Patrika Logo
Switch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

प्लस

प्लस

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

अस्पताल के पथ पर…पार्किंग संचालक का अवैध कर!

जिला अस्पताल में पार्किंग का ठेका मरीजों और उनके अटेंडरों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। दरअसल ठेका संचालक ने अस्पताल को जाने वाले मार्ग पर चुंगी लगा रखी है और जब तक उसकी रिक्वारमेंट पूरी नहीं हो जाती मरीजों के वाहनों को अंदर तक जाने नहीं दिया जाता, चाहे मरीज की हालत कितनी भी गंभीर क्यों न हो, जबकि इमरजेंसी को जाने वाले मरीजों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता।

अस्पताल के पथ पर...पार्किंग संचालक का अवैध कर! On the way to the hospital...illegal tax by the parking operator!

-इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के लिए परेशानी का सबब बना पार्किंग ठेका

-जब तक संचालक की रिक्वारमेंट पूरी नहीं...तब तक अस्पताल में नो एंट्री-कई बार हो चुके हैं संचालक और मरीजों के अटेण्डरों के बीच झगड़ा

धौलपुर. जिला अस्पताल में पार्किंग का ठेका मरीजों और उनके अटेंडरों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। दरअसल ठेका संचालक ने अस्पताल को जाने वाले मार्ग पर चुंगी लगा रखी है और जब तक उसकी रिक्वारमेंट पूरी नहीं हो जाती मरीजों के वाहनों को अंदर तक जाने नहीं दिया जाता, चाहे मरीज की हालत कितनी भी गंभीर क्यों न हो, जबकि इमरजेंसी को जाने वाले मरीजों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता।

जिला अस्पताल में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो इसको लेकर अस्पताल प्रबंधन प्रतिवर्ष पार्किंग का ठेका जारी करता है। यह ठेका गत माह ही जारी किया गया है, लेकिन अब यही पार्किंग ठेका मरीजों सहित अटेण्डरों की परेशानी का कारण बनता जा रहा है, जहां आए दिन मरीजों के अटेण्डरों और ठेका संचालक से झगड़े हो रहे हैं। दरअसल ठेका संचालक ने पार्किंग स्थल के सामने और अस्पताल को जाने वाले मार्ग पर चुंगी लगा रखी है। जिस कारण गंभीर हालत में होने वाले मरीजों को लाने वाले वाहन को भी पहले ठेका संचालक की सारी रिक्वारमेंट पूरी करनी होती है उसके बाद ही मरीज के वाहन को अस्पताल में जाने के लिए एंट्री मिलती है, अगर मरीज की हालत गंभीर होने पर अटेण्डर थोड़ी जल्दबाजी दिखाते हैं तो ठेका संचालक झगड़े पर उतारू हो जाते हैं, जबकि जानकारी के अनुसार इमरजेंसी में जाने वाले मरीज से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं वसूला जाता है। जब इस बारे में मरीजों के परिजनों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि मरीजों के अटेण्डरों और ठेका संचालक से कई बार झगड़े के मामले सामने आ चुके हैं। अभी गत आठ-दस दिन पहले भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था, लेकिन इस ओर अस्पताल प्रबंधन का कतई ध्यान नहीं है। जानकारी के अनुसार यह भी बात सामने आई है कि दो पहिया वाहन के लिए १० और चार पहिया वाहन के लिए २० रुपए का शुल्क निर्धारित है, लेकिन रात्रि के समय यह संचालक मरीजों और उनके अटेण्डरों से मनमाफिक रुपया वसूलते हैं।

गंभीर मरीजों से भी वसूलते शुल्क

जब इस मामले की जानकारी लेनी चाही तो कई मरीजों के अटेण्डर मिले जिन्होंने बताया कि जब कोई सीरियस मरीज को लाया जाता है। या फिर कोई दोपहिया, चार पहिया वाहन मरीज को लाते हैं वह उन्हें इमरजेंसी छोड़ तत्काल वापस चले जाते हैं, जबकि वह वाहन वहां रुकते तक नहीं। अब ऐसे में उन वाहनों पार्किंग शुक्ल नहीं वसूला जाना चाहिए, लेकिन होता इसके बिल्कुल उलट है, जब तक वाहन चालक पार्किंग शुल्क देकर रसीद न ले ले तब तक वाहन को अस्पताल में एंट्री नहीं मिलती है।

चुंगी हटा...खुले आम रास्ता

मरीजों के अटेण्डरों का कहना है कि ठेका संचालक ने भी पार्किंग का ठेका लिया है, इसलिए उसका भी मुनाफा निकलना चाहिए। जिसके लिए ठेका संचालक को अन्य व्यवस्थाएं करने पर जोर देना चाहिए। जैसे चुंगी को हटाकर अपनी कर्मचारियों को तैनात कर दे, जो वाहनों के आवागमन में ध्यान रखेंगे और जो वाहन सिर्फ गंभीर मरीजों को छोडऩे के लिए इमजेंसी में आते हैं उनसे कोई शुल्क वसूल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि वह वाहन मरीजों को छोडक़र तत्काल वापस चलेे जाते हैं।

अस्पताल के आसपास दुकानों पर तंबाकू की बिक्री

सरकार के आदेशानुसार विद्यालय और अस्पताल के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू निषेध है, लेकिन जिला अस्पताल के आसपास संचालित होने वाली दुकानों में गुटखा से लेकर बीडी और सिगरेट धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। जो कि सरकार के आदेश का उल्लंघन है। अस्पताल प्रबंधन इसको लेकर न कभी मॉनिटरिंग करता है और ही जांच परख। यही कारण है कि यह दुकानदार अस्पताल के आसपास धड़ल्ले से तंबाकू और गुटखा बेच रहे हैं।

अगर मरीजों से इस तरह शुल्क वसूला जा रहा है तो मैं जल्द ही मामले को दिखवाता हूं। हमारे लिए मरीजों का इलाज पहली प्राथमिकता है।

-समरवीर सिंह, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी