Patrika Logo
Switch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

प्लस

प्लस

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

खेल मैदान होने के बावजूद भी खेलों से वंचित हो रहे बच्चे

तालेड़ा उपखंड के सुवासा गांव में तालाब की पाल के पास बना सीनियर हाई सेकेंडरी स्कूल का नौ बीघा 16 बिस्वा खेल मैदान प्रशासन की उदासीनता की चलते उपेक्षा का शिकार हो रहा है ।

बूंदी

pankaj joshi

Nov 18, 2025

खेल मैदान होने के बावजूद भी खेलों से वंचित हो रहे बच्चे
सुवासा. खेल मैदान पर भेड़ बकरियों का जमावड़ा

सुवासा. तालेड़ा उपखंड के सुवासा गांव में तालाब की पाल के पास बना सीनियर हाई सेकेंडरी स्कूल का नौ बीघा 16 बिस्वा खेल मैदान प्रशासन की उदासीनता की चलते उपेक्षा का शिकार हो रहा है। इस मैदान पर बच्चों के स्थान पर आवारा जानवरों व भेड़ पालकों के काम आ रहा है। सरकार इस खेल मैदान को विकसित करने के लिए 50 लाख दे तो यह खेल मैदान मिनी स्टेडियम बन सकता है। और बच्चों के खेलने के काम आ सकता है।

प्रशासन की उदासीनता के चलते 1000 से अधिक स्कूली बच्चे फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी जैसे खेलों से आज भी वंचित है । और इतना बड़ा मैदान होने के बावजूद भी कभी भी वर्षों से बड़ी प्रतियोगिता सुवासा पंचायत मुख्यालय पर आयोजित नहीं हो पाई है और स्कूल के मुख्य गेट पर जाने वाले रास्ते पर प्रभावशाली लोगों ने अतिक्रमण करके रास्ते को छोटा कर दिया है। प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। ग्रामीणों ने प्रशासन से खेल मैदान को मिनी स्टेडियम बनाने की मांग की है। ताकि ग्रामीण प्रतिभाओं को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिल सके।

अंग्रेजों के जमाने से गांव में है स्कूल और खेल मैदान
सुवासा पंचायत मुख्यालय पर अंग्रेजों के जमाने में 1932 में प्राइमरी स्कूल खोला गया जिसे बाद में 1971 में सेकेंडरी स्कूल 1991 में सीनियर सेकेंडरी स्कूल क्रमोन्नत हुआ गांव में दो प्राइवेट इंग्लिश मीडियम दो हिंदी मीडियम स्कूल है। जिसमें 1000 से अधिक बच्चे अध्यनरत है।

किंतु गांव में खेल मैदान होने के लंबे वर्षों के बाद खेल मैदान को सरकार के द्वारा डवलप नहीं किया गया। जिसके कारण खेल मैदान होने के बावजूद भी बच्चों को खेलने का मौका नहीं मिला । जिससे क्षेत्र के बच्चे खेल के अंदर आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं आज भी यहां के बच्चे खेतों व गलियों में क्रिकेट खेलते नजर आते हैं। सरकार के द्वारा लाखों करोड़ों रुपए ग्रामीण क्षेत्र में खेलों में खर्च करने के बावजूद भी इनका फायदा ग्रामीण खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रहा है।

पुलिस और फोर्स में जाने के लिए तैयारी करने के लिए बच्चों को दौड़ लगाने के लिए पर्याप्त स्थान गांव में नहीं है। मजबूरन बच्चों को मुख्य सड़क पर दौड़ लगानी पड़ रही है अगर स्कूल का मैदान डवलप हो जाए तो बच्चों को काफी सुविधा मिल सकती है और यहां के बच्चे आगे बढ़कर गांव का नाम रोशन कर सकते हैं
सत्यनारायण श्रृंगी, समाजसेवी

इनका कहना है
स्कूल के खेल मैदान को डवलप करने के लिए लाखों रुपए की आवश्यकता है। इस मैदान में पानी का निकास नहीं है जिसके कारण मैदान में पानी भरा रहता है। और यहां की जमीन भी उबड़-खाबड़ है। जिसे समतल करने के लिए लाखों रुपए की मिट्टी डलेगी। तब जाकर यह मैदान बच्चों के खेलने लायक हो सकता है। सरकार के द्वारा 2025 में 15 लाख रुपए बाउंड्री वॉल के लिए स्वीकृत किए हैं जिसमें करीब 1000 फीट बाउंड्री वॉल हो पाएगी बाउंड्री वॉल का निर्माण कार्य जारी है। मैदान के चारों ओर बाउंड्री वॉल होना जरूरी है प्रयास जारी है शीघ्र ही खेल मैदान को बच्चों के खेलने के लिए तैयार किया जाएगा।
राकेश जैन प्रधानाचार्य, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल सुवासा