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केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी स्क्रैप नीति ठप! बिलासपुर में तीन साल से नहीं शुरू हुई प्रक्रिया, कबाड़ी बाजारों में सड़ रहे सरकारी और निजी वाहन

Bilaspur News: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी वाहन स्क्रैप नीति का असर बिलासपुर संभाग में अब तक दिखाई नहीं दे रहा है। नीति लागू हुए तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन जिले में एक भी मान्यता प्राप्त वाहन स्क्रैपिंग सेंटर स्थापित नहीं हो सका।

केंद्र की स्क्रैप नीति कागजों में सीमित (फोटो सोर्स- पत्रिका)
केंद्र की स्क्रैप नीति कागजों में सीमित (फोटो सोर्स- पत्रिका)

CG News: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी वाहन स्क्रैप नीति का असर बिलासपुर संभाग में अब तक दिखाई नहीं दे रहा है। नीति लागू हुए तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन जिले में एक भी मान्यता प्राप्त वाहन स्क्रैपिंग सेंटर स्थापित नहीं हो सका। परिणामस्वरूप आरटीओ रिकॉर्ड में आज तक एक भी वाहन आधिकारिक रूप से स्क्रैप नहीं हुआ है। सैकड़ों पुराने वाहन गलियों, कबाड़ी बाजारों और सड़कों पर जंग खा रहे हैं या बिना फिटनेस के चल रहे हैं, जो न केवल सड़क सुरक्षा बल्कि पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा बन चुके हैं।

आरटीओ के अनुसार, अब तक किसी भी संस्था या कंपनी ने स्क्रैपिंग सेंटर स्थापित करने के लिए आवेदन नहीं किया। जब तक अधिकृत केंद्र नहीं बनते, वाहन स्क्रैप का पंजीकरण संभव नहीं है। नीति के तहत 15 साल पुराने सरकारी और 20 साल पुराने निजी वाहनों को निस्तारित किया जाना था, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका पालन शून्य है।

यही वजह है कि शहर के कबाड़ी बाजारों में पुराने ऑटो, बाइक और कारों को तोड़ा जा रहा है, लेकिन यह प्रक्रिया पूरी तरह नियम विरुद्ध है। इनमें न तो तेल, बैटरी और प्लास्टिक कचरे के निपटान की कोई व्यवस्था है, न ही वाहन मालिकों को स्क्रैप सर्टिफिकेट मिलता है। इससे उन्हें नई गाड़ी खरीदने पर मिलने वाले टैक्स और डिस्काउंट लाभ से वंचित रहना पड़ता है।

शहरवासी उठा चुके हैं मांग

स्क्रैप सेंटर को लेकर शहरवासी लगातार मांग उठाते रहे हैं। लोगों का कहना है कि बिलासपुर जैसे तेजी से बढ़ते शहर में वाहन स्क्रैप सेंटर की अनुपस्थिति न केवल नीति के असफल क्रियान्वयन का उदाहरण है, बल्कि पर्यावरण और जनसुरक्षा के लिए भी गंभीर चेतावनी है। जरूरत है कि शासन जल्द निर्णय लेकर अधिकृत स्क्रैप सेंटर खोलें।

कबाड़ी बाजारों में अनियंत्रित तोड़फोड़

  • शहर में पुराने, जर्जर वाहन अब भी सड़कों पर चल रहे हैं। सड़क हादसों और प्रदूषण का खतरा बढ़ा रहे हैं।
  • कबाड़ी बाजारों में अनियंत्रित तोड़फोड़ से तेल और बैटरी का कचरा सीधे मिट्टी और जल में जा रहा है।
  • सरकारी नीति का लाभ आम नागरिकों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
  • आरटीओ के रिकॉर्ड अधूरे हैं, जिससे वाहन नवीनीकरण और निस्तारण में पारदर्शिता नहीं है।

छत्तीसगढ़ में रायपुर छोड़ अन्य जिलों में अभी स्क्रैपिंग सेंटर नहीं हैं। हालांकि बिलासपुर में यह योजना पाइपलाइन में है। जल्द ही अधिकृत सेंटर स्थापित किए जाएंगे, जिससे वाहन मालिकों को लाभ मिलेगा। - असीम माथुर, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, बिलासपुर