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शिक्षा की कोई ‘सीमा’ नहीं होनी चाहिए: बंगारप्पा

मंत्री ने बताया कि केपीएस स्कूलों में पहली कक्षा से ही कंप्यूटर शिक्षा और छठी कक्षा से कौशल विकास कक्षाएं शुरू की जाएंगी। साथ ही, एलकेजी से 12वीं तक पढऩे वाले बच्चों को कपड़े, भोजन, किताबें और मुफ्त बस सुविधा दी जाएगी।

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा कि शिक्षा Education एक 'सीमाहीन' विषय है। यह किसी जाति, धर्म या भौगोलिक सीमा से बंधी नहीं है। देश की प्रगति का एकमात्र मार्ग शिक्षा ही है। डॉ. आजाद के सपनों को साकार करने के लिए ईमानदारी से कार्य करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

वे गुरुवार को देश के पहले शिक्षा मंत्री डॉ. मौलाना अबुल कलाम आजाद Dr. Maulana Abul Kalam Azad की जयंती के उपलक्ष्य में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा दिवस कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, मंत्री बनने के तुरंत बाद मैंने पाठ्यपुस्तक संशोधन पर हस्ताक्षर किए। हमारा स्पष्ट मत है कि बच्चों को शिक्षा मिलनी चाहिए, लेकिन किसी भी जाति या धर्म से जुड़ी, या उन्हें भ्रमित करने वाली बातें पुस्तकों में नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पहले केवल 308 कर्नाटक पब्लिक स्कूल (केपीएस) थे, जिन्हें उनकी सरकार ने बढ़ाकर 900 कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों की लगभग 6,000 ग्राम पंचायतों में 6,000 केपीएस स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। शिक्षा विभाग इस वर्ष लगभग 45,000 करोड़ रुपए का बजट खर्च कर रहा है और आने वाले दिनों में शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।

नई पहलें

मंत्री ने बताया कि केपीएस स्कूलों में पहली कक्षा से ही कंप्यूटर शिक्षा और छठी कक्षा से कौशल विकास कक्षाएं शुरू की जाएंगी। साथ ही, एलकेजी से 12वीं तक पढऩे वाले बच्चों को कपड़े, भोजन, किताबें और मुफ्त बस सुविधा दी जाएगी।