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Personal loan लेने से पहले जरूर जान लें ये 6 बातें, वरना बाद में पड़ जाएगा पछताना

Personal Loan: हर कर्जदाता पर्सनल लोन पर अपने ग्राहकों से अलग-अलग प्रोसेसिंग फीस लेता है। कुछ मामलों में यह लोन राशि की 5 फीसदी तक भी हो सकती है। इसलिए लोन लेते समय विभिन्न बैंकों की प्रोसेसिंग फीस की तुलना जरूर कर लें।

Personal Loan
पर्सनल लोन एक अनसिक्योर्ड लोन होता है। (PC: Freepik)

Personal Loan: जब अचानक पैसों की जरूरत पड़ जाए या कोई वित्तीय संकट आ जाए, तो लोग पर्सनल लोन लेने को भागते हैं। कुछ लोग गोल्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट या म्यूचुअल फंड गिरवी रखकर लोन लेना भी पसंद करते हैं, क्योंकि इनमें ब्याज कम लगता है। लेकिन जब आपके पास गिरवी रखने के लिए कुछ नहीं हो, तो पर्सनल लोन जैसे अनसिक्योर्ड लोन का विकल्प काम आता है। बैंक, NBFC और फिनटेक कंपनियां बिना ज्यादा डॉक्यूमेंटेशन के तुरंत पर्सनल लोन उपलब्ध करा देती हैं। आमतौर पर वे केवल सैलरी स्लिप, आय प्रमाण पत्र, पैन कार्ड, पते का प्रमाण और रोजगार पहचान पत्र जैसे मूल दस्तावेज ही मांगते हैं। केवल इनसे ही आपका आवेदन स्वीकार कर लिया जाता है।

हालांकि, लोन के कागजों पर दस्तखत करने से पहले पर्सनल लोन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण शब्दों को समझ लेना चाहिए। यहां हम आपको वे 6 जरूरी बातें बताने जा रहे हैं, जो आपको पर्सनल लोन लेने से पहले ध्यान रखनी चाहिए।

प्रोसेसिंग फीस

पर्सनल लोन देते समय बैंक/कर्जदाता प्रोसेसिंग फीस लेता है। यह राशि लोन की प्रक्रिया के लिए ली जाती है। प्रोसेसिंग फीस लोन देने से पहले ही लोन अमाउंट में से काट ली जाती है। आमतौर पर यह फीस कम होती है, लेकिन कुछ मामलों में यह लोन राशि का 5% तक भी हो सकती है। चूंकी यह फीस हर कर्जदाता के अनुसार अलग होती है, इसलिए लोन लेते समय इसे ध्यान में रखकर ही अपना कर्जदाता चुनें।

लोन टैन्योर

    लोन टैन्योर वह अवधि है जिसके भीतर आपको लोन चुकाना होता है। अवधि जितनी लंबी होगी, ईएमआई उतनी कम बनेगी। अवधि जितनी छोटी होगी ईएमआई की रकम उतनी ज्यादा बनेगी।

    ईएमआई कैलकुलेटर

    ईएमआई कैलकुलेटर की सहायता से आप लोन की मासिक किस्त की गणना कर सकते हैं। ईएमआई लोन की अवधि, ब्याज दर और लोन की राशि पर निर्भर करती है। इस कैलकुलेटर की मदद से आप अपने हिसाब से सही ईएमआई चुन सकते हैं।

    फिक्स्ड ब्याज दर

    पर्सनल लोन आमतौर पर फिक्स्ड रेट ऑफ इंटेरेस्ट पर मिलता है, जिसका अर्थ यह है कि पूरी लोन अवधि में ब्याज दर समान रहती है, घटती-बढ़ती नहीं है। इससे ईएमआई में भी बदलाव नहीं होता है।

    सिक्योर्ड या अनसिक्योर्ड लोन

    सिक्योर्ड लोन एक ऐसा लोन होता है जिसमें कुछ गिरवी (कोलेटरल) रखा जाता है- जैसे सोना या म्यूचुअल फंड। इसमें लेंडर को जोखिम कम होता है, जिस वजह से ब्याज दरें कम लगती हैं। वहीं, अनसिक्योर्ड लोन एक ऐसा लोन है, जो बिना कुछ गिरवी रखे मिल जाता है, जैसे पर्सनल लोन। अनसिक्योर्ड लोन में जोखिम अधिक होता है, इसलिए उन पर ब्याज दर भी सामान्यतः अधिक होती है।

    एपीआर (Annual Percentage Rate)

    एपीआर वह वास्तविक लागत है, जो किसी लोन को लेने पर आपको चुकानी होती है। इसमें ब्याज दर के साथ सभी अतिरिक्त शुल्क (प्रोसेसिंग फीस) जोड़कर लोन की कुल वार्षिक लागत तय होती है। एपीआर जानना जरूरी है, क्योंकि यह बताता है कि सभी खर्च मिलाकर लोन वास्तव में कितना महंगा पड़ेगा।