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SMS Hospital: लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मिली नई जिंदगी, 18 साल के ब्रेन डेड युवक ने 47 साल के मरीज को दी नई सांसें

Unique Example Of Organ Donation: यह लिवर 18 वर्षीय छात्र रोहन शर्मा का लगाया गया जो सड़क हादसे में ब्रेन डेड हो गया था।

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फोटो: पत्रिका

13th Cadaver Liver Transplant In SMS: “भगवान का लाख-लाख शुक्र है, और उस परिवार का भी जिसने अंगदान कर मुझे नया जीवन दिया। मैं जीवनभर उनका ऋणी रहूंगा।” यह कहना है मानसरोवर निवासी 47 वर्षीय मरीज कैलाश (परिवर्तित नाम) का जिनका हाल ही में एसएमएस अस्पताल में सफल कैडेवर लिवर ट्रांसप्लांट किया गया।

कैलाश को यह लिवर गोविंदगढ़ के चीथवाड़ी निवासी 18 वर्षीय छात्र रोहन शर्मा का लगाया गया जो सड़क हादसे में ब्रेन डेड हो गया था। ट्रांसप्लांट के बाद अब कैलाश पूरी तरह स्वस्थ हैं और उन्हें मंगलवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

मरीज ने अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद अंगदान को ‘जीवनदान’ बताते हुए आमजन से अंगदान के प्रति जागरूकता की अपील की।

लंबे समय से चल रही थी बीमारी

हेपेटो-पैंक्रियाटो-बिलियरी सर्जरी विभाग (एचबीपीएस) के विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश भारती के अनुसार, मरीज कैलाश लंबे समय से लिवर की बीमारी से पीड़ित थे। उन्हें पेट में पानी भरना, हाथ-पैरों में सूजन, पीलिया जैसी समस्याएं थीं। पिछले दो वर्षों से वे इस समस्या से जूझ रहे थे और पिछले दस महीनों से उन्हें तत्काल लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता थी।

यदि आगामी छह महीनों में प्रत्यारोपण नहीं किया जाता तो उनकी जान पर गंभीर खतरा था। चिकित्सकों ने 31 अगस्त को सफल ट्रांसप्लांट किया, जिसके बाद अब मरीज की स्थिति पूरी तरह से सामान्य है। हालांकि चिकित्सकों ने सावधानी बरतने की सलाह दी है।

अब नहीं जाना पड़ रहा दिल्ली-मुंबई

एसएमएस में यह अब तक का 13वां कैडेवर लिवर ट्रांसप्लांट है। खास बात यह है कि यह प्रत्यारोपण मुख्यमंत्री नि:शुल्क लिवर ट्रांसप्लांट योजना के तहत बिना किसी खर्च के किया गया। इससे पहले तक गंभीर लिवर रोगियों को इलाज के लिए दिल्ली या मुंबई जाना पड़ता था, लेकिन अब यह सुविधा जयपुर में ही उपलब्ध है।

सफल सर्जरी में इनका योगदान

लिवर ट्रांसप्लांट की सफल सर्जरी में डॉ. दिनेश भारती, डॉ. आशुतोष पंचोली, डॉ. रजत, डॉ. शशांक, डॉ. राजकिरण, डॉ. पूनम कालरा, डॉ. ममता शर्मा, डॉ. योगेश मोदी, डॉ. महिपाल, डॉ. संजय मोरवाल, डॉ. सतवीर, डॉ. सुनील, डॉ. मोहित, डॉ. अनु भंडारी, डॉ. नरेश सहित ओटी और आईसीयू स्टाफ का विशेष योगदान रहा।