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बस्तर रेड कॉरीडोर… नक्सलियों ने वार्ता से किया इनकार, कहा- नहीं छोड़ेंगे हथियार, जानें क्या है नई रणनीति?

Bastar Red Corridor: बस्तर में पहली बार एक मुठभेड़ में दो सेंट्रल कमेटी मेंबर, कोसा और गुडसा, मारे गए। हिड़मा अब फोर्स का अगला टारगेट, नक्सल विचारधारा कमजोर, बड़े प्रहार की तैयारी जारी।

बस्तर रेड कॉरीडोर (Photo source- Patrika)
बस्तर रेड कॉरीडोर (Photo source- Patrika)

Bastar Red Corridor: बस्तर में नक्सलवाद लेकर आने वाले 7 नक्सली थे। इन्हीं में से एक सबसे दुर्दांत और अंतिम नक्सल लीडर कोसा दादा सोमवार को अबूझमाड़ में मारा गया। कोसा के साथ ही दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के बड़े नक्सली गुडसा उसेंडी को भी फोर्स ने ढेर कर दिया। माड़ के कोहकामेटा थाने के अंतर्गत निलांगुर इलाके में फोर्स ने दोनों को घेर कर मारा है। नक्सल इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक मुठभेड़ में दो सीसी मेंबर मारे गए हैं।

सोमवार सुबह यह मुठभेड़ शुरू हुई और तीन घंटे में नक्सल इतिहास के दो बड़े चेहरे खत्म हो गए। यह दोनों नक्सली तेलगु कैडर से थे। कोसा को कादरी सत्यनारायण रेड्डी और गुडसा को कट्टा रामचंद्र रेड्डी के नाम से जाना जाता था। गुडसा को हिड़मा का सीनियर बताया जाता है। गुडसा ने ही हिड़मा को देश का सबसे दुर्दांत नक्सली बनाया। गुडसा के गाइडेंस में उसने बड़े हमलों को अंजाम दिया। गुडसा को हिड़मा का बैक बोन भी कहा जाता है। माना जाता है कि हिड़मा गुडसा के साथ मिलकर ही हमलों की रणनीति बनाया करता था। वह उससे उम्र में भी बड़ा था।

कोसा की उम्र 67 साल और गुड़सा की 63 साल बताई जा रही है। दोनों ही बस्तर में लाल लड़ाकों की फौज खड़ी करने वालों में से थे। बड़े पैमाने पर दोनों ने भर्ती करवाई। ताड़मेटला और झीरम घाटी जैसे बड़े हमलों में भी दोनों का नाम आया था। बस्तर में अब नक्सल विचारधारा ताश के पत्तों की तरह धराशाई हो रही है। इस बीच फोर्स इस साल के अंत तक बड़े प्रहार की तैयारी में है। कहा जा रहा है कि मार्च २०२६ का लक्ष्य समय से पहले पूरा करने की तैयारी है।

Bastar Red Corridor: मारे जाने से पहले विकल्प ने शांति वार्ता को गलत बताया था। इसी महीने 20 तारीख को नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी की तरफ से पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू ने हथियार डालकर शांतिवार्ता की पेशकश की थी। उसने एक विस्तृत विज्ञप्ति में शांतिवार्ता की पूरी प्रक्रिया का जिक्र करते हुए एक महीने का समय सरकार से मांगा था। अब सोनू के बयान का उसके ही संगठन ने खंडन कर दिया है। एक ओर सोमवार को दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का प्रवक्ता गुडसा उसेंडी उर्फ विकल्प अबूझमाड़ में मारा गया वहीं दूसरी ओर देर शाम उसके नाम से एक विज्ञप्ति सामने आई।

इस विज्ञप्ति में सेंट्रल कमेटी प्रवक्ता अभय का नाम भी था। दोनों ने कहा कि हम हथियार नहीं छोड़ेंगे। जनसंघर्ष जारी रहेगा। विज्ञप्ति में कहा गया कि सोनू के बयान से संगठन का कोई लेना-देना नहीं है। यह सोनू का व्यक्तिगत विचार है। हथियार छोडक़र मुख्यधारा में शामिल होने के सन्दर्भ में कहा गया कि केंद्रीय कमेटी ने इसे तिरस्कार और तीव्र निंदा के साथ अस्वीकार किया है। केंद्रीय कमेटी का कहना है कि बदल चुकी अंतरराष्ट्रीय और देशीय परिस्थितियां हथियारबंद संघर्ष को समाप्त करने का संकेत नहीं देतीं और उनकी दलील के अनुसार वर्ग संघर्ष-जनयुद्ध जारी रखना पार्टी की नीति बनी रहेगी।

प्रेस विज्ञप्ति में यह भी उल्लेख है कि बसवराजु के नाम से हुई पिछली पहलों और उनके मार्गदर्शन को सोनू ने तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया है, जिसे पार्टी ने गलत बताया है। नारायणपुर जिले को महाराष्ट्र से जोडऩे के लिए 130 डी एनएच का काम तेजी से चल रहा है। बताया जा रहा है कि जहां पर कोसा और गुडसा मारे गए वह इलाका भी इसी एनएच की जद में आता है। निलांगुर छत्तीसगढ़ का आखिरी गांव है। जहां तक सडक़ लगभग बन चुकी है। पुल-पुलिया का काम बाकी है।

Bastar Red Corridor: नक्सलियों का प्रभाव इस इलाके में होने की वजह से काम प्रभावित हो रहा था। फोर्स ने रणनीति के तहत पहले इस इलाके के नक्सलियों का सरेंडर करवाया। फिर यहां सक्रिय रहे कोसा और गुडसा को उनके सबसे सुरक्षित इलाके में घुसकर मारा। क्षेत्र में विकास बहाल करने की रणनीति के साथ इस एनकाउंटर को अंजाम दिया गया। इस एनकाउंटर के बाद इलाके में नक्सली पूरी तरह से कमजोर हो चुके हैं। निलांगुर के बाद महाराष्ट्र लग जाता है। बताया जा रहा है कि मुठभेड़ के दौरान महाराष्ट्र की सी 60 ने भी बैकअप दिया।

कैडर बिखरा, बड़े लीडर भी छोटे ट्रूप में चल रहे

नक्सलियों का कैडर बस्तर में कमजोर हो चुका है। बड़े पैमाने पर निचले कैडर के नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया। बड़े नक्सलियों को सुरक्षा देने वाले गार्ड अब कम ही बचे हैं। ऐसे में बड़े लीडर छोटे ट्रूप के साथ चल रहे हैं। इस बार भी कोसा और गुडसा कुछ ही गार्ड के साथ ही इसलिए उनके साथ और कोई नहीं मारा गया। हालांकि फोर्स कह रही है कि कुछ नक्सलियों को गोली लगी है। उनके शव को नक्सली अपने साथ ले गए।