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Hidden Metabolic Problem: बिना लक्षणों के फैल रही है ये मेटाबॉलिक बीमारी, 60% दक्षिण एशियाई हैं इस बीमारी के शिकार

Hidden Metabolic Problem: दक्षिण एशियाई लोगों में 60% तक इंसुलिन रेजिस्टेंस पाया जा रहा है। जानें इसके लक्षण, कारण और इसे रिवर्स करने के आसान उपाय जो लिवर और मेटाबॉलिक हेल्थ सुधारते हैं।

भारत

Dimple Yadav

Nov 05, 2025

Hidden Metabolic Problem
Hidden Metabolic Problem (photo- gemini ai)

Hidden Metabolic Problem: आजकल एक चौंकाने वाला ट्रेंड सामने आ रहा है। करीब 60% दक्षिण एशियाई लोग (South Asians) एक छिपी हुई मेटाबॉलिक समस्या से जूझ रहे हैं जिसे कहते हैं इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance)। यह सिर्फ मोटापे या तैलीय खाने की वजह से नहीं होता, बल्कि हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म के असंतुलन की वजह से होता है। यही कारण धीरे-धीरे फैटी लिवर, पेट की चर्बी और डायबिटीज जैसी बीमारियों को जन्म दे रहा है।

अगर आप अक्सर थकान महसूस करते हैं, पेट की चर्बी घट नहीं रही या हेल्दी खाने के बावजूद वजन नहीं घट रहा। तो ये संकेत हो सकते हैं कि आपके शरीर में इंसुलिन सही से काम नहीं कर रहा।

इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या होता है?

जब हमारा शरीर इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाता है, तो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए पैनक्रियास को ज्यादा इंसुलिन बनाना पड़ता है। रिसर्च के मुताबिक दक्षिण एशियाई लोगों में यह समस्या बाकी देशों की तुलना में ज्यादा पाई जाती है। चाहे व्यक्ति पतला ही क्यों न हो या पारंपरिक खाना ही क्यों खाता हो। यही धीरे-धीरे शरीर में पेट की चर्बी, लिवर में फैट और डायबिटीज की जड़ बन सकती है।

दक्षिण एशियाई लोग ज्यादा प्रभावित क्यों?

जीन (Genetic Factor): पुराने समय में हमारे जीन ऐसे बने थे कि शरीर ऊर्जा को बचाकर रखे, लेकिन अब यही जीन हमें नुकसान पहुंचा रहे हैं।

बॉडी कंपोजिशन: हमारा शरीर दूसरे देशों की तुलना में कम मसल्स और ज़्यादा पेट की चर्बी रखता है, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाता है।

डाइट: बार-बार चाय में चीनी, चावल, रोटी और कार्ब्स से भरा खाना ब्लड शुगर को बढ़ाता है और लिवर पर बोझ डालता है।

शुगर ट्रैप असली दुश्मन

अक्सर लोग फैटी लिवर या मेटाबॉलिक सिंड्रोम का कारण तेल या शराब को मानते हैं, जबकि हकीकत में अधिक चीनी और कार्ब्स ही असली कारण हैं। मीठी चाय, बिस्किट, मिठाइयां और बार-बार स्नैकिंग शरीर में शुगर बढ़ाती है, और ये अतिरिक्त शुगर लिवर और पेट में फैट के रूप में जमा हो जाती है।

पहचानें शुरुआती संकेत

डॉक्टर तनिशा शेकदर के अनुसार इंसुलिन रेजिस्टेंस के कुछ आम लक्षण हैं। पेट की जिद्दी चर्बी, लगातार थकान, ब्लोटिंग, पीसीओएस या स्किन प्रॉब्लम्स, हेल्दी डाइट के बावजूद वजन न घट पाना इसके शुरुआती संकेत हो सकते हैं।

क्या करें?

चाय, स्नैक्स और मिठाई में चीनी कम करें। रोटी-चावल की मात्रा घटाएं, और प्लेट में सब्जियां व प्रोटीन बढ़ाएं। हर 1-2 घंटे में थोड़ा चलें या स्ट्रेच करें। सिर्फ कार्डियो नहीं, मसल्स बढ़ाने वाले एक्सरसाइज करें। रात का खाना जल्दी और हल्का खाएं।
पैक्ड स्नैक्स से सावधान रहें, क्योंकि वे भी शुगर बढ़ाते हैं।

समय रहते अपनी आदतें बदले

अगर आप समय रहते अपनी आदतें बदलते हैं। जैसे शुगर घटाना, ज्यादा चलना, और मसल्स बढ़ाना। तो इंसुलिन रेजिस्टेंस और फैटी लिवर को रिवर्स किया जा सकता है। अब वक्त है कि हम सिर्फ पारंपरिक खाने पर भरोसा न करें, बल्कि संतुलित और जागरूक जीवनशैली अपनाएं। सही खान-पान और नियमित गतिविधि से आपका लिवर ठीक हो सकता है और आप फिर से एनर्जेटिक महसूस करेंगे।