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सोना या रियल एस्टेट? कहां मिलेगा ज्यादा रिटर्न और सुरक्षा

रियल एस्टेट सालाना 10–12% प्राइस अप्रीसिएशन और 5–6% रेंटल यील्ड दे सकता है, लेकिन सोने की तरह इसकी कीमत सेंटीमेंट्स पर नहीं बल्कि लोकेशन और बाजार की स्थिति पर निर्भर करती है.

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रियल एस्टेट और गोल्ड में से कौन सा विकल्प आपको चुनना चाहिए (PC: Canva)

सोने में निवेश करें या फिर रियल एस्टेट; निवेश करते समय अक्सर ये कंफ्यूजन आपके दिमाग में भी जरूर आया होगा. देखिए, भारत में रियल एस्टेट और सोना, दोनों ही निवेश के लोकप्रिय विकल्प माने जाते हैं. रियल एस्टेट को स्थिरता, लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन और भौतिक संपत्ति की पहचान माना जाता है, जबकि सोना लिक्विडिटी और महंगाई से बचाव के लिए जाना जाता है. तो फिर निवेश के लिए कौन सा विकल्प बेहतर है. देखिए आर्थिक अनिश्चितता और बदलती ब्याज दरों के बीच निवेशक जब स्थिरता की तलाश करते हैं, तो सोना और रियल एस्टेट दोनों ही कैपिटल एलोकेशन यानी पूंजी आवंटन के लिए दो बड़े विकल्प बनकर सामने आते हैं.

आप सोने में निवेश करें या रियल एस्टेट में, ये कई तरह के फैक्टर्स पर निर्भर करता है, जैसे- आपकी रिस्क लेने की क्षमता कितनी है, आप कितनी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं और साथ ही आप कितना निवेश करने की क्षमता रखते हैं. यानी शॉर्ट टर्म सुरक्षा के लिए सोने में निवेश बेहतर हो सकता है, जबकि लंबी अवधि में एसेट क्रिएशन करना है तो रियल एस्टेट मजबूत विकल्प है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर आप एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाएं और दोनों में ही निवेश करें तो रिस्क और रिटर्न के बीच बेहतर संतुलन बन सकता है.

गोल्ड का प्रदर्शन


अब एक-एक करके समझते हैं कि गोल्ड और रियल एस्टेट का पिछला परफॉर्मेंस कैसा रहा है. सबसे पहले सोने को देखते हैं- सोने की कीमतों में हमने इस साल जबरदस्त तेजी देखी है. ट्रंप के टैरिफ की वजह से पूरी दुनिया के बाजारों में एक अनिश्चतता का माहौल बना, जिसकी वजह से लोगों को झुकाव सोने की ओर बढ़ा. यही वजह रही कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमतों ने नए रिकॉर्ड हाई बनाए. अमेरिकी फेड की ओर से दरों में कटौती की उम्मीद, कमजोर रुपये ने मिलकर सोने की कीमतों को हवा दी है.

  • दिसंबर 2025 तक सोने की कीमतों ने इस साल अबतक (YTD) 66% का दमदार रिटर्न दिया है. जबकि बीते तीन महीनों में गोल्ड 25% से ज्यादा चढ़ चुका है.
  • पिछले साल 2024 में सोने ने 20% से ज्यादा रिटर्न देकर हाल के समय में बेहतर प्रदर्शन किया है, जिससे यह महंगाई और अनिश्चितता के दौर में मजबूत हेज बना.

AUM वेल्थ के अमित सूरी का कहना है कि हाल के समय में सोने ने रियल एस्टेट से साफ तौर पर बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन इस प्रदर्शन को सही संदर्भ में देखना ज़रूरी है. सोना कोई ग्रोथ एसेट नहीं, बल्कि एक हेज है. हालिया तेजी ग्लोबल अनिश्चितता और महंगाई से हेज की वजह से आई है. कई निवेशक तेज़ उछाल देखकर इसे हाई-रिटर्न एसेट मान लेते हैं, जबकि ऐसा सोचना अक्सर हालिया प्रदर्शन को देखकर भविष्य के फैसले पर दांव लगाने का नतीजा होता है.

क्लैरावेस्ट टेक्नोलॉजीज की सह-संस्थापक मानंकी पारुलेकर ने बताया कि सोना केवल महंगाई से बचाव के लिए ही नहीं, बल्कि लंबे समय में अच्छा रिटर्न देने के लिए भी फ़ायदेमंद है. वो आगे कहती है कि अगर आप 2015 से 2025 के बीच सोने के कीमत की तुलना करें तो सालाना रिटर्न करीब 25.13% रहा है, इसके ठीक उलट 2014 से 2024 के दौरान यह रिटर्न करीब 17.82% था. यह बताता है कि जियो पॉलिटिकल अनिश्चितताओं के सामने सोना एक मज़बूत हेज के रूप में कैसे काम करता है.

रियल एस्टेट का प्रदर्शन


बीते कुछ महीनों में रियल एस्टेट का प्रदर्शन देश के कुछ हिस्सों में अच्छा रहा है. रियल एस्टेट मार्केट में एक ग्रोथ देखने को मिल रही है, जो RBI की ओर से ब्याज दरों में कटौती की वजह से शुरू हुई है, साथ ही पिछले कुछ समय में रियल एस्टेट की मांग बढ़ने की एक बड़ी वजह शेयर बाजार की मजबूत तेजी भी रही. जिन निवेशकों ने शेयरों से अच्छा मुनाफा कमाया, उन्होंने उसी पैसे को बड़े घर या सेकेंड होम खरीदने में लगाया. ब्याज दरें घटने से होम लोन की ब्याज दरें कम और स्थिर रहीं, जिससे खरीदारों को आगे की EMI को लेकर भरोसा मिला और खरीदारी का फैसला आसान हुआ. हाल की कुछ तिमाहियों में लग्ज़री घरों की बिक्री सबसे ज़्यादा रही है. कुल बिक्री में इनकी हिस्सेदारी 50% से भी ज्यादा रही. वहीं दूसरी तरफ, महंगाई बढ़ने और शहरों में खपत धीमी होने की वजह से अफोर्डेबल हाउसिंग की मांग कमजोर पड़ी है.

BASIC Home Loan के CEO अतुल मोंगा कहते हैं कि रियल एस्टेट लॉन्ग टर्म में पूंजी बढ़ाने और किराये से आय दोनों का फायदा पहुंचाता है. मतलब एक ही प्रॉपर्टी की कीमत तो समय के साथ बढ़ती है, साथ ही साथ आप उससे रेंट भी हासिल करते हैं. वो कहते हैं कि जिन लोगों की आय स्थिर है और जिनका निवेश नजरिया लंबी अवधि का है, उनके लिए रियल एस्टेट में, खासकर शहरी क्षेत्रों में निवेश करना, वेल्थ क्रिएशन के लिए फायदेमंद हो सकता है.

लेकिन रियल एस्टेट की एक दिक्कत के बारे में अक्सर लोग चूक कर जाते हैं. अमित सूरी बताते हैं कि लोगों के बीच यह धारणा काफ़ी मजबूत है, लेकिन गलत है कि रियल एस्टेट की कीमतें कभी गिरती नहीं हैं. हकीकत यह है कि रियल एस्टेट भी गिरता है, बस इक्विटी की तरह सीधे कीमत के रूप में नहीं. इसकी गिरावट लिक्विडिटी के जरिए सामने आती है. कई बार ऐसा होता है कि आप अपनी मनचाही कीमत पर प्रॉपर्टी बेच ही नहीं पाते, या कभी-कभी खरीदार ही नहीं मिलता. ये कितनी जरूरी बात है लेकिन कई बार निवेशक इसको नजरअंदाज कर देते हैं. जैसे कि शेयर बाजार में लिक्विडिटी बहुत ज्यादा है, रियल एस्टेट में ऐसा नहीं है.

पारुलेकर के मुताबिक, रियल एस्टेट सालाना 10-12% तक की कीमत में बढ़ोतरी दे सकता है, साथ ही इस पर 5-6% की किराये से आय भी मिल सकती है. हालांकि, सोने के मुकाबले रियल एस्टेट पर मार्केट सेंटीमेंट्स का असर कम होता है. ज़मीन, फ्लैट या दूसरा घर हर तरह के प्रॉपर्टी निवेश में लोकेशन, मार्केट की स्थिति और खरीदार का इरादा ज़्यादा अहम भूमिका निभाते हैं.

सोना चुनें या रियल एस्टेट


इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं है, क्योंकि ये हर निवेशक के हिसाब से बदल जाता है. सोना और रियल एस्टेट दोनों ही अलग-अलग तरह के एसेट क्लास है, इसलिए एक निवेशक को चुनाव करने से पहले अपनी निजी वित्तीय ज़रूरतों का आकलन करना चाहिए. अगर आपकी वेल्थ डायवर्सिफिकेशन और लिक्विडिटी है तो सोने में निवेश एक समझदारी भरा फैसला होगा. घर खरीदने से संभावित कैपिटल एप्रीसिएशन और बेहतर जीवनशैली का दोहरा लाभ मिलता है.