
UAE के HR मंत्रालय (MoHRE) ने प्राइवेट जॉब करने वालों के लिए एक नया प्लान शुरू किया है। इस प्लान के तहत कर्मचारी की नौकरी के साल खत्म हो जाने पर, उसको मिलने वाली ग्रेच्युटी को और ज्यादा फायदेमंद बनाने का प्रयास हो रहा है। अब आप अगर ये सोच रहे हैं कि UAE में स्कीम शुरू हुई तो उससे मुझे क्या? देखिए भारत से एक बहुत बड़ी आबादी UAE में रहती है और वहां पर नौकरी करती है। ताजा डेटा के मुताबिक, वहां 43 लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं। भारतीय प्रवासी समुदाय संयुक्त अरब अमीरात का सबसे बड़ा जातीय समुदाय है, जो देश की आबादी का लगभग 35% है। इसलिए पॉलिसी में कोई भी बदलाव उन पर बड़ा असर डालेगा। अब जानिए नई स्कीम क्या है और इससे उसको क्या फायदा होने वाला है।
नई सेविंग्स स्कीम में पारंपरिक ग्रेच्युटी को निवेश-आधारित सिस्टम में बदला जा रहा है, जो समय के साथ बढ़ता रहेगा। यानी जब कर्मचारी नौकरी छोड़ेगा, तो उसे एकमुश्त पेमेंट के बजाय, हर महीने थोड़ा-थोड़ा पैसा प्रोफेशनली मैनेज्ड फंड्स में डाला जाएगा, जिस पर हमेशा कुछ न कुछ रिटर्न मिलता रहेगा, जिससे उसका पैसा बढ़ता रहेगा। यह कैसे होगा, वो क्या तरीके हैं जिससे आपकी ग्रेच्युटी अब निवेश की तरह बढ़ती रहेगी। आइए समझते हैं।
नई सेविंग्स स्कीम में पुरानी ग्रेच्युटी स्कीम (end-of-service gratuity) को एक निवेश मॉडल से बदल दिया गया है। अब एम्पलॉयर हर महीने कर्मचारी की ओर से मंजूर किए गए फंड्स में पैसे जमा करेंगे और यह रकम निवेश की जाएगी। जब नौकरी खत्म हो जाएगी, तब कर्मचारी को पूरी मूल जमा राशि+निवेश पर मिला रिटर्न दोनों मिलेंगे।
एकमुश्त रकम जमा करके रखने के बजाय, अब एम्पलॉयर हर महीने फंड में नियमित मासिक भुगतान करेंगे। किस कर्मचारी से कितना योगदान लिया जाएगा, इसके लिए कानून है, जो इस प्रकार है।
कर्मचारियों की ओर से लिए गए योगदान को पहले से तय चार अप्रूव्ड फंड में से किसी एक में डाला जाएगा। जिसे UAE की सिक्योरिटीज एंड कमोडिटीज अथॉरिटी (SCA) रेगुलेट करती है। जिन चार फंड्स को इसके लिए चुना गया है वो ये हैं-
ये सभी फंड आपके पैसे को सुरक्षित तरीके से मैनेज करते हैं और अलग-अलग रिस्क प्रोफाइल के मुताबिक फ्लेक्सिबल इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस भी देते हैं, ताकि आपकी सेविंग्स पर अच्छा रिटर्न मिल सके।
कर्मचारी अपनी सुविधा, जोखिम क्षमता और वित्तीय लक्ष्यों के मुताबिक अलग-अलग तरह के निवेश पोर्टफोलियो का चुनाव कर सकते हैं।
यह आपकी बचत को पूरी तरह सुरक्षित रखते हैं। मूल रकम (principal) खोने का कोई जोखिम नहीं होता। अनस्किल्ड वर्कर्स को यह विकल्प ऑटोमेटिकली दिया जाता है।
इसमें रिटर्न की संभावनाएं ज्यादा होती हैं, लेकिन जोखिम भी शामिल होता है। आपको कैसा रिटर्न चाहिए, ये आपकी जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है।
ये निवेश इस्लामिक फाइनेंस के सिद्धांतों के मुताबिक चलते हैं। ये खासतौर पर मुस्लिमों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाता है। कर्मचारी अपने निवेश के लिए इन विकल्पों में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं।
कर्मचारी चाहें तो अपनी बचत को और तेजी से बढ़ा सकते हैं। इसके लिए वे अपनी मर्जी से (voluntarily) अपनी सैलरी का सालाना 25% तक अतिरिक्त योगदान कर सकते हैं।
यह योगदान दो तरीकों से किया जा सकता है:
अपनी मर्जी से किए गए योगदान पर भी वही निवेश रिटर्न मिलता है जो एम्पलॉयर की ओर से जमा की गई राशि पर मिलता है। साथ ही आप इन स्वैच्छिक योगदानों को कभी भी, आंशिक रूप से या पूरा, वापस निकाल सकते हैं।
नौकरी खत्म होने पर कर्मचारियों को कई तरह के बेनेफिट्स मिलते हैं। जैसे - एम्पलॉयर की ओर से जमा की गई पूरी 100% रकम मिलती है और जब तक आपने कंपनी में नौकरी की, उस दौरान इस रकम पर जितना भी निवेश रिटर्न मिला, वो भी आपको पूरा का पूरा मिलता है। इसके बाद कर्मचारी के पास दो विकल्प होते हैं। पहला- कर्मचारी तुरंत ही पूरा पैसा निकाल सकता है या फिर फंड में पैसा छोड़कर उसे फलने-फूलने के लिए छोड़ सकता है। अगर आप नौकरी बदलते हैं, तो आपकी मर्जी है कि उसी फंड को जारी रख सकते हैं या अपने नए एम्पलॉयर की ओर से चुने गए किसी दूसरे फंड में अपनी पूरी सेविंग्स को ट्रांसफर कर सकते हैं।
यह स्कीम कर्मचारियों के लिए डबल प्रोटेक्शन देती है। पहला - कर्मचारी बढ़ती महंगाई से सुरक्षित होता है और दूसरा- अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है तो भी कर्मचारी का निवेश सुरक्षित रहता है। यह फंड पूरी तरह से स्वतंत्र और रेग्युलेटेड इन्वेस्टमेंट अकाउंट्स में रखा जाता है, इसलिए कंपनी की स्थिति अच्छी हो या खराब, कर्मचारियों के निवेश पर इसका कोई असर नहीं होता। वो पैसा हमेशा पूरी तरह बिल्कुल सुरक्षित रहता है। यानी कर्मचारियों को उनका पूरा हक मिलता है, रिटर्न भी मिलता है और इसमें किसी तरह की कोई देरी या नुकसान भी नहीं होता।
एंप्लॉयर्स को भी इस स्कीम से फायदा होता है। कर्मचारियों को नौकरी खत्म होने पर एकमुश्त बड़ी रकम देने के बजाय, मौजूदा वेतन के आधार पर अनुमानित मासिक रकम देनी होती है। इससे मध्यम अवधि में भागीदारी ज्यादा किफायती हो जाती है। इससे एंप्लॉयर के रूप में कंपनी की प्रतिष्ठा भी बढ़ती है और कर्मचारियों की निष्ठा को भी बढ़ावा मिलता है।
यह योजना, जो शुरू में प्राइवेट सेक्टर के श्रमिकों के लिए तैयार की गई थी, इसका दायरा अब बढ़ गया है। इसमें अब Self-employed (खुद का काम करने वाले) और फ्रीलांस परमिट होल्डर शामिल हो गए हैं। गैर-UAE नागरिक, जो UAE की सरकारी संस्थानों से जुड़ी कंपनियों में काम करते हैं, उनको भी स्कीम में शामिल किया गया है। UAE नागरिक, चाहे वे सरकारी सेक्टर में हों या प्राइवेट सेक्टर में, ये पेंशन और सोशल सिक्योरिटी के साथ-साथ इस स्कीम का फायदा ले सकते हैं।
इस सिस्टम की निगरानी दो बड़े सरकारी संस्थान मिलकर करते हैं, MoHRE- जो रोजगार से जुड़ी हर शिकायत और मामले को देखता है और SCA- जो निवेश फंड्स का रेगुलेशन करता है और उनकी परफॉर्मेंस पर नजर रखता है। इसके अलावा, फाइनेंशियल फ्री जोन की अपनी-अपनी अथॉरिटी भी अपने क्षेत्रों में स्कीम के नियमों का पालन सुनिश्चित करती है। जब कर्मचारी की नौकरी खत्म होती है, तो वे आसान प्रक्रिया के जरिए अपने पैसे निकाल सकते हैं। पहले MoHRE में परमिट कैंसिलेशन होता है फिर फंड डिस्बर्समेंट (फंड निकासी) की साधारण प्रक्रिया पूरी की जाती है।
तो कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो यह नई सेविंग्स स्कीम पारंपरिक ग्रैच्युटी सिस्टम को बदलकर एक लंबी अवधि की, प्रोफेशनल तरीके से मैनेज की जाने वाली निवेश योजना बना देती है। जिसका फायदा कर्मचारी और कंपनियों दोनों को ही मिलता है। कर्मचारियों के लिए फायदा यह है कि इसमें सिर्फ पैसा जमा नहीं होता, बल्कि उस पर रिटर्न भी मिलता है। महंगाई के जोखिम से निपटने में मदद मिलती है। नौकरी छोड़ते समय पैसा तुरंत निकाल सकते हैं या चाहें तो निवेश बढ़ने के लिए फंड में ही छोड़ सकते हैं। कंपनियों के लिए फायदा यह है कि हर महीने फिक्स और अनुमानित लागत ही आती है, उनके ऊपर किसी बड़े भुगतान का बोझ नहीं होता। जिसकी वजह से कर्मचारियों को लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है।
Published on:
14 Nov 2025 02:57 pm

