
जयपुर। राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत के ट्रांसफर के बाद नौकरशाहों से लेकर नेताओं तक, अटकलों का दौर शुरू हो गया है। इस बीच प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के कद्दावर नेता अशोक गहलोत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बताया कि सुधांश पंत उनके कार्यकाल में एसीएस के पद पर तैनात थे, लेकिन उनका यहां मन नहीं लगता है।
अशोक गहलोत ने कहा कि, 'सुधांश पंत को दिल्ली जाना हमेशा से पसंद रहा है। अब ACC सचिव का पत्र आ गया है, तो क्या ही कह सकते हैं। ट्रांसफर की असली वजह तो सरकार और उनको खुद पता होगा। अशोक गहलोत ने कहा कि सुधांश पंत का ट्रांसफर क्यों हुआ ? इसके बारे में उनको जानकारी नहीं है।'
दरअसल, सुधांश पंत फरवरी 2027 में रिटायर होने वाले थे, लेकिन उन्होंने मुख्य सचिव का पद अपने कार्यकाल से करीब 13 महीने पहले ही छोड़ दिया। इस अप्रत्याशित निर्णय के बाद प्रशासनिक हलकों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। क्या यह केंद्र और राज्य के बीच बढ़ते समन्वय का परिणाम है या फिर राज्य सरकार के भीतर किसी असहमति की झलक है ?
पंत ने 1 जनवरी 2024 को राजस्थान के मुख्य सचिव के रूप में कार्यभार संभाला था। पूर्व मुख्य सचिव उषा शर्मा के रिटायरमेंट के बाद केंद्र सरकार ने उन्हें दिल्ली से राजस्थान कैडर में प्रतिनियुक्त किया था। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ मिलकर नई प्रशासनिक टीम को सशक्त बनाने, वित्तीय अनुशासन लाने और विकास योजनाओं को गति देने पर फोकस किया था। अब उनके ट्रांसफर के बाद राज्य में नए मुख्य सचिव की दौड़ तेज हो गई है।
आधिकारिक रूप से कहा गया है कि पंत की नियुक्ति मंत्रालय में खाली पड़े पद को भरने के लिए की गई है। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह तबादला उनकी केंद्र सरकार से नजदीकी का परिणाम है। सुधांश पंत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भरोसेमंद अफसर माना जाता है। वे इससे पहले स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव रह चुके हैं, जहां कोविड-19 प्रबंधन के दौरान उनके काम की काफी सराहना हुई थी।
सूत्रों का कहना है कि हाल के महीनों में पंत प्रशासनिक निर्णयों में उपेक्षित महसूस कर रहे थे। बताया जाता है कि उनकी अनुशंसा पर जिन अधिकारियों को पदस्थापित किए जाने की उम्मीद थी, उन्हें नजरअंदाज किया गया। इसी तरह, हाल ही में डेपुटेशन पर आए एक आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति भी पंत की सिफारिश के अनुरूप नहीं की गई।
इसके अलावा, कुछ विभागीय फाइलें सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) में भेजी जा रही थीं, जबकि सामान्यतः ये फाइलें मुख्य सचिव के माध्यम से आगे बढ़ती हैं। जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आलोक गुप्ता के जून 2025 में तबादले के बाद से पंत की भूमिका सीमित होती चली गई। इस दौरान कई अहम निर्णय सीधे CMO से लिए जाने लगे, जिससे दोनों पक्षों के बीच तनाव की स्थिति बनी रही।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी मुख्य सचिव का दिल्ली तबादला हुआ हो। 2013 में वसुंधरा राजे सरकार के दौरान भी तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव महर्षि को केंद्र भेजा गया था। सुधांश पंत इस श्रेणी में दूसरे ऐसे वरिष्ठ अधिकारी बन गए हैं जिनका तबादला इसी तरह हुआ है।
Updated on:
11 Nov 2025 07:02 pm
Published on:
11 Nov 2025 06:55 pm

