
Transgender Lawyer Raveena Singh: जयपुर: राजस्थान में पाली जिले के सोजत शहर की एक परंपरावादी परिवार में जन्मे रविंद्र सिंह ने जब होश संभाला, तब से उनके मन और आत्मा में एक अलग सच्चाई बस चुकी थी। भले ही उन्हें जन्म से लड़के का नाम और पहचान मिली थी, लेकिन भीतर से वे खुद को हमेशा एक लड़की के रूप में महसूस करती थीं। उनकी चाल-ढाल, बोलने का अंदाज और सोच सब कुछ उनकी असली पहचान की गवाही देता था।
परिवार और समाज की अस्वीकृति के बावजूद, रवीना (पहले रविंद्र) ने कभी हार नहीं मानी। 2 अगस्त को उन्होंने बार काउंसिल ऑफ राजस्थान में एक महिला वकील के रूप में पंजीकरण कराया और इस ऐतिहासिक कदम के साथ वे प्रदेश की पहली ट्रांसजेंडर वकील बन गईं। यह उपलब्धि न सिर्फ उनके लिए बल्कि पूरे ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए प्रेरणा है।
रवीना सिंह बताती हैं कि बचपन से ही वे अपने परिवार से कहती थीं, शरीर भले ही मर्दाना है, लेकिन मैं चलती, बोलती और सोचती औरत की तरह हूं। लेकिन यह खुलासा परिवार और समाज के लिए असहज था और उन्हें कड़े विरोध का सामना करना पड़ा।

ट्रांसजेंडर समुदाय की पारंपरिक भूमिकाओं शुभ अवसरों पर नाच-गाना करने के लिए भी उन्हें मजबूर किया गया। लेकिन रवीना कहती हैं कि उन्हें यह सब कभी पसंद नहीं आया। इसमें अश्लीलता होती थी, जो मुझे अच्छा नहीं लगता था। उनका सपना कहीं और था।
अपने समुदाय के लिए आवाज उठाने और न्याय की राह चुनने के लिए उन्होंने बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की। आर्थिक तंगी के बावजूद वे आगे बढ़ती रहीं। रवीना बताती हैं कि फिलहाल वकालत की शुरुआत के साथ-साथ वे फ्रीलांस मेकअप आर्टिस्ट का काम भी करती हैं, ताकि अपने खर्च पूरे कर सकें।
2 अगस्त को जब उन्होंने बार काउंसिल में पंजीकरण कराया तो यह सिर्फ उनके करियर की शुरुआत नहीं थी। बल्कि समाज में ट्रांसजेंडरों की नई पहचान की दस्तक भी थी। अब उनका लक्ष्य है, अपने समुदाय के अधिकारों की लड़ाई लड़ना।
रवीना सिंह कहती हैं, मेरे करियर की शुरुआत अभी हुई है, लेकिन मैं ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए काम करूंगी। जैसे हर क्षेत्र राजनीति, शिक्षा, सिविल सेवाओं में पुरुष और महिलाएं हैं, वैसे ही ट्रांसजेंडरों की भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए।

रवीना इस बात पर भी सवाल उठाती हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा और रोजगार में ट्रांसजेंडरों को अधिकार दिए हैं, लेकिन आज भी कई सरकारी प्रणालियों में ट्रांसजेंडरों के लिए अलग श्रेणी मौजूद नहीं है।
हाल ही में रवीना सिंह ने राजस्थान हाईकोर्ट में ट्रांसजेंडर अधिकारों से जुड़े मुद्दे पर एक रिट याचिका भी दायर की है। वे कहती हैं, अगर मेरी कहानी से एक भी ट्रांसजेंडर व्यक्ति प्रेरित होता है तो मैं खुद को सफल मानूंगी।
रवीना सिंह का संघर्ष और सफलता यह साबित करती है कि असली पहचान को स्वीकार कर ही व्यक्ति सच्ची आजादी और सम्मान हासिल कर सकता है। उनकी यह ऐतिहासिक उपलब्धि आने वाले समय में न सिर्फ ट्रांसजेंडर समुदाय, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणादायी मिसाल बनेगी।
Updated on:
17 Sept 2025 02:40 pm
Published on:
17 Sept 2025 02:16 pm

