
जैसलमेर जिले के नेहड़ाई गांव में एटीएम को उठा कर ले जाने की सनसनीखेज वारदात के बाद जिले में एटीएम बूथों की सुरक्षा का मसला नए सिरे से खड़ा हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों की सुरक्षा की बात तो दूर की है, स्वयं जैसलमेर जिला मुख्यालय पर ही अधिकांश एटीएम पर सुरक्षा के बुनियादी नियमों का पालन नहीं हो रहा है। शहर में कई बैंक शाखाओं के एटीएम बिना गार्ड के चल रहे हैं। केवल बैंकों में स्थापित एटीएम में ही बैंक के गार्ड होने से सुरक्षा की थोड़ी बहुत व्यवस्था है। एटीएम कक्षों के बाहर कैमरे तो अवश्य लगे हैं, लेकिन उनकी समय-समय पर सम्भाल भी होती है या नहीं, यह बड़ा सवाल है। जानकारी के अनुसार अलार्म सिस्टम भी ऐसे नहीं हैं, जिनका जुड़ाव संबंधित पुलिस थाना या बैंक प्रबंधन तक हो। इस लापरवाही से आम जनता के साथ-साथ बैंकों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। इस बीच यह जानकारी भी मिली है कि एटीएम में गार्ड लगाने के लिए लम्बे समय से कवायद नहीं की गई हैं। पत्रिका टीम ने शिव मार्ग, कलेक्ट्रेट के बाहर, हनुमान चौराहा, तालरिया पाड़ा, ढिब्बा पाड़ा आदि जैसे अहम स्थलों पर स्थापित राष्ट्रीयकृत व निजी बैंकों के एटीएम की सुरक्षा व्यवस्थाओं की हकीकत जानी तो हालात निराशाजनक मिले। शहर में विभिन्न बैंकों के करीब डेढ़ दर्जन एटीएम केंद्र स्थापित हैं। अधिकांश एटीएम बिना गार्ड के रात भर खुले रहते हैं और वहां किसी तरह की अवांछनीय गतिविधि को रोकने वाला कोई नहीं होता।
जानकारी के अनुसार प्रत्येक एटीएम का संबंधित बैंक की तरफ से सुरक्षा बीमा करवाया जाता है। ऐसा करने से बैंक प्रबंधन एक तरह से निश्चिंत हो जाते हैं कि एटीएम लूट या किसी अन्य तरह की वारदात होने पर उन्हें बीमा कवर मिल जाएगा। यही कारण है कि लम्बे समय से शाखाओं से दूर स्थापित एटीएम में सुरक्षा गार्ड नहीं हैं और जहां गार्ड लगे भी हैं, उनमें से बहुत कम के पास ही आवश्यक हथियार होते हैं। ऐसे केंद्रों में रैकी करने के बाद शातिर चोरों को वारदात करने का अवसर मिल जाता है। एटीएम में गार्ड नहीं होने से शातिर बदमाशों को कई बार अनभिज्ञ एटीएम कार्डधारकों के साथ ठगी करने का मौका भी मिल जाता है।
Published on:
09 Nov 2025 11:32 pm

