक होता है। जो इसे रेत, झाड़ियों और घास वाले क्षेत्रों में तेजी से घूमने-फिरने में सक्षम बनाता है।
-कैराकल बेहद कम पानी में भी जीवित रह सकती है। इसे अधिकांश नमी अपने शिकार से ही मिल जाती है।
-एशियाटिक कैराकल शांत और छिपकर रहने वाली बिल्ली है। इसकी जीवनशैली अत्यंत गुप्त होती है।
Updated on:
19 Nov 2025 11:59 am
Published on:
19 Nov 2025 09:40 am

