
सिक्के
पूरे जिले में 1 और 2 रुपए के सिक्के बाजार से लगभग गायब हो चुके हैं। दुकानदार इन्हें लेने से कतराते हैं और ग्राहक खरीदारी पर जब 1 से 4 रुपए वापस मांगते हैं, तो उन्हें सिक्कों की जगह चॉकलेट या अतिरिक्त सामान पकड़ाया जा रहा है। यह स्थिति तब है, जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) लगातार जागरूकता संदेश भेजकर बता रहा है कि सभी मूल्यवर्ग के सिक्के वैध हैं और किसी भी भ्रम में आने की जरूरत नहीं है।
आरबीआई ने हाल के महीनों में पूरे देश में जागरूकता अभियान चलाया है। इसके बावजूद छतरपुर में स्थिति उल्टी है वैध सिक्के भी व्यापारी नहीं ले रहे और ग्राहक मजबूरी में अतिरिक्त पैसे दे रहे हैं। आरबीआई जागरुकता के लिए इस तरह के संदेश भेज रहा है।
-क्या आप अलग-अलग डिज़ाइन वाले सिक्कों को लेकर उलझन में हैं?
-एक ही मूल्यवर्ग के अलग-अलग डिज़ाइन वाले सिक्के भी वैध और प्रचलन में रहते हैं।-50 पैसे, 1, 2, 5, 10 और 20 के सभी सिक्के वैध मुद्रा हैं और लंबे समय तक प्रचलन में रहते हैं।
-सिक्कों के बारे में भ्रामक जानकारी या अफ़वाहों पर भरोसा न करें। बेझिझक उन्हें स्वीकार करें।
-बैंक सिक्के जमा लेने में आनाकानी करते हैं।
- थोक व्यापारी सिक्का लेने से मना करते हैं, जिससे खुदरा दुकानदारों पर बोझ।
- सिक्कों का ढेर लगने से राशि फंस जाती है।
-नोटबंदी के बाद अत्यधिक सिक्कों के प्रवाह ने भी समस्या बढ़ाई।
-3 से 4 रुपए की खरीद पर 5 से 10 रुपए देना पड़ता है।
-चॉकलेट या अतिरिक्त सामान लेने की मजबूरी।
-घरों में जमा 1-2 रुपए के सिक्के बेकार महसूस होने लगे हैं।
- बजट बिगड़ रहा है, अनावश्यक खरीद बढ़ रही है।
यदि दुकानदार या बैंक वैध सिक्का लेने से मना करे, तो बैंक, पुलिस, कलेक्टर, एसडीएम से शिकायत कर सकते हैं।
आरबीआई को ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। सिक्काकरण अधिनियम 2011 की धारा 6 और
आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 26(2) के तहत सिक्का न लेना अपराध है। दोषी पर कार्रवाई की जाएगी, यहां तक कि एफआईआर भी दर्ज हो सकती है।
देश में कोई सिक्का या नोट बंद करने का अधिकार केवल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास है। 2011 में केवल 1 से 25 पैसे तक के सिक्कों को नोटिफिकेशन के माध्यम से बंद किया गया था। 1, 2, 5, 10 और 20 रुपए के सभी सिक्के पूरी तरह वैध हैं।
इधर, यूपीआई से फुटकर की समस्या में राहतछतरपुर में 1–2 रुपए के सिक्कों की किल्लत बढ़ने के बीच यूपीआई भुगतान बड़ी राहत बन गया है।दुकानदार और ग्राहक छोटे लेन-देन सीधे यूपीआई से कर रहे हैं, जिससे फुटकर की झंझट कम हुई है।पहले 3–4 रुपए के बकाये पर चॉकलेट या अतिरिक्त सामान देना आम था, अब यह बंद हो गया है।यूपीआई से ग्राहक 1 तक का भुगतान भी आसानी से कर पा रहे हैं। सिक्के जमा न होने से दुकानदारों की परेशानी भी घटी है। बाजार में छोटे भुगतानों का डिजिटल तरीका सबसे सुविधाजनक विकल्प बन चुका है।
आनंद अग्रवाल, नगर अध्यक्ष, कैट कहते हैं सिक्के लेने में परेशानी नहीं है, लेकिन अब लोग भी नहीं ला रहे। बताने पर लोग ऑनलाइन भुगतान कर देते हैं, जिससे समस्या थोड़ी कम हुई है। आरबीआई साफ कहता है—सभी सिक्के वैध हैं। यदि कोई सिक्का लेने से मना करे, तो शिकायत करें। भारतीय मुद्रा का सम्मान करें और दूसरों को भी जागरूक करें।फोटो- सीएचपी
Published on:
11 Dec 2025 10:34 am
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