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शॉर्ट वीडियो-रील्स की लत से बिगड़ रही बॉडी क्लॉक, लग रही भूलने की बीमारी

शॉर्ट वीडियो-रील्स की लत से बिगड़ रही बॉडी क्लॉक, लग रही भूलने की बीमारी

Reels Watching Habit

Reels Side Effects : क्या आपके साथ हाल ही में ऐसा हुआ है कि आप किचन में पानी लेने गए और वहां खड़े सोचने लगे कि मैं यहां क्यूं आया। या फोन पर बात करते हुए उसी फोन को खोजने लगें और फिर खुद से पूछते हैं यार मेरा दिमाग चल क्यों नहीं रहा है। मुझे कुछ याद क्यों नहीं रहता। न्यूरोलॉजिस्ट मानते हैं कि इसके पीछे बढ़ती रील्स और शॉर्ट देखने की आदत हो सकती है। सोचिए जब आप वीडियो कॉल पर हैं और बिना सोचे आपका अंगूठा इंस्टाग्राम खोल देता है। लाइन में वेट कर रहे हैं तो भी रील्स, रोड पर चल रहे हैं तो भी शॉर्ट वीडियो, जैसे ही 30 सेकंड फ्री मिले फिर से रील्स और आप अकेले हैं ही नहीं। मनोविज्ञानियों का मानना है कि रील्स की वर्चुअल दुनिया लोगों की याददाश्त को कमजोर कर रही है। रील्स की लत से परेशान कई युवा इलाज के लिए मानसिक अस्पताल पहुंचने लगे हैं। हालांकि लोग अभी इस बीमारी को लेकर खुलकर बातें करने से बचते नजर आ रहे हैं।

Reels Side Effects (Patrika.com)

Reels Side Effects : सर्वे में खुलासा

दुनिया भर में बढ़ रही रील्स और शॉर्ट वीडियो की देखने की आदत के चलते मेटा ने सर्वे किया। मेटा के सर्वे के मुताबिक भारत में 97 प्रतिशत लोग रोज रील्स और शॉर्ट वीडियो देखते हैं। इनके देखने से उनमें डिमेंशिया और अल्जाइमर का रिस्क बढ़ सकता है। इसमें डोपामीन, जो हमारे दिमाग का फील गुड कैमिकल होता है, उसका भी रोल है। जब दिमाग को बार-बार डोपामीन का हिट मिलता है, जबकि सामान्य जीवन में वो मिल पाना मुश्किल हो जाता है। जिससे डिप्रेेशन और अटेंशन-डेफिसिट, हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर जैसी समस्याईं बढ़ रही हैं। स्क्रीन की ब्लू-लाइट रील्स देखने वाले की बॉड़ी-क्लॉक यानी सरकेडियम रिदम को डिसरप्ट कर रही है। इसलिए रील्स देखने वाले देर तक जागते हैं और अगले दिन सुबह भी वे थके हुए ही महसूस करते हैं।

प्रतीकात्मक फोटो

Reels Side Effects : युवाओं को पसंद आ रही काल्पनिक दुनिया

एक अन्य सर्वे के मुताबिक भारत में प्रतिदिन 60 से 70 लाख से भी अधिक रील्स या वीडियो बनाए जाते हैंं। ये सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किए जा रहे हैं। रील्स के माध्यम से बड़ी संख्या में युवा काल्पनिक दुनिया मे जीने लगे हैं। मनोविज्ञानी बताते हैं कि युवाओं को वर्चुअल दुनिया अधिक पसंद आ रही है। वे इसी को जीना पसंद कर रहे हैं। वे यहीं सुख-दुख ढूंढ रहे हैं। नतीजा यह है कि वे मानसिक रूप से कमजोर हो रहे हैं और उनकी याददाश्त भी कम होते जा रही है।

Reels Side Effects : लगातार स्क्रॉलिंग करने से लोगों में भूलने की समस्या हो रही है। इनमें बच्चे से लेकर युवाओं तक सभी शामिल हैं। क्षणिक भूलने की यह समस्या दिमाग में चल रहे रील्स, शॉर्ट वीडियो के प्रभाव के चलते हो रही है। इसका समाधान रील्स या शॉर्ट वीडियो देखने की आदत को कम करने से ही होगा।

  • डॉ. प्रतिभा कोष्टा, मनोविज्ञानी