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Rajasthan News : राष्ट्र शक्ति ज्ञान और भक्ति के अभिनव संगम से चहकी छोटी काशी

वार्षिकोत्सव पर जहां आश्रम परिसर दीपकों की रोशनी से जगमगाया वही वैदिक ध्वनियों से छोटी काशी का यह स्थल सरोबार हो गया। ‘कौन बनेगा वाचस्पति’ प्रतियोगिता की प्रारम्भिक परीक्षा में प्रतिभागियों ने शास्त्रीय ज्ञान, श्लोक-पाठ, एवं संस्कृत व्याकरण की सूक्ष्मताओं का प्रभावी प्रदर्शन किया।

चूरू. भक्त वत्सल सेठ जयदयाल गोयंका, भाईजी हनुमान प्रसाद पौद्दार और स्वामी रामसुखदास महाराज की ओर से पोषित और गीता प्रेस गोरखपुर की संचालित चूरू के ऋषिकुल ब्रह्मचार्य आश्रम के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव में छोटी काशी चूरू (Choti Kashi Churu) उस समय चहक उठी जब यहां राष्ट्र शक्ति, ज्ञान और भक्ति का अभिनव संगम हुआ। एक ओर जहां कार्यक्रमों में न केवल आध्यात्मिक चेतना का जागरण हुआ बल्कि विद्यार्थियों ने कला, संस्कृति और विद्वत्ता का शानदार प्रदर्शन किया।

दीपकों की रोशनी से जगमगाया आश्रम
वार्षिकोत्सव पर जहां आश्रम परिसर दीपकों की रोशनी से जगमगाया वही वैदिक ध्वनियों से छोटी काशी का यह स्थल सरोबार हो गया। ‘कौन बनेगा वाचस्पति’ प्रतियोगिता की प्रारम्भिक परीक्षा में प्रतिभागियों ने शास्त्रीय ज्ञान, श्लोक-पाठ, एवं संस्कृत व्याकरण की सूक्ष्मताओं का प्रभावी प्रदर्शन किया। प्रथम स्थान पर श्रवण सारस्वत रहे। शिवताण्डव नृत्य तथा आश्रम के ब्रह्मचारियों ने बालकवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भक्ति, ज्ञान और राष्ट्रभावना के विविध रंग उकेरे।

गूंजे वेद मंत्र
कार्यक्रम में मां सरस्वती का पूजन वेद मंत्रोच्चारण से हुआ। विद्यार्थियों ने श्लोक वाचन, संस्कृत नाटिका, स्तोत्र-प्रस्तुति, संस्कृत भाषण आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। द्वितीय सत्र की शुरुआत दक्षिणामूर्ति स्तोत्र के सस्वर पाठ से हुई।

बनाया पिरामिड
उत्सव में हुए सीताहरण नाटक मंचन में छात्रों ने भावपूर्ण अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में बुधवार को वेद-पाठ, स्तोत्र-पाठ से वातावरण सौम्य बना। विद्यार्थियों ने मुदगर प्रदर्शन, योग-नृत्य, पिरामिड प्रदर्शन और भक्त प्रह्लाद पर आधारित नाटिका मंचन से दर्शकों को खूब प्रभावित किया। कार्यक्रम में दण्डी स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती ने ब्रह्मचर्य, संस्कृति-संरक्षण, शास्त्राध्ययन, वाक्चातुर्यता और जीवन-अनुशासन के महत्व पर विस्तृत एवं प्रेरक विचार व्यक्त किए। उन्होंने उपलक्षण, सत्यान्वेषण एवं चरित्र-निर्माण की महत्ता को समझाते हुए ऋषि उपमन्यु और सत्यकाम जाबाल की कथाओं का वर्णन किया और उन्होंने विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। आश्रम के प्राचार्य ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। आश्रम के न्यासी ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर संस्था के न्यासीगण, आचार्यगण, ब्रह्मचारी तथा अभिभावक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।