
सरदारशहर. देश विदेश में जहां अपने पुरुषार्थ से नाम कमाने वाले थळी और शेखावाटी अंचल लोगों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान दिया वहीं यहां के व्यंजन मिष्ठान देश दुनिया में पहचान कभी कम नहीं रही। ऐसी ही एक मिठाई फीणी जो शरद मौसम का एक ऐसा विशेष मिष्ठान है जो हर किसी का इस ओर ध्यान जाता ही है।
124 साल पुराना फीणी मिष्ठान कारोबार
यूं तो सरदारशहर में फीणी मिष्ठान कोई नया नहीं है और 124 पुराना फीणी का कारोबार यहां की पहचान बन चुका है। देश विदेश में रहने वाले प्रवासियों की सर्दी के मौसम में पहली पसंद फीणी होती है तो शरद में स्थानीय लोगों सहित आसपास के जिलों में फीणी की चाहना खूब रहती है।
ऐसे बनाते हैं फीणी
हलवाई गौरीशंकर, राजकुमार कंदोई का कहना है कि फीणी बनाने में बड़ी मेहनत लगती है। सबसे पहले रात्रि में मैदे को पानी में गूंथना, सुबह घी में गूंथना और इसके बाद गूंथे हुए मैदा को सैकड़ों बार लम्बा और गोल करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। प्रारंभिक प्रक्रिया के बाद इसे तलकर सुखाया जाता है और इसके बाद फीणी बनकर तैयार होती है।
मीठी और बिना चीणी की फीणी
हलवाई कंदोई का कहना है कि फीणी मीठी और बिना चीणी यानि फीकी बनती है। तैयार की गई फीणी को चीणी की चाशनी में डाल मीठा किया जाता है और फीकी फीणी को चाशनी में नहीं डाला जाता है। दोनों ही प्रकार की फीणी की बाजार में मांग रहती है। इसके अलावा मकर संक्रांति पर बनने वाली घेवर की भी मांग रहती है। जिनके मधुमेह है उन्हें फीकी फीणी ज्यादा भाती है। वैसे भी लोगों दोनों की प्रकार की फीणी खरीदते हैं और देश-विदेश में इसकी मांग रहती है।
40 से 50 क्विंटल बनती है फीणी
हलवाइयों के अनुसार सरदारशहर (Sardarsahar) में प्रतिदिन करीब 40 से 50 क्विंटल तक फीणी तैयार की जाती है। देश के आसाम, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक और तेलंगाना सहित कई राज्यों में इसकी मांग रहती है। अरब देशों में भी फीणी का निर्यात किया जाता है।
200 रुपए किलो से शुरू होते हैं भाव
हलवाइयों के अनुसार मीठी फीणी के भाव 200 रुपए किलो से लेकर 500 रुपए प्रति किलो तक होती है। वनस्पति घी से बनी फीणी 180 रुपए से 210 रुपए प्रति किलो ओर देशी घी की केसर युक्त मीठी फीणी 450-480 रुपए प्रति किलों के भाव है। वनस्पति घी को फीकी फीणी 230 से 250 रुपए प्रति किलों के बाजार भाव है। फीणी ट्रांसपोर्ट एवं कोरियर के माध्यम से पहुंचाई जाती है। इस कारोबार से यहां के सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
महीन तार जब बनते हैं रसदार
सरदारशहर के हवाइयों की ओर से महीन तार से बनाई जानेवाली फीणी चीणी की चाशनी से रसदार बनती है जो लोग इसके स्वाद के कायल हो जाते हैं। इसलिए सरदारशहर की फीणी देश विदेश में अपनी विशेष पहचान रखती है। हलवाई कहते है कि मज सर्दी में फीणी बनाने वाले कारीगरों के पसीने छुडा देती है क्योंकि यह इतनी नाजुक मिठाई है कि मात्र 5 ग्राम पानी या फिर एक या दो डिग्री तापमान कम ज्यादा हो जाए तो यह मिठाई बनने से पहले ही खराब हो जाती है।
चार पीढ़ियों से बना रहे हैं फीणी
यूं तो सरदारशहर में अनेक हवाई फीणी बनाते हैं इसमें कंदोई परिवार चार पीढ़ियों से फीणी बना रहा है। गौरीशंकर कंदोई तथा राजकुमार कंदोई ने बताया कि उनके यहां चार पीढिय़ों से फीणी बनाने का कार्य चल रहा है। जिसमें अब उनके बच्चे भी फीणी बना रहे है। बताया जाता है कि नानकराम कंदोई ने सबसे पहले हिसार, जोधपुर व बीकानेर में फीणी बनाने का प्रयास किया, लेकिन मौसम अनुकूल नहीं होने के कारण फीणी सही नहीं बनी। इसके बाद 1901 में सरदारशहर में फीणी बनाई जो अच्छी बनी। इसके बाद धीरे धीरे शहर में फीणी बनाने का सिलसिला चल पड़ा और इसका कारोबार बढ़ता गया। आज यहां पर छोटे मोटे करीब 100 मिष्ठान कारखानों में फीणी बन रही है जिसके कारण सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
Published on:
21 Nov 2025 12:13 pm

