Patrika Logo
Switch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

प्लस

प्लस

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

Pind Daan in Gaya: अनिल अंबानी ने गया में किया पिंडदान, जानिए यहां श्राद्ध करने का क्या बताया गया है महत्व

Pind Daan in Gaya: प्रसिद्ध उद्योगपति अनिल अंबानी ने गया में पिंडदान किया है। इससे यह विषय चर्चा में है कि गया में श्राद्ध और पिंडदान का महत्व क्या है। आइये जानते हैं ..

Anil Ambani performed Pind Daan
Anil Ambani performed Pind Daan : अनिल अंबानी ने पितरों का पिंडदान गया में किया

Pind Daan in Gaya Importance: वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार यजुर्वेद में कहा गया है कि शरीर छोड़ने के बाद ऐसे लोग जिन्होंने तप-ध्यान किया है उनकी आत्मा ब्रह्मलोक चली जाती है यानी ब्रह्मलीन हो जाती है।


कुछ सत्कर्म करने वाले भक्तजन स्वर्ग चले जाते हैं और देव बन जाते हैं। जबकि राक्षसी कर्म करने वाले कुछ लोग प्रेतयोनि में अनंतकाल तक भटकते रहते हैं और कुछ फिर धरती पर जन्म ले लेते हैं। जन्म लेने वालों में भी जरूरी नहीं कि वे मनुष्य योनि में ही जन्म लें।


इधर, धरती पर जन्म से पहले ये सभी आत्मा पितृलोक में रहती हैं, वहीं उनका न्याय होता है। मान्यता है कि पितृ लोक में निवास करने वाले पितर वंशजों के श्राद्ध, पिंडदान से तृप्त होते हैं। विशेष रूप से श्राद्ध पक्ष में पितर पितृ लोक से इसके लिए धरती लोक में आती हैं। साथ ही जब वंशज इनका गया में पिंडदान करते हैं तो पितरों को पितृलोक से मुक्ति मिल जाती है, उनको स्वर्ग की प्राप्ति होती है।


इसी लिए यहां पिंडदान अंतिम श्राद्ध माना जाता है। इसके बाद हर साल श्राद्ध करने की जरूरत नहीं होती। हालांकि कुछ विद्वान बद्रीनाथ के ब्रह्मकपाली को अंतिम श्राद्ध स्थल मानते हैं। उनका कहना है कि गया श्राद्ध के बाद सिर्फ धूप देना बंद करना चाहिए। ब्रह्मकपाली में श्राद्ध करने के बाद तर्पण और ब्राह्मण भोजन की बाध्यता समाप्त हो जाती है।


हर साल श्राद्ध करना चाहिए

कुछ शास्त्रों का स्पष्ट निर्देश है कि गया और ब्रह्मकपाली में श्राद्ध करने के बाद भी अपने पितरों के निमित्त तर्पण और ब्राह्मण भोजन अथवा आमान्न (सीधा) दान करना श्रेष्ठ है। क्योंकि अच्छे कार्य की कोई सीमा नहीं होती है।


पितृ ऋण से मिलती है मुक्ति

पं. शिवम तिवारी के अनुसार जब मनुष्य पृथ्वी लोक पर जन्म लेता है तो उस पर तीन ऋण लद जाते हैं जैसे देव ऋण, गुरु ऋण और पितृ ऋण। माता-पिता की सेवा करके मरणोपरांत पितृपक्ष में उनके तर्पण से ही व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त होता है।

दशरथ के पिंडदान के लिए गया गए थे भगवान

पं. शिवम तिवारी के अनुसार वैसे तो देश के कई हिस्सों में पितरों के श्राद्ध का महत्व है, फिर वह पुष्कर, गंगासागर, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, चित्रकूट आदि हो, लेकिन गया में पिंडदान का अलग ही महत्व है। यहां श्राद्ध पिंडदान की महिमा का बखान भगवान राम ने भी किया है। इसीलिए वो दशरथ जी के पिंडदान के लिए फल्गु नदी के किनारे गया आए थे। हालांकि घटनाक्रम ऐसा घटा कि यहां माता सीता ने ही अयोध्या के राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में पिंडदान कर दिया था।


इसीलिए इस धाम को मोक्ष नगरी, पितृ तीर्थ के नाम से जाना जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार गया में पूर्ण श्रद्धा से पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष मिलता है । मान्यता है कि गया में भगवान विष्णु स्वयं पितृ देवता के रूप में फल्गु नदी के जल में उपस्थित रहते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार 21 पीढ़ियों में से एक भी व्यक्ति का पैर फल्गु में पड़ जाए तो उसके समस्त कुल का उद्धार हो जाता है।

ये भी पढ़ेंः Shradh Paksh: क्या गया में श्राद्ध के बाद भी करते हैं तर्पण, जानिए विद्वानों की राय


गरुण पुराण में ब्रह्मजी ने बताया महात्म्य

गरुण पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने वेद व्यास को बताया था कि जिन जातकों की मृत्यु संस्कार रहित दशा में हो जाती है या फिर पशु या फिर किसी चोर द्वारा, सर्प द्वारा आदि मारे जाते हैं, उनका गया में पिंडदान करने से वे श्राद्ध कर्म के पुण्य से बंधन मुक्त होकर स्वर्ग चले जाते हैं। इस जगह पर पिंडदान करने से मनुष्यों को करोड़ों वर्षों तक किए गए पुण्य के बराबर फल की प्राप्ति होती है।


यहां पुण्डरीकाक्ष भगवान जनार्दन, रथमार्ग और रुद्रपद आदि में कालेश्वर भगवान केदारनाथ और ब्रह्मा जी का दर्शन से व्यक्ति तीनों ऋणों से मुक्त हो जाता है। गदाधर पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का दर्शन उसे पुनर्जन्म के बंधन से मुक्त कर देता है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में लिखा गया कि फल्गु सर्वनाश और गदाधर देव का दर्शन, गयासुर (पिंड वेदियों, जिसकी संख्या कभी 360 थी, जिनमें से अब 48 ही बची हैं) की परिक्रमा ब्रह्म हत्या, सुरापान, गुरु पत्नी गमन जैसे पाप से भी मुक्ति दिलाती है।

पांच कोस तक मोक्ष नगरी

किंवदंती के अनुसार भस्मासुर के वंशज गयासुर ने एक बार ब्रह्माजी की कठोर तपस्या की और वरदान मांगा कि उसकी देह देवताओं सी पवित्र हो जाय और जो भी उसका दर्शन करे उसे पाप से मुक्ति मिल जाय।

इस वरदान के बाद गयासुर लेट गया यह शरीर 5 कोस में फैल गया। आगे चलकर इसी क्षेत्र में गया बसा और यहां पिंडदान किया जाने लगा। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु यहां श्रद्धा से पिंडदान करता है, उसेके पितरों को मोक्ष मिलता है।

उद्योग पति अनिल अंबानी ने की गया में पूजा

बता दें कि 26 जनवरी 2025 को उद्योगपति अनिल अंबानी ने बोध गया में पूजा अर्चना कराई। बता दें कि अंबानी परिवार हिंदू धर्मावलंबी है और हिंदू मान्यताओं के अनुसार गया पितरों के पिंडदान और श्राद्ध के लिए महत्वपूर्ण है।