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टूटे ताले, गायब ग्रिल…बाल वाहिनियों में बच्चों की सुरक्षा के इंतजामों का अता-पता नहीं

बच्चों की सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम नहीं मिले। कई वाहन निर्धारित क्षमता से अधिक बच्चों को असुरक्षित रूप से ढो रहे थे।

राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (राजस्थान उच्च न्यायालय) के निर्देशानुसार, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मांडवी राजवी ने गुरुवार को शहर में संचालित बाल वाहिनियों का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान अधिकांश वाहनों में सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी पाई गई। बच्चों की सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम नहीं मिले। इसे देख कर न्यायाधीश ने न सिर्फ नाराजगी दर्शाई, बल्कि सख्त लहजे में कड़ी चेतावनी भी दी। उन्होंने तमाम निर्देश देते हुए कहा कि अगर सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया, तो कार्रवाई के लिए भी संबंधित तैयार रहें।

यह मिली गड़बड़ी

इससे पहले सुबह चेकिंग के दौरान जब जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मांडवी राजवी ने वाहनों को रुकवाना शुरू किया, तो वे हालात देख कर हैरान रह गईं। उन्होंने देखा कि इस दौरान रुकवाए गए कई वाहन निर्धारित क्षमता से अधिक बच्चों को असुरक्षित रूप से ढो रहे थे। निरीक्षण में यह भी सामने आया कि वाहनों के गेट के लॉक टूटे हुए, ग्रिल व मेश नहीं लगे हुए थे। ड्राइवरों के पास वैध लाइसेंस और पहचान दस्तावेज अधूरे पाए गए। मौके पर ही तीन वाहनों को सीज किया गया तथा अन्य कई वाहनों के चालान की कार्रवाई की गई।

सख्ती के निर्देश

न्यायाधीश राजवी ने बताया कि बाल वाहिनियों पर ‘स्कूलबस’ अंकित होना, पीला रंग, आपातकालीन निकास, प्राथमिक उपचार किट, अग्निशमन यंत्र और जीपीएस सिस्टम का होना अनिवार्य है। इसके अलावा चालकों का न्यूनतम पांच वर्ष का ड्राइविंग अनुभव, नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और सड़क सुरक्षा प्रशिक्षण आवश्यक है। निरीक्षण के दौरान जिला परिवहन अधिकारी भारती नैथानी, यातायात पुलिस एएसआई रामकेश मीणा और क्षेत्रीय परिवहन निरीक्षक सुरेन्द्र बेनीवाल सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।