Patrika Logo
Switch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

प्लस

प्लस

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

कौन हैं वे पहले टेस्ट क्रिकेटर प्रकाश भंडारी जो तीन खेलों में थे ‘महारथी’, दिल्ली में आज उन्हें याद करेंगे स्पोर्ट्सलवर्स

Delhi first Test cricketer Prakash Bhandari Dies: दिल्ली के पहले टेस्ट क्रिकेटर प्रकाश भंडारी नहीं रहे। खाटी दिल्ली वाले भंडारी ने 1955 में कराची में अपना पहला टेस्ट मैच खेला। वे दिल्ली स्कूल और दिल्ली यूनिवर्सिटी से भी खेले। उन्होंने क्रिकेट के बाद गोल्फ और ब्रिज में नाम कमाया।

Delhi first Test cricketer Prakash Bhandari Dies
पूर्व भारतीय क्रिकेटर प्रकाश भंडारी। (फोटो सोर्स: एक्‍स@/IndianGolfUnion)

Delhi first Test cricketer Prakash Bhandari Dies: दिल्ली की क्रिकेट, गोल्फ और ब्रिज के खिलाड़ी अपने साथी प्रकाश भंडारी की शोक सभा में शामिल होने के लिए आज (शनिवार) को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एकत्रित होंगे। प्रकाश भंडारी भारत की तरफ से टेस्ट मैचों में खेलने वाले दिल्ली के पहले क्रिकेटर थे। उन्होंने भारत की गोल्फ और ब्रिज में भी नुमाइंदगी की। वे 90 साल के थे। उनका बुधवार 19 नवंबर को निधन हो गया था।

कराची में खेला पहला टेस्ट

सत्तर साल पहले प्रकाश भंडारी ने पाकिस्तान के खिलाफ 1955 में कराची की मैटिंग विकेट में अपना पहला टेस्ट खेला था। उन्होंने नंबर 8 पर बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में 19 और दूसरी में 6 रन बनाए और अपनी ऑफ-स्पिन से एक विकेट भी लिया। वे आक्रामक बल्लेबाज, बेहतरीन लेग ब्रेक गेंदबाज और कमाल के फिल्डर थे। उस समय वे भारत के सबसे कम उम्र के टेस्ट खिलाड़ियों में से एक थे।

रामजस स्कूल से हिन्दू कॉलेज

प्रकाश भंडारी का बचपन आनंद पर्वत में गुजरा। वहीं उन्होंने क्रिकेट खेली और सीखी। रामजस स्कूल, करोल बाग और हिन्दू कॉलेज के स्टुडेंट रहे प्रकाश भंडारी ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलकाता के ईडन गार्डन में 1956 में अपना अंतिम टेस्ट मैच में खेला था। कहने वाले कहते हैं कि भारतीय क्रिकेट में 1950 के दशक में जो सबसे चमकदार युवा प्रतिभाएं निकलीं, उनमें वे सबसे ऊपर थे।

उन्होंने सिर्फ 19 साल की उम्र में टेस्ट कैप हासिल कर ली थी। उस ज़माने में भारतीय खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मौके बहुत कम मिलते थे, ऐसे में इतनी कम उम्र में टेस्ट खेलना अपने आप में बड़ी बात थी। लेकिन अफसोस, उनका अंतरराष्ट्रीय करियर सिर्फ तीन टेस्ट मैचों तक ही सीमित रह गया।

तीन-तीन खेलों में महारत

दिल्ली के पूर्व रणजी ट्रॉफी कप्तान वेंकट सुंदरम कहते हैं कि प्रकाश भंडारी जीवन भर खेलते रहे। क्रिकेट छोड़ी तो गोल्फ खेलने लगे और फिर ब्रिज में भी अपने हाथ आजमाए। प्रकाश भंडारी दिल्ली स्कूल और दिल्ली यूनिवर्सिटी की तरफ से 1951 से लेकर 1956 तक खेले। उन्होंने दिल्ली की रणजी ट्रॉफी टीम से लगभग 60 मैच खेले।

भंडारी कहते थे कि वे क्रिकेट से रिटायर होने के बाद गॉल्फ से जुड़ गए। गोल्फ खेलते हुए उन्हें ब्रिज ने भी अपनी तरफ खींच लिया। प्रकाश भंडारी जैसे नैसर्गिक प्रतिभा संपन्न खिलाड़ी कम ही देखने को मिलेंगे। वे तीन-तीन खेलों में महारत हासिल कर सके। ये कोई साधारण कारनामा नहीं है।

घरेलू क्रिकेट में दिखाई असली चमक

उनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में किस्मत ने साथ नहीं दिया। ज्यादातर निचले क्रम पर बल्लेबाजी मिली और गेंदबाजी भी बहुत कम डाली गई। उन्होंने असली चमक तो घरेलू क्रिकेट में दिखाई। पहले दिल्ली के लिए, फिर कुछ सीजन बंगाल से खेले। 63 प्रथम श्रेणी मैचों में लगभग 2,552 रन बनाए, औसत 32-33 के आसपास।

चार शतक लगाए, सबसे बड़ी पारी दिल्ली के लिए 1957-58 में पटियाला के खिलाफ 227 रन बनाए। उसी मैच में 9 विकेट भी लिए – यानी एक ही मैच में दोहरा शतक और नौ विकेट! यह उनके हरफनमौला होने का सबसे शानदार नमूना था।

…तो सुपर स्टार होते

प्रकाश भंडारी के दौर में वनडे या टी20 क्रिकेट होती तो वे सुपरस्टार होते। गुजरे दौर के दिल्ली के क्रिकेटर और क्रिकेट प्रेमी उनके निधन से उदास हैं। मशहूर क्रिकेट कमेंटेटर रवि चतुर्वेदी कहते हैं कि अगर किस्मत थोड़ी और मेहरबान होती तो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में प्रकाश भंडारी का नाम कहीं ज्यादा चमकता।

उनके निधन पर हिन्दू कॉलेज पूर्व छात्र संघ ने भी शोक जताया है। वे 1952-55 तक हिन्दू कॉलेज के छात्र रहे थे। बता दें कि टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर, अजय जडेजा, सबा करीम भी हिन्दू कॉलेज से रहे हैं।