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चार दिन बाद भी हाथ नहीं आई बाघिन ,खोज की रणनीति बदली

पेंच टाइगर रिजर्व से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व लाई जाने वाली बाघिन अब तक हाथ नहीं लगी। चार दिन बीतने के बाद भी मध्यप्रदेश और राजस्थान की फील्ड टीमें बाघिन को ट्रेंकुलाइज करने में सफल नहीं हो पाईं। बाघिन इतनी सतर्क और चालाक हो गई है कि इंसानों को देखते ही अपने स्थान बदल लेती है।

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चार दिन बाद भी हाथ नहीं आई बाघिन ,खोज की रणनीति बदली

पेंच टाइगर रिजर्व क्षेत्र के जंगल में बाघिन के पगमार्क तलाशते वनकर्मी।

बूंदी. पेंच टाइगर रिजर्व से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व लाई जाने वाली बाघिन अब तक हाथ नहीं लगी। चार दिन बीतने के बाद भी मध्यप्रदेश और राजस्थान की फील्ड टीमें बाघिन को ट्रेंकुलाइज करने में सफल नहीं हो पाईं। बाघिन इतनी सतर्क और चालाक हो गई है कि इंसानों को देखते ही अपने स्थान बदल लेती है।
वन्यप्राणी विशेषज्ञों के अनुसार लगातार मानव गतिविधियों के कारण बाघिन अधिक सतर्क और छिपी हुई रहती है। इसके चलते दिन के समय उसे देखना मुश्किल हो गया है। बाघिन की इस व्यवहारिक बदलाव को ध्यान में रखते हुए मंगलवार से खोज अभियान सीमित टीमों के साथ संचालित किया जाएगा, ताकि इंसानी हस्तक्षेप कम हो और बाघिन अपनी प्राकृतिक गतिविधियों को पुन: शुरू कर सके।
विशेषज्ञों ने निर्णय लिया है कि बाघिन का पता चलते ही उसे सावधानीपूर्वक बेहोश किया जाएगा। फिर रेडियो कॉलर लगाया जाएगा। रेडियो कॉलर के माध्यम से बाघिन की लगातार निगरानी की जाएगी। सभी स्वास्थ्य जांच और सुरक्षा प्रोटोकॉल पूर्ण होने के बाद उसे भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व ले जाया जाएगा।

खोज अभियान में बदलाव
मंगलवार से सर्चिंग पैटर्न बदला जाएगा। इंसानी दखल कम कर बाघिन को स्वतंत्र रूप से विचरण करने दिया जाएगा, ताकि उसे ट्रेंकुलाइज किया जा सके। कान्हा टाइगर रिजर्व से दो हाथी और पेंच टाइगर रिजर्व के आठ हाथी अभियान में लगाए जाएंगे। 40 कैमरा ट्रैप और 25 कर्मचारी गश्ती में रहेंगे।

इनका कहना है
बाघिन बहुत चालाक और मायावी है। अब इंसानी दखल कम करके बाघिन को खुले में विचरण के दौरान ही ट्रेंकुलाइज करने की योजना है। स्वास्थ्य जांच के बाद उसे हेलीकॉप्टर से रामगढ़ विषधारी भेजा जाएगा।
रजनीश सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी