Illegal mining in Rajasthan: राजस्थान में अवैध खनन का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन खान विभाग की कार्रवाई वाहनों तक ही सीमित होकर रह गई है। प्रशासन की ढीली पकड़ से पहाड़ अवैध खनन बढ़ रहा है वहीं बजरी खनन सबसे बड़ा सिरदर्द बन गया है। पहाड़ और नदियां अवैध खनन से खोखली हो रही हैं। विभाग खनन स्थलों पर रोकने के बजाय परिवहन पर नकेल कस रहा है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच वर्ष में विभाग हर साल करीब साढ़े 9 हजार से 10 हजार कार्रवाई करता है, लेकिन इनमें अवैध खनन के मामले 10 फीसदी से भी कम हैं। अधिकांश कार्रवाई अवैध खनिज सामग्री के परिवहन और भंडारण पर केंद्रित रहती है।
अवैध खनन के मामलों में बजरी सबसे आगे है। वर्ष 2024-25 में दर्ज 9329 मामलों में से 4559 केवल बजरी से जुड़े थे। वहीं इस वर्ष में 31 अगस्त तक दर्ज 4541 प्रकरणों में से 2080 मामले बजरी खनन और परिवहन से संबंधित रहे। प्रदेश में राजनीतिक रूप से भी बजरी अवैध खनन बड़ा मुद्दा है, लेकिन यहां भी खान विभाग नियंत्रण नहीं कर पा रहा।
मामले | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 | 2023-24 | 2024-25 | 2025-26 |
दर्ज प्रकरण | 10,200 | 9,073 | 9,372 | 9,563 | 9,329 | 4,541 |
एफआइआर | 804 | 1,070 | 1,069 | 1,219 | 799 | 576 |
जब्त वाहन | 10,136 | 9,092 | 9,362 | 9,033 | 9,339 | 4,337 |
वसूली गई राशि | 89.87 | 86.76 | 78.46 | 99.69 | 65.36 | 30.05 |
गिरफ्तारी | 242 | 242 | 719 | 432 | 562 | 320 |
नागौर जिले की जायल तहसील के ग्राम बड़ी खाटू कलां में चारागाह भूमि के खसरा नंबर 1148 पर बड़े पैमाने पर अवैध खनन का खुला खेल चल रहा है। लगभग 1123 बीघा क्षेत्र में भारी मशीनरी से पहाड़ी का अधिकांश हिस्सा जमींदोज कर दिया गया है। 27 सितंबर को पुलिस ने यहां कार्रवाई की, लेकिन खान विभाग के अधिकारियों के शामिल नहीं होने से पूरी तरह नहीं हो सकी।
मामले | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 | 2023-24 | 2024-25 | 2025-26 |
दर्ज प्रकरण | 6,425 | 5,584 | 5,255 | 4,241 | 4,559 | 2,080 |
एफआइआर | 634 | 927 | 688 | 709 | 542 | 413 |
जब्त वाहन | 6,407 | 5,637 | 5,233 | 4,139 | 4,515 | 1,966 |
वसूली गई राशि | 53.92 | 53.11 | 44.68 | 55.27 | 27.95 | 10.7 |
गिरफ्तारी | 204 | 659 | 289 | 267 | 267 | 256 |
खान विभाग की जोन स्तर पर गठित विजिलेंस टीमें भी कारगर साबित नहीं हो पा रही हैं। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, कोटा, भरतपुर और भीलवाड़ा में मौजूद ये टीमें पूरे प्रदेश में डेढ़ साल में मात्र 85 कार्रवाई कर सकीं। चौंकाने वाली बात यह है कि भरतपुर टीम को इस अवधि में एक भी अवैध खनन स्थल नहीं मिला, जबकि कोटा और भीलवाड़ा टीमें इस वर्ष एक भी कार्रवाई नहीं कर पाईं। बताया जा रहा है कि विजिलेंस टीमों की कार्रवाई न के बराबर होने के बावजूद उच्च स्तर पर मॉनिटरिंग भी नहीं की जा रही है।
Published on:
01 Oct 2025 10:12 am