
Unique Wedding:गाजे-बाजे के साथ दुल्हन पक्ष नाचते-गाते बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंचा। ये अनूठा नजार था रविवार को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के कलीच गांव का। यहां पर दुल्हन अपने दूल्हे के घर बारात लेकर पहुंच गई। उत्तराखंड के जौनसार में इस प्रकार के विवाह समारोह आम हैं। बंगाण क्षेत्र में करीब पांच दशक पहले लुप्त हो चुकी इस परंपरा के पुन: आयोजन के गवाह, स्थानीय ग्रामीण ही नहीं बल्कि बाहर से आए मेहमान और रिश्तेदार भी बने।
आराकोट के कलीच गांव में रविवार रात पूर्व प्रधान कल्याण सिंह चौहान के पुत्र मनोज की शादी हुई। यहां ग्राम जाकटा के जनक सिंह की पुत्री कविता ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ बारात लेकर कलीच पहुंची थी। दूल्हा पक्ष की ओर से भी पारंपरिक रीति रिवाज के साथ बारात का भव्य स्वागत किया गया। बड़ी बात ये भी है कि इस विवाह में दोनों पक्षों की ओर से दहेज या कोई अन्य डिमांड नहीं की गई। लड़के के पिता कल्याण सिंह उन्नतिशील खेती-किसानी और वैचारिक तथा सामाजिक प्रगति के लिए क्षेत्र में जाने जाते हैं। उन्होंने विस्मृत हो चुकी पारंपरिक विरासत के लिए अपने बेटे की शादी में द्वार खोल दिए। कल्याण कहते हैं, हमें अपनी संस्कृति को बचाना है तो पुराने रीति रिवाजों को जिंदा करना होगा। बता दें कि करीब पांच दशक पूर्व इस गांव में दूल्हन पक्ष ही बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंचता था। वह परंपरा धीरे-धीरे विलुप्त हो गई थी। इन दो परिवारों ने उस परंपरा को पुनर्जीवित करने का काम किया है।
उत्तरकाशी में हुई इस अनूठी शादी के साक्षी बनने के लिए दोनों पक्षों के तमाम रिश्तेदार और मेहमान भी पहुंचे हुए थे। अनोखी शादी में पौड़ी से रतन सिंह असवाल और दिल्ली से दलवीर सिंह रावत शामिल होने के लिए विशेष तौर पर यहां पहुंचे।असवाल कहते हैं इस क्षेत्र में यदा कदा होने वाले इस तरह के विवाह की चर्चा देशभर में होती है। इससे समाज को सकारात्मक संदेश जाता है। यहां होने वाले विवाह में दूल्हे वाले नहीं बल्कि दुल्हन वाले बाराती होते हैं। इसी तरह परंपरा हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में भी देखने को मिलती है।
उत्तरकाशी के आराकोट से कलीच, थुनारा मोटर मार्ग बेहद खराब स्थिति में है। यह सड़क लोनिवि ने काटी थी, लेकिन अब पीएमजीएसवाई को चली गई है। करीब 14 किमी लंबी इस सड़क का नौ किमी हिस्सा कच्चा है। जहां डामरीकरण होना है। बरसात में यहां के लोग बहुत कठिनाई उठाते है। मलबा आने से जब सड़क कई-कई जगह बंद हो जाती है तो किसान और बागवान अपनी नकदी फसलों को भी मंडी नहीं पहुंचा पाते हैं।
Updated on:
27 Oct 2025 09:29 am
Published on:
27 Oct 2025 08:03 am

