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यह कैसा सड़क सुरक्षा विभाग? सिर्फ मौतों के आंकड़े गिन रहा सिस्टम, हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी फेल रोड सेफ्टी सेल

राजस्थान में परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग नाम बदलने के बावजूद सड़क सुरक्षा पर नाकाम साबित हो रहा है। 500 करोड़ फंड में से 40 प्रतिशत भी खर्च नहीं हुआ। प्रकोष्ठ सिर्फ आंकड़े गिनने में व्यस्त रहे। पढ़ें विजय शर्मा की रिपोर्ट...

Rajasthan Road Safety
राजस्थान में सड़क हादसा (फोटो- पत्रिका)

जयपर: राजस्थान के परिवहन विभाग का नाम बदलकर परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग कर दिया गया। लेकिन विभाग की ओर से सड़क हादसे कम करने और जागरुकता करने को लेकर कोई काम नहीं किया जा रहा। परिवहन विभाग आज भी सड़क सुरक्षा पर काम करने के बजाय सिर्फ राजस्व वसूली कर रहा है।


साल 2016 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद परिवहन विभाग में सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ का गठन किया गया, लेकिन प्रकोष्ठ प्रदेश में होने वाले हादसों में मौतों और घायलों का आंकड़ा ही गिन रहा है। राज्य में हर साल हादसों की संख्या और मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है। हाल ही राजस्थान में एक के बाद हुए भीषण हादसों के बाद परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग और सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ पर सवाल खड़े हो गए हैं।


500 करोड़ का फंड, साल में एक कार्यक्रम


परिवहन और पुलिस की ओर से अर्जित होने वाले राजस्व का 25 फीसदी तक फंड सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ के पास आता है। वर्तमान में प्रकोष्ठ के पास 500 करोड़ से अधिक फंड है, लेकिन प्रकोष्ठ की ओर से आमजन को सड़क सुरक्षा के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।


जागरुकता के नाम पर साल में सिर्फ एक कार्यक्रम किया जा रहा है। वहीं, प्रकोष्ठ की ओर से समय पर जिला स्तर आरटीओ और डीटीओ को बजट जारी नहीं किया जा रहा है।


ये हैं जिम्मेदार…अधिकारी और कर्मचारी


निधि सिंह-अपर परिवहन आयुक्त, राजेश शर्मा-संयुक्त परिवहन आयुक्त, उज्ज्वल शर्मा-पुलिस उपाधीक्षक, लक्ष्मीनिधि पांडे-वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, अमृतराज मीणा-ए€क्सईएन, विनीता मीणा-अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी, धनश्याम सिंह-मोटर वाहन निरीक्षक, स्वाति दीक्षित-मोटर वाहन निरीक्षक, इंदू सैनी-मोटर वाहन निरीक्षक, संजय कुमार-मोटर वाहन उप निरीक्षक, मनोज कुमावत- सहायक सांख्यिकी अधिकारी, दिव्यप्रकाश-सहायक लेखा अधिकारी ग्रेड द्वितीय, रमेश वरयानी-कविष्ठ सहायक, रचना कंवर-सूचना सहायक और नंदकिशोर शर्मा-कानिस्टेबल।


रोड सेफ्टी : जितना फंड आया, उससे कम खच


वित्तीय वर्ष-फंड आया-खर्च किया-शेष फंड
2017-18-8,942.25-3,713.96-5,228.29
2018-19-9,939.00-912.10-9,026.9
2019-20-10,044.51-2,297.93-7,746.58
2020-21-10,465.55-2,636.61-7,828.94
2021-22-10,000.00-7,576.85-2,423.15
2022-23-9,439.36-4,648.24-4,791.12
2023-24-9,595.82-7,285.07-2,310.75
2024-25-10,944.21-222.63-10,721.58
कुल 79,370.7-29,293.39-50,077.31 (राशि लाख रुपए में) (40 प्रतिशत भी नहीं हो पाया खर्च, सुरक्षा कार्य के लिए आए कुल बजट में से)


सुरक्षा प्रकोष्ठ के ये कार्य, लेकिन कभी दिखे नहीं


-दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अल्पकालीन और दीर्घकाल योजना की क्रियान्विति
-सुरक्षा के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ समन्वय
-सड़क दुर्घटना के संबंध में मोटर वहन नियम की धारा-135 के तहत करना
-दुर्घटना के कारणों की समीक्षा, निराकरण, संबंधित विभागों और जिला प्रशासन के साथ समन्वय
-उपखंड स्तर ग्राम पंचायत स्तर पर सड़क सुरक्षा समितियां बनाना और कार्य कराना
-यातायात नियमों के प्रति जागरुकता और शिक्षा प्रदान करना
-स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से सड़क सुरक्षा कार्यक्रम का आयोजन
-लाइसेंस देने के लिए ड्राईविंग ट्रेक, जगतपुरा ट्रेक पर सड़क सुरक्षा शोध संस्थान की स्थापना
-भारी वाहन चालकों को रिफ्रेशर कोर्स आयोजित करने के सेवी संस्थाओं के कार्यों की समीक्षा
-यातायात प्रबंधन समितियों की मीटिंग की क्रियान्विति करना
-उड़नदस्तों की ओर से दुर्घटना के उत्तरदायी अन्य कारणों की जांच करना
-दुर्घटना रोकने से संबंधित समस्त पत्र व्यवहार, मीटिंग और अभियान आदि।


नियम सिर्फ नाम के…हकीकत शून्य पर सवार


लाइसेंस : बिना टेस्ट हो रहे जारी
नियम : हल्के वाहन में 18 वर्ष, भारी वाहन में 20 साल उम्र तय। छह महीने लर्निंग, फिर स्थायी।
यह हो रहा : बिना टेस्ट लाइसेंस, 13 ट्रेक बंद, भारी वाहनों के लिए फर्जी प्रशिक्षण सर्टिफिकेट जारी।

रफ्तार : चालान के उपकरण नहीं
नियम : गतिसीमा उल्लंघन पर जुर्माना व लाइसेंस अयोग्य। दूसरी बार आजीवन लाइसेंस रद्द।
यह हो रहा : लाइसेंस तीन महीने निलंबन के बाद बहाल। ओवर स्पीड चालान के लिए उपकरण नहीं।

चालान : चेकिंग के लिए नहीं है सिस्टम
नियम : मोटर वाहन अधिनियम में धारा-136 ए नई धारा जोड़ी गई। इलेक्ट्रानिक मॉनिटरिंग सिस्टम।
यह हो रहा : अधिकतर ऑफलाइन बनाए जा रहे। वाहन चेकिंग के लिए कोई सिस्टम नहीं।

शराब टेस्ट : ब्रेथ एनालाइजर ही नहीं
नियम : एमवी एक्ट-185 में चालक शराब पीकर वाहन नहीं चला सकता। मालिक भी जिम्मेदार।
यह हो रहा : परिवहन विभाग के पास ब्रेथ एनालाइजर ही नहीं। एक भी चालान नहीं बनाया।

ओवरलोड : कम लगा रहे जुर्माना
नियम : बस परमिट निलंबन। ट्रकों में ओवरलोड पर 20 हजार या दो हजार प्रति टन जुर्माना।
यह हो रहा : बसों पर 10 हजार जुर्माना। ट्रकों पर दो हजार या प्रति टन एक हजार ले रहे जुर्माना।

ड्राइवर प्रशिक्षण : बिक रहे सर्टिफिकेट
नियम : व्यवसायिक वाहनों के चालकों के लाइसेंस नवीनीकरण से पूर्व दो दिन की ट्रेनिंग अनिवार्य।
यह हो रहा : भारी वाहन चालकों को बिना प्रशिक्षण 10 हजार तक सर्टिफिकेट बेचे जा रहे हैं।

अतिक्रमण : सड़कों के पास कर रहे निर्माण
नियम : नेशनल हाइवे पर 40 मीटर तक व्यावसायिक निर्माण नहीं। आने-जाने की अलग लेन।
यह हो रहा : ढाबे, रेस्टोरेंट, होटल, ऑटोमोबाइल सड़क के पास ही निर्माण कर लेते हैं।

रोड इंजीनियरिंग : पुख्ता मॉनिटरिंग नहीं
नियम : परिवहन, पुलिस, एनएचएआई रोड सेफ्टी ऑडिट कर ब्लैक स्पॉट चिन्हित करते हैं।
यह हो रहा : नियमित ऑडिट नहीं होती। बजट समय पर जारी नहीं होता, मॉनिटरिंग पुख्ता नहीं।