बाजार नियामक सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने शुक्रवार को म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टर प्रोटेक्शन और फाइनेंशियल इन्क्लूजन को बढ़ावा देने के लिए बड़ा फैसला लिया है। बोर्ड ने मैक्सिमम परमीसिबल एग्जिट लोड को 5 फीसदी से घटाकर 3 फीसदी कर दिया है। इससे म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को फायदा मिलेगा, क्योंकि यह लोड फंड से निकासी के समय लगता है। सेबी ने इस बैठक में आइपीओ, कमोडिटी और बीमा सेक्टर से जुड़े नियमों को सरल किया है, जिससे निवेशक आकर्षित हो सके।
जब आप किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और कुछ समय बाद अपने यूनिट्स बेचकर बाहर निकलते हैं, तो फंड हाउस आपसे एक शुल्क ले सकता है। इसे एग्जीट लोड कहा जाता है। एग्जीट लोड कम होने से सीधे तौर म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को फायदा मिलेगा, क्योंकि अब उन्हें कम निकासी शुल्क देना होगा।
सेबी ने कहा कि 50,000 करोड़ रुपए से एक लाख करोड़ रुपए के बीच मार्केट कैप वाली कंपनियों के लिए 25 प्रतिशत का कम से कम पब्लिक शेयर रखने के मानदंड को अब मौजूदा तीन सालों की जगह पांच सालों में हासिल किया जा सकता है। जिन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 1 लाख करोड़ से 5 लाख करोड़ के बीच है, उनके लिए सेबी ने न्यूनतम 6,250 करोड़ या आइपीओ के बाद मार्केट कैप का 2.75 प्रतिशत तक का रखने की बात कही है। वहीं, 5 लाख करोड़ से अधिक मार्केट कैप वाली कंपनियों के लिए, सेबी ने न्यूनतम सार्वजनिक पेशकश का आकार 15,000 करोड़ रुपए या 1 प्रतिशत रखने की बात कही है।
एंकर कोटे में बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों के लिए 7 फीसदी अतिरिक्त कोटा होगा। यानी बीमा, पेंशन फंड और म्यूचुअल फंडों के लिए 40 प्रतिशत कोटा होगा। इसके अलावा 250 करोड़ रुपए से अधिक के स्वीकार्य एंकर आवंटियों की संख्या 25 से बढ़ाकर 30 कर दी गई है। बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों को आईपीओ एंकर बुक के लिए रिजर्व कैटेगरी में शामिल किया जाएगा।
इससे जियो जैसे मेगा इश्यू के लिए पब्लिक ऑफर और एमपीएस नियम अब ज्यादा सरल हो जाएंगे। कॉर्पोरेट्स पर दबाव घटेगा कंपनियों को कम समय में बड़े पैमाने पर इक्विटी डायल्यूशन से बचने का मौका मिलेगा। ऑफर्स से रिटेल और संस्थागत निवेशकों को ज्यादा अवसर मिलेंगे।
Published on:
13 Sept 2025 01:10 pm