
जरूरी नहीं है कि अधिक सैलरी वाला व्यक्ति अमीर ही हो। (PC: Pexels)
क्या कोई सैलरी से अमीर बन सकता है? सवाल थोड़ा टेढ़ा है, लेकिन इसका जवाब काफी सरल है। सैलरी से कोई अमीर बन सकता है या नहीं, वो इस बात पर निर्भर करता है कि वो व्यक्ति अपनी सैलरी का इस्तेमाल कहां और कैसे करता है। भारत में हम जितना ज्यादा कमाते हैं, अपनी जरूरतों को भी उतना ही बढ़ाते जाते हैं। इसलिए भले ही आप साल के 50 लाख रुपये ही क्यों न कमा लें, लेकिन खर्चों को मैनेज नहीं कर सकते, तो अमीर बनना तो दूर की बात है, बात सिर्फ गुजारे तक रह जाएगी।
भारत में लोग पैसा कमाना तो जानते हैं, क्योंकि कई बार ये आसान भी होता है, लेकिन पैसे का सही इस्तेमाल करना सीखना सबसे मुश्किल काम है। क्योंकि भारत के ज्यादातर लोग टैक्स, लाइफस्टाइल इंफ्लेशन और खराब फाइनेंशियल स्ट्रक्चरिंग का शिकार हैं, यानी अपने पैसों को मैनेज करना उन्हें नहीं आता।
CFA हिमांशु पंड्या ने एक लिंक्डइन पोस्ट में इसी बारे में लिखा है, जो काफी वायरल हो रहा है। वे लिखते हैं, 'आपके पास मल्टीनेशनल कंपनी मे जॉब, शानदार CTC और बोनस है। पारंपरिक मानकों के हिसाब से आप जीत रहे हैं। लेकिन एक परेशान करने वाली सच्चाई यह है कि ज़्यादा इनकम और ज्यादा वेल्थ एक जैसे नहीं होते।'
उनकी बात का सार ये है कि जब आप इनकम टैक्स के सबसे ऊंचे पायदान पर पहुंच जाते हैं, तो भारत सरकार आपकी सबसे बड़ी भागीदार बन जाती है। पंड्या कहते हैं कि ज़्यादातर ज़्यादा कमाने वाले लोग वेल्थ क्रिएटर बनने के बजाय वेतन के निष्क्रिय उपभोक्ता बन जाते हैं। सही में देखा जाए, तो जो धनी लोग होते हैं, वो स्थायी, कर-अनुकूलित आय धाराओं का निर्माण करने के लिए स्ट्रक्चर का उपयोग करते हैं, न कि केवल बचत का। मतलब ये कि धनी लोग सिर्फ पैसा बचाते नहीं, वो 'स्ट्रक्चर' बनाते हैं, ताकि पैसा बार-बार आए और टैक्स भी कम लगे।
पंड्या “Great Wealth Pivot” के बारे बताते हैं, जो कि भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए तीन चरणों में अमल में लाने लायक संरचनात्मक बदलाव है।
वेतन से स्मार्ट कमाई: HRA और LTA जैसे नॉन टैक्सेबल भत्तों का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाएं। खर्चों का बुद्धिमानी से लेखा-जोखा रखें और स्टैंडर्ड FD या म्यूचुअल फंड की तुलना में लंबी अवधि के टैक्स एडवांटेज वाले एसेट्स में निवेश करें।
निवेशक से बिजनेस मालिक तक: कंसल्टिंग इनकम, IP रेवेन्यू या पारिवारिक निवेशों को सुरक्षित रखने के लिए एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या LLP बनाएं। इससे व्यावसायिक खर्चों पर टैक्स कटौती का लाभ मिलता है और कैपिटल गेन से इनकम पर टैक्स की दरें कम हो जाती हैं।
सेविंग करने वाले से लाभ उठाने वाला बनें: ऊंची तनख्वाह है, तो रणनीति बना कर लोन लीजिए। उदाहरण के लिए, आप होम लोन लेकर घर खरीदें, उसको किराए पर चढ़ाएं और आयकर अधिनियम के सेक्शन 24 के तहत होम लोन पर 2 लाख रुपये तक ब्याज छूट का फायदा लें।
इसलिए पंड्या कहते हैं कि 30 और 40 की उम्र के वो लोग जो अच्छी सैलरी कमाते हैं, बोनस के पीछे न भागकर स्केलेबल संपत्ति बनाने की ओर ध्यान दें, क्योंकि आपका सबसे ज़्यादा ROI रणनीति पर निर्भर करता है, न कि बाजार से मिलने वाले रिटर्न पर।
Published on:
07 Nov 2025 04:17 pm
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