जयपुर शहर की सड़कों, गली और नुक्कड़ पर रावण सिर्फ दशहरे के दिन जलता है। लेकिन वर्ष भर हमारे बीच दिखता है। कभी फुटपाथ पर कब्जा जमाए दुकानदार के रूप में, कभी ट्रैफिक सिग्नल तोड़ते बाइक सवार में तो कभी बच्चियों की चीखों में। विजयादशमी का पर्व हमें हर साल याद दिलाता है कि बुराई का अंत संभव है, लेकिन सवाल यह है कि आज के रावणों का वध कौन करेगा? वध करने वाले कब तक रहेंगे मौन? इस बार सिर्फ पुतला जलाकर संतुष्ट न हों। अपने भीतर राम को जगाएं। ट्रैफिक, अतिक्रमण, महिला सुरक्षा और अपराधों के खिलाफ आवाज उठाएं। स्कूल-कॉलेज, सामाजिक संस्थाएं और नागरिक समूहों को आगे आकर संवाद, रैलियों और कार्यक्रमों के जरिये बदलाव की मशाल जलानी होगी। पत्रिका टीम ने शहर में रावण का रूप ले चुकी बुराइयों, समस्याओं और मुद्दों की पड़ताल की…। जरूरत साफ नजर आई..रावण तो खूब हैं…लेकिन वध करने वाले मौन हैं…।
शहर की प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक नियमों की अनदेखी करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। अजमेरी गेट, बड़ी चौपड़ से लेकर जेडीए चौराह और विवि मार्ग पर लोग ट्रैफिक नियम तोड़ते नजर आए। रोज चालान हो रहे हैं। खुद का जीवन खतरे में डालने के साथ ये लोग सड़क पर चलने वाले दूसरे लोगों के लिए भी खतरा बने हुए हैं।
गुलाबी नगर में ट्रैफिक का दबाव बढ़ रहा है। सडक़ों पर जाम की स्थिति रहती है। इस साल अब तक 1312 दुर्घटनाएं दर्ज हुईं। हादसों में 355 लोगों की मौत हुई और 1165 घायल हुए। 2025 में जनवरी से अगस्त तक चोरी के 4,910 और नकबजनी के 568 मामले दर्ज किए गए। चोरी के बढ़ते मामलों ने आम नागरिकों में डर का माहौल बना दिया है।
शहर में प्रति एक लाख में 239 महिलाओं पर अपराध किए जाते हैं, जो दिल्ली से भी अधिक हैं। नारी-2025 की रिपोर्ट में जयपुर को महिला सुरक्षा के मामलों में 59.1 प्रतिशत अंक मिले और यह 31 शहरों में 25वें स्थान पर रहा।
अतिक्रमण करने वाले रावण तो करीब 300 वर्ष पुराने शहर को भी नहीं छोड़ रहे। अतिक्रमणकारियों ने परकोटे को भी नहीं छोड़ा। दीवार पर निर्माण कर लिए। अस्थायी अतिक्रमण तो अनगिनत हैं। सफाई करने के लिए करीब 7 हजार सफाईकर्मी हैं। वे काम करते हैं, लेकिन शहर को कचरा पात्र समझने वाले कई रावण मनमर्जी से कचरा फेंककर शहर को गंदा करने में जरा भी नहीं घबराते।
आंकड़े बताते हैं कि हमारे आस-पास आज भी ‘रावण’ की परछाई हैं जो न केवल महिलाओं की आजादी को चुनौती दे रही हैं, बल्कि शहर की सामाजिक सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रही हैं। वर्ष 2025 के जनवरी से जुलाई तक के आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं। प्रदेश की बात की जाए तो महिलाओं से रेप के 2456 और नाबालिगों से रेप के 1045 मामले सामने आए हैं। महिला उत्पीड़न के 7617 और छेड़छाड़ के 6403 मामले भी दर्ज किए गए हैं। दहेज हत्या जैसे जघन्य अपराधों के भी 222 मामले सामने आए हैं। जो ये बताते हैं कि रावण अपने आस-पास ही हैं।
Published on:
02 Oct 2025 09:46 am