
केंद्र सरकार की योजना के तहत आरंभ किए गए आयुष्मान आरोग्य मंदिर आमजन को उनके निकट बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के उद्देश्य से स्थापित किए गए थे, लेकिन इन केंद्रों पर जांच उपकरणों की कमी के कारण मरीजों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। इन आरोग्य मंदिरों में सामान्य बीमारियों का उपचार और टीकाकरण की सुविधा तो उपलब्ध है, परंतु कई अहम जांचें और इंजेक्शन सुविधाएं नहीं होने से मरीजों को जिला अस्पताल तक जाना पड़ता है।
जिले में जैसलमेर के दुर्ग, गांधी कॉलोनी, रेंवतसिंह की ढाणी, बबर मगरा, सोनाराम की ढाणी, पुलिस लाइन और हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में सात आरोग्य मंदिर संचालित हैं, जबकि पोकरण के सालमसागर तालाब, भवानीपुरा और शिवपुरा में तीन केंद्र कार्यरत हैं। इन सभी में स्टाफ की संख्या तो पूरी है, लेकिन जांच और सर्जिकल सुविधाओं का अभाव प्रमुख समस्या बनी हुई है।
आरोग्य मंदिरों में सात- सात पद स्वीकृत हैं — एक चिकित्साधिकारी, एक फार्मासिस्ट, दो जीएनएम, एक एएनएम, एक हेल्पर और एक स्वीपर। इसके बावजूद जांच सुविधाएं सीमित हैं। यहां बीपी, शुगर, हिमोग्लोबिन और मलेरिया जैसी कार्ड आधारित जांचें ही संभव हैं। सीबीसी सहित अन्य जरूरी जांचों के लिए मरीजों को जिला अस्पताल भेजा जाता है। ऐसे ही कई केंद्रों पर अहम इंजेक्शनों के लिए कोल्ड चैन की व्यवस्था नहीं होने से यह सुविधा उपलब्ध नहीं है।
इन केंद्रों में सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक स्टाफ उपलब्ध रहता है। सुविधाओं के अभाव में मरीज इन आरोग्य मंदिरों की बजाय सीधे जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। ओपीडी का औसत 20 से 25 मरीज प्रतिदिन तक सिमट गया है। हालांकि यहां पहले से उपचाराधीन बीपी और शुगर के मरीजों को नियमित दवाइयां मिल रही हैं। प्रत्येक केंद्र पर सौ से अधिक दवाइयां उपलब्ध हैं। दुर्ग केंद्र पर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर की सुविधा भी है।
दुर्ग क्षेत्र के निवासी रवि कुमार ने कहा कि आरोग्य मंदिर से सामान्य उपचार की सुविधा मिली है, लेकिन जांचों की व्यवस्था हो तो लोगों को अधिक लाभ होगा। गांधी कॉलोनी के अशोक कुमार ने कहा कि इंजेक्शनों के लिए जरूरी कोल्ड चैन और बुनियादी उपकरणों की जरूरत है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर.के. पालीवाल ने बताया कि जैसलमेर और पोकरण के दस आरोग्य केंद्रों में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। इनमें कार्ड आधारित कुछ जांचें की जाती हैं और आमजन को उनके क्षेत्र में चिकित्सा की सुविधा मिल रही है।
Published on:
03 Nov 2025 10:56 pm

