Patrika Logo
Switch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

प्लस

प्लस

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

जैसलमेर से धर्मेंद्र का दशकों पुराना जुड़ाव याद कर हुए प्रशंसक हुए भावुक

सिने अभिनेता और हिंदी सिनेमा के च् ही-मैन ज् धर्मेंद्र के निधन की खबर ने सोमवार को पूरे देश के साथ जैसलमेर को भी गमगीन कर दिया।

सिने अभिनेता और हिंदी सिनेमा के च् ही-मैन ज् धर्मेंद्र के निधन की खबर ने सोमवार को पूरे देश के साथ जैसलमेर को भी गमगीन कर दिया। सुनहरे मरुस्थल की गोद में बसी स्वर्णनगरी से धर्मेंद्र का रिश्ता कई दशक पुराना रहा है। उनके प्रशंसकों, होटल व्यवसायियों, टूर गाइडों और फिल्म शूटिंग से जुड़े स्थानीय लोगों ने उन्हें भावुक होकर याद किया।

धर्मेंद्र ने जैसलमेर में रजय़िा-सुल्तान, सल्तनत, एलान-ए-जंग सहित कई फिल्मों की शूटिंग की थी। विगत वर्षों में एक और फिल्म की शूटिंग के दौरान वे यहां आए थे। इन दौरों के दौरान प्रशंसकों ने उनके साथ जो तस्वीरें खिंचवाई थीं, वे फिर से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। पूर्व सभापति अशोकसिंह तंवर ने बताया कि धर्मेंद्र की सादगी और अपनापन इतना गहरा था कि कभी महसूस नहीं होता था कि वे किसी बड़े सितारे से मिल रहे हैं। उन्होंने सहजता से दोस्तों संग फोटो खिंचवाए और जैसलमेर के हालात तक पूछे। उनके साथ फोटो खिंचवाने वालों में सुजानसिंह तंवर, शैतानसिंह महेचा सहित कई लोग शामिल थे।

मरु-संस्कृति से था गहरा लगाव

होटल व्यवसायियों और शूटिंग समन्वयकर्ताओं के अनुसार धर्मेंद्र राजस्थान की सांस्कृतिक खूबसूरती की हमेशा प्रशंसा करते थे। वे कहा करते थे कि मरुस्थल की मिट्टी में एक अलग ही जादू है। जैसलमेर आने पर वे यहां के लोगों से मिलते, हालचाल पूछते और स्थानीय वातावरण में घुल-मिल जाते। स्टारडम के बावजूद उन्होंने कभी दूरी नहीं बनाई। मिलने आने वाले हर व्यक्ति को सम्मान और आत्मीयता से संबोधित करते थे। उनकी सहजता ने जैसलमेर के लोगों के दिलों में खास जगह बनाई।

यादें फिर हुईं ताज़ा

सोशल मीडिया पर धर्मेंद्र की जैसलमेर यात्राओं की पुरानी तस्वीरें फिर साझा होने लगी हैं। स्थानीय निवासियों श्यामसिंह उदावत, हरिसिंह राठौड़, राजेन्द्र पुरोहित आदि का कहना है कि धर्मेन्द्र सिर्फ फिल्मों के नायक नहीं थे, बल्कि दिलों के भी नायक थे। मरुस्थल के इस शहर में उनसे जुड़ी यादें हमेशा जीवित रहेंगी। उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन जैसलमेर की रेतीली हवाओं में उनकी मुस्कान, सादगी और मानवीय संवेदनाएं हमेशा महसूस की जाएंगी।