
फाइल फोटो पत्रिका
Cheap Electricity Update : ट्रांसमिशन और ग्रिड सिस्टम नेटवर्क की कमी के कारण राजस्थान में बन रही सौर ऊर्जा का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऊर्जा निगम की आंतरिक रिपोर्ट में सामने आया है कि राज्य में जिस तेजी से अक्षय ऊर्जा उत्पादन बढ़ रहा है, उसके अनुरूप इंटरस्टेट ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रचर विकसित नहीं हो पाया। इसके चलते बड़ी मात्रा में सस्ती बिजली बेकार जाती रही।
विशेषज्ञों के अनुसार दिन के समय बिजली की कम मांग, ग्रिड की सीमित क्षमता, और ट्रांसमिशन लाइनों पर बढ़ते दबाव के कारण सौर और पवन ऊर्जा का बड़ा हिस्सा ग्रिड में नहीं पहुंच पा रहा। नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों को बार-बार कर्टेलमेंट का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, राज्य विद्युत उत्पादन निगम आंतरिक और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन इंटरस्टेट ट्रांसमिशन नेटवर्क का दायरा बढ़ा रहा है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिसोर्स एडिक्वेसी प्लान के अनुसार राज्य में डवलपमेंट और औद्योगिकीकरण के कारण एक दशक बाद बिजली खपत 32160 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। अभी अधिकतम डिमांड 19500 मेगावाट तक पहुंची है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिजली उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ ट्रांसमिशन नेटवर्क को मजबूत करना भी जरूरी है।
प्रदेश में इस बार मानसून देर तक चला। पश्चिमी राजस्थान में ज्यादा बारिश नहीं होने के कारण सौर ऊर्जा का उत्पादन होता रहा। जबकि पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान में बारिश का दौर चलता रहा। ऐसे में उत्पादन और सिस्टम की क्षमता में अंतर आ गया। इस कारण करीब 4 गीगावाट पवन और सौर ऊर्जा की ग्रिड में सप्लाई नहीं हो सकी।
कई सोलर एवं विंड डवलपर्स को रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर की ओर से कटौती के निर्देश दिए गए। राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम और अक्षय ऊर्जा निगम की पिछली बैठकों में इसकी चर्चा हो चुकी है।
Published on:
06 Dec 2025 02:37 pm
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