
जयपुर। तेरह वर्षीय मादा लेपर्ड फ्लोरा भी अब मां आरती और बूढ़ी मां की तरह झालाना लेपर्ड रिजर्व का कुनबा बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है। बुधवार को सफारी के दौरान उसे जंगल में तीन शावकों के साथ देखा गया। बताया जा रहा है कि अब तक मादा लेपर्ड फ्लोरा नौ बार में 17 शावकों को जन्म दे चुकी है। उसे झालाना की मछली भी कहा जा रहा है। खास बात यह है कि उसके शावक भी अब झालाना के कुनबे को आगे बढ़ा रहे हैं।
राजधानी जयपुर के नजदीक लगभग 20 वर्ग किलोमीटर में फैले झालाना जंगल में लेपर्ड की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वर्तमान में यहां करीब 45 लेपर्ड मौजूद बताए जाते हैं, जिसके कारण इसे नर्सरी ऑफ लेपर्ड भी कहा जाता है। वर्ष 2012 से 2025 के बीच यहां करीब 90 शावक जन्मे हैं। यहां मादा लेपर्ड आरती और बूढ़ी मां का वंश प्रमुख है, क्योंकि करीब 60 फीसदी शावक इन्हीं से जुड़े हुए हैं। मादा लेपर्ड फ्लोरा भी आरती की बेटी है। वर्ष 2012 में जन्मी फ्लोरा अब तक 16 शावक जन्म चुकी है और इस वर्ष 3 नए शावकों के साथ देखी गई है।
देश के पहले लेपर्ड प्रोजेक्ट के रूप में विकसित झालाना के इस जंगल में हर लेपर्ड को नाम से पहचाना जाता है। वनकर्मी, अधिकारी और वन्यजीव प्रेमी यहां राणा, बहादुर, फ्लोरा, कैटरीना, प्रिंस, कटप्पा, मिसेज खान सहित कई लेपर्ड के नामों से परिचित हैं। यह देश का पहला जंगल है, जहां हर लेपर्ड की नाम से पहचान है।
फ्लोरा पहली बार वर्ष 2015 में मां बनी थी। उसने लेपर्ड प्रिंस, कैटरीना और जलेबी को जन्म दिया। वर्ष 2016 में जूलियट और क्लियोपेट्रा, वर्ष 2018 में सिबा, वर्ष 2020 में लेपर्ड केसर के अलावा तीन अन्य शावक जन्मे। वर्ष 2021 में हीरा और पन्ना, वर्ष 2022 में तितली और वर्ष 2024 में संग्राम का जन्म हुआ। इस वर्ष इसके साथ तीन नए शावक देखे गए हैं।
लेपर्ड फ्लोरा तीन शावकों के साथ देखी गई है। उसकी मॉनिटरिंग बढ़ा दी गई है। झालाना जंगल का कुनबा बढ़ाने में फ्लोरा का महत्वपूर्ण योगदान है। अब तक यह लेपर्ड 17 शावकों को जन्म दे चुकी है। -जितेंद्र सिंह शेखावत, क्षेत्रीय वन अधिकारी, वन विभाग
Published on:
20 Nov 2025 07:27 am

