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गीगले नहीं रहेंगे लुडगर, पढ़ेंगे मायड़ बोली बागड़ी के शब्द

मायड़ भाषा के जानकारों ने पाठ्यक्रम में शामिल कराने को मायड़ बोली के एक हजार से अधिक शब्दों का किया चयन, मायड़ बोली के शब्दों से विद्यार्थियों को परिचित कराने की मंशा, विद्यार्थियों की मायड़ बोली में पढऩे व समझने की क्षमता बढऩे से होगा लाभ

Experts of Maayda language have selected more than a thousand words of Maayda dialect for inclusion in the syllabus
Experts of Maayda language have selected more than a thousand words of Maayda dialect for inclusion in the syllabus

अदरीस खान @ हनुमानगढ़. अब गीगलिया माने छोटे बच्चे मायड़ बोली के शब्दों की समझ के मामले में लुडगर मतलब नासमझ नहीं रहेंगे। हर जिले में वहां के विद्यार्थी अपनी मायड़ बोली से और गहराई से परिचित हो सकेंगे। क्योंकि इस दिशा में राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उदयपुर ने कवायद शुरू कर रखी है। इसके तहत ही राजस्थानी भाषा के जानकारों ने हनुमानगढ़ जिले की प्रमुख बोली बागड़ी के शब्दों का चयन कर उनकी सूची बनाई है।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) हनुमानगढ़ के सहयोग से मायड़ भाषा के 10 जानकारों ने इस कार्य को अंजाम दिया है। शब्दों की सूची राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को भेजी जा चुकी है। अब परिषद स्तर पर उनका उपयोग कर पाठ्यक्रम में इस तरह शामिल किया जाना है कि प्रदेश के सभी जिलों के विद्यार्थी अपने ठेठ देशी शब्दकोश के ज्ञान में इजाफा कर सकें।

1102 शब्दों का चयन

जानकारी के अनुसार भाषा के जानकारों ने जिले से कुल 1102 शब्दों का चयन कर उनकी सूची बनाकर परिषद को भिजवाई है। आसपास के कई जिलों में हजारों मायड़ बोली के शब्द समान होने के कारण, यह ध्यान रखा गया है कि दोहराव ना हो। सूची में बागड़ी शब्द के साथ उसका हिन्दी और अंग्रेजी में अर्थ बताया गया है ताकि शिक्षा विभाग और परिषद के हिन्दी और अंग्रेजी भाषी अफसर आसानी से समझ सकें।

पढ़ेंगे परगै, परारगै और भाभड़ाभूत

जल्दी ही जिले के टाबर समझ सकेंगे कि परगै (पिछले साल), परारगै (पिछले से पिछले साल) और भाभड़ाभूत (उतावला होना) का क्या मतलब होता है। यह शब्द घरों में अधिकांश ने बुजुर्गों से सुने हैं। मगर अंग्रेजी शिक्षा के दौर में मां बोली के शब्द कहीं खोते जा रहे हैं। उदाहरण के लिए मेणियो-प्लास्टिक, कावळ-अनुचित, अटकळ-तरकीब, डांफर-शीतलहर, धकड़बोझ-तेज आग, अचपळो-चंचल, भचीड़-झटका आदि शब्द।

बागड़ी है राजस्थानी की प्रमुख बोली

हिन्दी से एकदम भिन्न भाषा है राजस्थानी। इसका प्रमाण लघु शब्दकोश है जो हमने तैयार कर परिषद को भिजवाया है। बागड़ी भी राजस्थानी की एक प्रमुख बोली है और इसका शब्द भंडार बहुत विशाल है। - डॉ. सत्यनारायण सोनी, लेखक समूह के सदस्य।

यह होगा लाभ, इसलिए प्रयास

  • मातृभाषा के माध्यम से बच्चे जल्दी सीखते हैं और इस तरह सीखा हुआ ज्ञान उनके जेहन में स्थाई जगह बना लेता है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बच्चों को उनकी मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा दी जाएगी। इसी दृष्टि से शब्द सारणी एक शुरुआत है।
  • सभी जिलों में डाइट के माध्यम से स्थानीय भाषा में शिक्षण सामग्री निर्माण के कार्य भी चल रहे हैं।
  • आरएससीईआरटी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की पाठ्यचर्या में प्राथमिक स्तर पर स्थानीय भाषा, माध्यमिक स्तर पर द्वितीय व तृतीय भाषा समूह में राजस्थानी भाषा तथा उच्च माध्यमिक स्तर पर भाषा व भाषा साहित्य में भी राजस्थानी को शामिल किया है।