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सपना बनकर रह गया मेडिकल कॉलेज और नगर निगम, नेताओं-अफसरों की खींचतान ने बढ़ाई दिक्कत

MP News: दो साल गुजर गए, लेकिन बड़े ऐलान अभी भी हवा में लटके हैं। गुना में नेताओं की खींचतान और अफसरों की सुस्ती से मेडिकल कॉलेज और नगर निगम का सपना अधूरा है।

गुना

Akash Dewani

Sep 17, 2025

guna nagar nigam status delayed shivraj singh chouhan mp news
guna nagar nigam status delayed shivraj singh chouhan (फोटो- सोशल मीडिया)

Guna Nagar Nigam Status: गुना में ठीक दो साल पहले, 16 सितंबर को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chouhan) जन आशीर्वाद यात्रा लेकर गुना आए थे। यहां लक्ष्मीगंज में आयोजित सभा में उन्होंने गुना में मेडिकल कॉलेज (Guna Medical College) खोलने और नगरपालिका को नगर निगम का दर्जा देने की घोषणा की थी। लेकिन इन दोनों में से एक भी घोषणा अब तक पूरी नहीं हो सकी। जनप्रतिनिधियों जनता से जुड़े इन दोनों मामलों में कोई ध्यान नहीं दिया। जबकि नई सरकार बनने के बाद प्रदेश में तीन नए मेडिकल कॉलेज खुल गए, गुना का सपना अधूरा ही रह गया। (mp news)

आपसी लड़ाई के कारण अटका विकास

जिले के जानकारों का कहना है कि ये दोनों प्रमुख सौगातें बड़े नेताओं की आपसी लड़ाई और श्रेय लेने की होड़ के कारण अटकी है। जनप्रतिनिधि किसी भी प्रस्ताव पर एकराय नहीं है। इसी तरह जिले के प्रशासनिक अफसर भी इन प्रस्तावों को मंजूर कराने में रुचि नहीं ले रहे हैं। इसीलिए अन्य जिलों से गुना पिछड़ रहा है। (mp news)

मेडिकल कॉलेजः बिलौनिया में जमीन आवंटित, लेकिन टेंडर में अटका काम

  • पांच साल पूर्व तत्कालीन सांसद डॉ. केपी यादव ने केंद्र सरकार से गुना में मेडिकल कॉलेज खुलवाने की स्वीकृति कराई थी। लेकिन कुछ गलत जानकारी के कारण यहां खुलने वाले मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव निरस्त हो गया था।
  • सितंबर, 23 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद मेडिकल कॉलेज पीपीपी मोड पर जिला अस्पताल में संचालन का निर्णय हुआ, लेकिन आपसी राजनीति के चलते यह निर्णय बदला। इसके लिए नई जगह देखने का जिम्मा प्रशासन को सौंपा।
  • मेडिकल कॉलेज के लिए बिलौनिया समेत दो-तीन जगह जमीन देखी गई। अंत में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्देश पर बिलौनिया के पास साढ़े 13 बीघा जमीन फायनल हुई।
  • कुछ समय पूर्व मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे, लेकिन सिंगल टेंडर आने से प्रक्रिया को रोकना पड़ा। अब पुनः स्वास्थ्य विभाग को टेंडर बुलाना है, लेकिन अभी तक प्रक्रिया शुरु नहीं हो पाई है। टेंडर का प्रस्ताव भोपाल में लटका हुआ है।

नगरनिगमः फिर मांगी खसरे आदि की जानकारी, हरिपुर हटाकर भेजा प्रस्ताव

  • राज्य शासन ने प्रस्तावित गुना नगर निगम क्षेत्र में शामिल होने वाले गांवों के खसरे, नक्शे आदि की जानकारी मांगी है।
  • गुना नगर निगम में 36 गांवों को शामिल किए जाने का निर्णय लिया गया था। लेकिन आपसी राजनीति के चलते हरिपुर गांव को नगरीय क्षेत्र की सीमा में शामिल नहीं किया गया था। इस कारण विरोध होता रहा।
  • हरिपुर, सकतपुर, गड़ला गिर्द जैसे कुछ गांवों के लोग गुना नगर निगम में अपने गांव के शामिल किए जाने का विरोध करने उतर आए। भाजपा विधायक फनालाल शाक्य ने एक बयान में कहा था कि हरिपुर शामिल नहीं किया तो गुना नगरनिगम भी नहीं बनेगा।
  • कलेक्टर किशोर कन्याल ने मई-जून में एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें हरिपुर गांव शामिल नहीं था। इस प्रस्ताव में लगभग 32 से अधिक गांवशामिल थे। इसमें आबादी लगभग तीन लाख दस हजार शामिल थी।
  • हाल ही में नगरीय शासन एवं विकास विभाग ने गुना नगरपालिका से जानकारी मांगी है कि जिन गांवों को नगरीय क्षेत्र में शामिल किया जा रहा है, उन गांवों के खसरे और नक्शे भिजवाए जाएं।

जिम्मेदारों का कहना ये

  • मेडिकल कॉलेज के लिए जगह फायनल हो गई है. जल्य ही टेंडर प्रक्रिया होना है। अगले वर्ष तक मेडिकल कॉलेज अस्तित्व में आ जाएगा। गुना नगरपालिका को नगर निगम बनाए जाने का प्रस्ताव भी राज्य शासन के पास भेज दिया है। - -किशोर कन्याल, कलेक्टर गुना
  • गुना नगर निगम के संबंध में प्रस्ताव भेजा गया था, उसमें कुछ जानकारी, उन गांवों के खसरे, नक्शे आदि मांगे हैं जिनको नगर निगम सीमा में शामिल किया जा रहा है। जल्द ही यह जानकारी हम भेज देंगे।- संजय श्रीवास्तव, परियोजना अधिकारी शहरी विकास अभिकरण गुना
  • गुना में जल्द मेडिकल कॉलेज खुलना चाहिए। गुना नगर निगम बनाना है तो उसमें हरिपुर को शामिल किया जाए। नगर निगम बनने के बाद गुना शहर का विकास और तेजी से होगा।- पन्नालाल शाक्य, विधायक गुना

पत्रिका अपील

हे गुना शहर के रहनुमाओं, आप इस शहर और जिले के हित में अपने मतभेद दूर कर एकमत होकर विकास के लिए काम करें। आपको पता है कि जिला अस्पताल में पर्याप्त सुविधाएं न होने से लोगों को इलाज के लिए 200 किमी दूर ग्वालियर, भोपाल या इंदौर जाना पड़ता है। नगरपालिका का बजट कम होने के कारण शहर का विकास नहीं हो पा रहा। नगरनिगम बनने से बजट बढ़ेगा तो शहर के विकास के रास्ते खुलेंगे।