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Mokshada Ekadashi 2025 : कब है मोक्षदा एकादशी? यहां जानें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा की सही विधि

Mokshada Ekadashi Vrat Vidh : मोक्षदा एकादशी 2025 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में मनाई जाएगी, जिसे मोक्ष, पितृ-तृप्ति और विष्णु-भक्ति का सर्वोच्च दिन माना गया है। इस तिथि पर विशेष योग बनने से व्रत, दान और पूजा कई गुना फलदायी मानी जाती है।

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Mokshada Ekadashi 2025

Mokshada Ekadashi 2025 : मोक्षदा एकादशी व्रत 2025: एक व्रत और 7 पीढ़ियों को मोक्ष (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Mokshada Ekadashi 2025 : हिन्दू धर्म में एकादशी का स्थान बहुत ऊंचा माना गया है। धर्मग्रंथों में इसे ऐसी तिथि बताया गया है, जो साधक के भीतर आत्मिक शुद्धि जगाती है और उसे पापकर्मों से विमुक्त करने का मार्ग दिखाती है। पुराणों में बताया गया है कि एकादशी को देवताओं की रक्षा-तिथि कहा गया है, जो मनुष्य को सांसारिक बंधनों से पार कर मोक्ष की दिशा में अग्रसर करती है। साल में 24 एकादशियों में से मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष वाली एकादशी जिसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है, विशेष फलदायी मानी गई है। यह तिथि हर उस साधक के लिए महत्वपूर्ण अवसर है, जो मोक्ष, शांति और पितृ-कल्याण का मार्ग खोजता है।

मोक्षदा एकादशी शुभ मुहूर्त | Mokshada Ekadashi Shubh Muhurat

इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा। द्रिक पंचांग के अनुसार एकादशी की शुरुआत 30 नवंबर को शाम 4:30 बजे होगी और इसका समापन 1 दिसंबर दोपहर 2:20 बजे पर होगा। इस पावन दिन पर रेवती नक्षत्र, व्यतिपात योग और करण बव का दुर्लभ मेल बन रहा है, जिसे शास्त्रों में अत्यंत शुभ संयोग कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार के योग में किया गया कोई भी अच्छा कर्म कई गुणा बढ़कर फल देता है।

मोक्षदा एकादशी का धार्मिक महत्व | Mokshada Ekadashi Significance

पद्म पुराण में मोक्षदा एकादशी को अनंत पुण्य प्रदान करने वाली तिथि बताया गया है। इस दिन व्रत करने, भगवान विष्णु का स्मरण, दान और सेवा—इन सबका प्रभाव साधक के जीवन में बेहद सकारात्मक माना जाता है। पितृ-तृप्ति के लिए भी यह तिथि अत्यंत शुभ मानी गई है, क्योंकि इस दिन किए गए तर्पण और दान से पितरों को शांति प्राप्त होती है।

धार्मिक मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवद्गीता का दिव्य उपदेश दिया था। इसलिए यह तिथि केवल मोक्ष का ही प्रतीक नहीं, बल्कि धर्म, कर्तव्य और आत्मज्ञान का भी संदेश देती है।

वैष्णव परंपरा में मोक्षदा एकादशी को साल की सबसे पुण्यकारी तिथि माना गया है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन बैकुंठ के द्वार साधकों के लिए खुल जाते हैं और सच्चे मन से व्रत रखने वाला व्यक्ति विष्णुधाम की प्राप्ति का अधिकारी बनता है।

मोक्षदा एकादशी की पूजा-विधि | Mokshada Ekadashi Vrat Vidh

इस पवित्र दिन की शुरुआत प्रातःकाल स्नान से करें और इसके बाद सफेद या हल्के रंग के वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की पंचोपचार पूजा—गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य—से आराधना करें। इस दिन तुलसी पत्र अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। दिनभर फलाहार या निर्जला व्रत रखकर विष्णु सहस्रनाम, मंत्र-जप और भजन-कीर्तन करना अच्छा माना गया है। अगले दिन द्वादशी में पारण करके व्रत पूरा करें और भगवान विष्णु का आभार व्यक्त करें।