GST: देसी घी के शौकीनों को सरकार से राहत की उमीद थी, लेकिन ब्रांडेड घी कंपनियों ने सब उम्मीदों पर पानी फेर दिया। सरकार ने 22 सितंबर से देसी घी पर जीएसटी की दर 12 से घटाकर 5% करने का फैसला किया, लेकिन इससे पहले ही कंपनियों ने घी के दामों में भारी बढ़ोतरी कर दी।
जो रेट कम होंगे उसकी भरपाई बढ़े रेट से की जाएगी, ऐसे में जो लाभ ग्राहक को मिलना था, वह नहीं मिलेगा। कंपनियों ने प्रति 15 किलो टिन पर 600 से 800 रुपए तक दाम बढ़ा दिए हैं। जानकारों का मानना है कि कंपनियों ने जानबूझकर टैक्स घटने से पहले कीमतें बढ़ाई हैं, ताकि टैक्स कटौती का लाभ ग्राहकों तक न पहुंचे और वे खुद ही मुनाफा कमा सकें। कंपनियों का कहना है कि दूध की आवक कम होने से दाम बढ़े हैं, लेकिन यह तर्क गले नहीं उतरता। सवाल यह है कि क्या सरकार इस मुनाफाखोरी पर लगाम लगाएगी या यह फायदा भी कंपनियों की झोली में ही चला जाएगा।
कंपनी - पहले - अब
पारस - 9200 - 10000
नोवा - 8500 - 9200
कृष्णा यूपी - 9000 - 9600
श्याम गोल्ड - 8650 - 9400
अमूल - 9000 - 9800
मधुसूदन - 9200 - 9900
उमंग - 9000 - 9800
सजल - 8700 - 9400
इंदौर. 22 सितंबर से जीएसटी की नई दरें लागू होंगी। ऐसे में छोटे व्यापारी मुनाफे के लालच में बिना जानकारी बड़ी मात्रा में माल स्टॉक कर रहे हैं, जो नुकसानदायक साबित हो सकता है। टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि दरें बढ़ने या घटने-दोनों ही हालात में व्यापारी लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं, बशर्ते वे सही रणनीति के साथ काम करें। विशेषज्ञ सीए सुनील पी. जैन के अनुसार, जिन वस्तुओं पर जीएसटी दरें बढ़ने वाली हैं, उन्हें व्यापारी अभी खरीद लें।
दरें बढ़ने पर वही पुराना स्टॉक नई दर पर बेचकर अतिरिक्त लाभ मिलेगा। जैसे, किसी वस्तु पर 12% से 18% जीएसटी होने पर, पहले खरीदा माल नई दर पर बेचने से 6% तक मुनाफा हो सकता है। वहीं, जिन वस्तुओं पर जीएसटी घटने वाली है, उन्हें नई दरें लागू होने से पहले बेच दें या सप्लायर को वापस कर दें। कंपोजिशन डीलर को भी सही प्लानिंग करनी होगी, वरना उनका टैक्स और माल दोनों फंस सकते हैं। सही रणनीति से 3-4 लाख तक का लाभ कमा सकते हैं।
शहर में हर रोज करीब 300 टिन देसी घी की खपत होती है, जो त्योहारी सीजन में बढ़कर 500 टिन तक पहुंच जाती है। यह घी पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों से आता है। खुले बाजार में भी देसी घी के दाम 50 रुपए प्रति किलो तक बढ़ गए हैं। पहले जहां घी 650-680 रुपए किलो बिक रहा था, अब 700 से 720 रुपए किलो बिक रहा है।
दूध डेयरी व्यवसायी संघ के राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र मांडिल का कहना है कि दूध की आवक कम होने से घी के दाम बढ़े हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ दूध की आवक कम होने से इतनी बड़ी बढ़ोतरी हो सकती है? देसी घी के थोक कारोबारी अभय गुप्ता का कहना है कि ब्रांडेड घी के टिन में 600 से 800 रुपए की तेजी आई है। कंपनियों ने जीएसटी की दरें कम होने से पहले ही दाम बढ़ा दिए हैं। इससे खुले बाजार में भी असर पड़ा है।
Published on:
19 Sept 2025 03:51 pm