9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Anta By-Election Results: अंता उपचुनाव परिणाम आज, भाजपा-कांग्रेस के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

Anta by-election Results: अंता विधानसभा उपचुनाव का आज परिणाम जारी होगा। इस सीट पर प्रदेश के सभी बड़े नेताओं ने प्रचार किया है। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गजों की नजर चुनाव परिणाम पर टिकी है।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Kamal Mishra

Nov 14, 2025

Anta Election Result

अंता विधानसभा उपचुनाव का रिजल्ट आज (फोटो-पत्रिका)

जयपुर। अंता विधानसभा उपचुनाव का परिणाम शुक्रवार को घोषित होगा। यह चुनाव निकाय और पंचायत चुनाव से ठीक पहले हुआ है, इसलिए राजनीतिक दृष्टि से इसका महत्व और बढ़ गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए यह उपचुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित दोनों दलों के प्रदेश अध्यक्षों और कई वरिष्ठ नेताओं की साख इस परिणाम पर टिकी है। जो भी दल विजयी होगा, उसके नेताओं व कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और प्रदेश में उसकी राजनीतिक मौजूदगी और मजबूत होगी।

भाजपा के दिग्गजों की साख दांव पर

भजनलाल शर्मा (मुख्यमंत्री)

प्रदेश में भाजपा की सरकार है और मुख्यमंत्री शर्मा सत्ता के मुखिया हैं। उन्होंने अंता में रोड शो किए और कार्यकर्ताओं से वीसी के माध्यम से सीधा संवाद भी किया। भाजपा की जीत से उनका राजनीतिक कद और अधिक सुदृढ़ होगा।

वसुंधरा राजे (पूर्व मुख्यमंत्री)

झालावाड़-बांरा क्षेत्र राजे का राजनीतिक गढ़ माना जाता है। उन्होंने पूरे अभियान के दौरान अंता में डेरा डाले रखा। भाजपा की जीत उन्हें राजनीतिक संजीवनी देगी, जबकि हार उनके प्रभाव को कमजोर कर सकती है।

मदन राठौड़ (प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा)

प्रदेश संगठन के प्रमुख के रूप में राठौड़ के लिए यह उपचुनाव अग्निपरीक्षा है। टिकट चयन से लेकर प्रचार रणनीति तक उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। संगठन के भीतर कुछ मतभेदों के बीच जीत उन्हें मजबूत करेगी।

दुष्यंत सिंह (सांसद)

सांसद दुष्यंत सिंह ने मां वसुंधरा राजे के साथ मिलकर चुनावी कमान संभाली। जीत से दिल्ली की राजनीति में उनका कद बढ़ेगा, जबकि हार की स्थिति में राजे-दुष्यंत दोनों को नुकसान झेलना पड़ सकता है।

कांग्रेस के लिए भी प्रतिष्ठा की जंग

गोविंद सिंह डोटासरा (प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस)

लंबे समय से प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाल रहे डोटासरा के लिए यह चुनाव उनकी संगठनात्मक पकड़ की परीक्षा है। लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद उप चुनावों में मिली शिकस्त के बाद इस उपचुनाव को जीतकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।

अशोक गहलोत (पूर्व मुख्यमंत्री)

तीन बार प्रदेश की कमान संभाल चुके अशोक गहलोत कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया को अपने मंत्रिमंडल में पीडब्ल्यूडी और खान जैसे महत्वपूर्ण विभागों में कमान दी थी। इस चुनाव में उन्होंने प्रचार सभाएं कीं। नतीजा भाया के साथ उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता को भी प्रभावित करेगा।

सचिन पायलट (पूर्व उपमुख्यमंत्री)

प्रदेश अध्यक्ष रहने के साथ पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे हैं। उनके अध्यक्ष रहते भाया ने संगठन में उनके साथ काम किया। अजमेर का प्रभारी बनाने के साथ ही संगठन के कार्यक्रमों की जिम्मेदारियां संभालने को लेकर कमान सौंपी गई। क्षेत्र में रोड-शो किए।

टीकाराम जूली (नेता प्रतिपक्ष)

विधानसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष के रूप में जूली पार्टी का मुख्य चेहरा हैं। उन्होंने चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाई और भाजपा सरकार को घेरने का प्रयास किया।

प्रत्याशियों के लिए भी बड़ा दांव

प्रमोद जैन भाया (कांग्रेस)

कांग्रेस प्रत्याशी भाया दो बार विधायक और मंत्री रह चुके हैं। 2023 में हार के बाद पार्टी ने उन पर दोबारा भरोसा जताया है। जीत उन्हें नई ऊर्जा देगी, जबकि हार भविष्य की राजनीति पर असर डाल सकती है।

मोरपाल सुमन (भाजपा)

पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे मोरपाल सुमन जिला स्तर पर सक्रिय रहे हैं। जीत से क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत होगी और वे प्रदेश की राजनीति में नया अध्याय शुरू करेंगे।

नरेश मीणा (निर्दलीय)

लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने के बाद मीणा तीसरी बार मैदान में हैं। पहले छबड़ा और फिर देवली-उनियारा से किस्मत आजमा चुके हैं। अब जीत उन्हें राजनीतिक पुनर्जीवन देगी, जबकि हार नई शुरुआत की चुनौती होगी।