
Gold Investment: कुछ ही दिनों में फेस्टिव सीजन शुरू होने जा रहा है। नवरात्रि, दशहरा, उसके बाद दिवाली और फिर क्रिसमस। फेस्टिव सीजन में बाजार में गोल्ड की डिमांड बढ़ जाती है। ज्वैलर्स ग्राहकों के लिए कई ऑफर्स भी लेकर आते हैं। भारत में धनतेरस जैसे त्योहारों पर सोना खरीदने का काफी महत्व है। लेकिन क्या सर्राफा बाजार में जाकर ही सोना खरीदा जा सकता है? फिजिकल गोल्ड के बजाय पेपरलेस गोल्ड भी खरीदा जा सकता है। इस आर्टिकल में हम इसी पर चर्चा करेंगे।
सोने से रिटर्न की बात करें, तो पिछले कुछ वर्षों में सोने ने शानदार रिटर्न दिया है। अगर हम फिजिकल गोल्ड की बात करें, तो पिछले एक साल में सोने ने अपने निवेशकों को 54 फीसदी का जबरदस्त रिटर्न दिया है। एक साल पहले सोने का भाव 73,200 रुपये प्रति 10 ग्राम था। आज यह भाव बढ़कर 1,12,500 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया है। इस दौरान जिन निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ में पैसा लगाया, उन्हें भी बंपर रिटर्न मिला है। पिछले एक साल में गोल्ड ईटीएफ ने करीब 50 फीसदी रिटर्न तक दिया है।
गोल्ड ईटीएफ एक इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट है, जो स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेड होता है। यह सोने की कीमत को ट्रैक करता है। यानी अगर बाजार में सोने की कीमत बढ़ती है, तो आपके ईटीएफ की कीमत भी बढ़ेगी। निवेशक डिमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए गोल्ड ईटीएफ खरीद सकते हैं। इसे शेयरों की तरह कभी भी खरीदा और बेचा जा सकता है।
-इसमें सोना फिजिकल रूप से नहीं रखना पड़ता, इसलिए चोरी हो जाने की चिंता नहीं रहती है।
-सोना फिजिकल रूप से नहीं होने के चलते इसमें गोल्ड प्योरिटी को लेकर भी चिंता नहीं रहती है।
-गोल्ड ईटीएफ में उतार-चढ़ाव सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। गोल्ड ईटीएफ की कीमत बाजार में लिस्टेड रहती हैं, इसलिए आसानी से ट्रैक की जा सकती हैं।
-इसमें लिक्विडिटी की प्रॉब्लम नहीं आती। गोल्ड ईटीएफ को कभी भी खरीदा-बेचा जा सकता है।
-यहां कम राशि से भी निवेश शुरू कर सकते हैं।

गोल्ड ईटीएफ में शेयर मार्केट जैसा रिस्क नहीं होता है। हाालांकि, आप किस कंपनी से गोल्ड ईटीएफ ले रहे हैं, उसके स्टेबिलिटी के बारे में जरूर जान लें।
इसमें एक्सपेंस रेश्यो (फंड मैनेजमेंट चार्ज) देना पड़ता है, जिससे रिटर्न थोड़ा कम हो सकता है।
अगर लॉन्ग टर्म में सोने की कीमत घटे, तो नुकसान भी हो सकता है।
भारतीय निवेशक पारंपरिक रूप से फिजिकल गोल्ड यानी गहने, सिक्के या बिस्किट खरीदना पसंद करते हैं। लेकिन इसमें स्टोरेज खर्च, मेकिंग चार्ज और प्योरिटी से जुड़ी चिंता रहती है। फिर भी शादी और पारिवारिक कारणों से इसकी डिमांड बनी रहती है।
-अगर आप गोल्ड जूलरी खरीद रहे हैं, तो आपको मेकिंग चार्ज देना पड़ता है।
-जब आप वापस सोना बेचने जाते हैं, तो पूरी कीमत मिलने की संभावना कम रहती है।
-फिजिकल गोल्ड के चोरी होने का डर रहता है।
-अगर आप गोल्ड को बैंक लॉकर में डालते हैं, तो उसके लिए भी पैसे खर्च करने होंगे।
-अगर आप घर में सोना रख रहे हैं, तो आपको उसकी सेफ्टी की चिंता खाए रहती है। ऐसे में मानसिक शांति नहीं रहती।
फिजिकल गोल्ड- गहने, सिक्के, बिस्किट
गोल्ड ईटीएफ- एक्सचेंज पर खरीदी-बेची जाने वाली यूनिट्स।
गोल्ड म्यूचुअल फंड- अप्रत्यक्ष रूप से ईटीएफ में निवेश।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs)- सरकार द्वारा जारी बॉन्ड, जिन पर ब्याज भी मिलता है।
Published on:
13 Sept 2025 04:05 pm

