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10 फरवरी को अनोखा आयोजन, सैकड़ों जोड़े बंधेंगे परिणय सूत्र में

पुष्करणा ब्राह्मण समाज का सामूहिक विवाह 10 फरवरी 2026 को होगा। इस दिन सैकड़ों जोड़े परिणय सूत्र में बंधेंगे। पुष्करणा सावा परंपरा अनुसार सावे की ति​थि का निर्धारण दशहरा के दिन समाज के पंडितों, ज्योतिषाचार्यों, पंचांगकर्ताओं और विद्वानों के बीच चार घंटे चली शास्त्रोक्त चर्चा के बाद सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त का निर्धारण किया गया। इस बार सावा भगवान ​शिव पार्वती के नाम चन्द्रशेखर-उमा के नाम पर निकला। सावा परंपरा अनुसार सावे का मुहूर्त वर-वधू के नाम पर न निकालकर ​शिव-पार्वती के नाम पर ही निकाला जाता है। धनतेरस के दिन सावे के मांगलिक कार्यक्रमों का टाईम टेबल शास्त्रोक्त चर्चा के बाद जारी किया जाएगा।

बीकानेर. पुष्करणा ब्राह्मण समाज का सामूहिक विवाह (सावा) मितव्ययिता और सामाजिक एकता के लिए प्रसिद्ध है। पहले चार साल और अब दो साल में आयोजित होने वाला यह अनोखा आयोजन अब 10 फरवरी 2026 को होगा। इस दिन प्रदेश और देशभर से पुष्करणा समाज के परिवार बीकानेर पहुंचकर अपने लड़के-लड़कियों के विवाह कराएंगे। परंपरानुसार दशहरा के दिन सावा की तिथि तय होते ही सगाइयों, भवन और टेंट बुकिंग का क्रम शुरू हो चुका है। आयोजन वाले दिन पूरा परकोटा विवाह समारोह की छत बनेगा और शहरवासी बाराती।

शिव-पार्वती के नाम पर ही होता है सामूहिक मुहूर्त:

ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक ओझा के अनुसार सामान्य शादियों में मुहूर्त वर-वधू के नाम पर निकाला जाता है। लेकिन सावे में सैकड़ों विवाह एक साथ होते हैं, इसलिए विवाह का मुहूर्त भगवान शिव-पार्वती के नाम पर ही निर्धारित होता है।

चट मंगनी, पट ब्याह

सावे की खासियत यह है कि कई परिवार बीकानेर पहुंचकर विवाह के ऐन वक्त सगाई करते हैं और उसी दिन विवाह संपन्न कराते हैं।

इतिहास: 65 साल में 22 बार हुआ सावा

इतिहासकार बृजेश्वरलाल व्यास के अनुसार बीकानेर में 65 वर्षों में 22 बार पुष्करणा सावा हुआ है। सबसे अधिक आयोजन फरवरी में हुए हैं। 10 फरवरी को तीसरी बार सावा होगा। इससे पहले 1969 और 2017 में इसी तिथि पर आयोजन हुआ था।

शास्त्रोक्त चर्चा से तय हुआ शुभ मुहूर्त

शताब्दियों पुरानी परंपरा के अनुसार, सावा का मुहूर्त दशहरा के दिन व्यास पार्क, जस्सोलाई स्थित गौरी शंकर महादेव मंदिर में ज्योतिषाचार्यों और पंचांगकर्ताओं की चर्चा से तय होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार इस बार विवाह का मुहूर्त भगवान चन्द्रशेखर और उमा के नाम पर निकाला गया है।

विष्णुरूपी दूल्हा, बिना घोड़ी-बैंड

पुष्करणा सावा समिति के संयोजक नारायण दास व्यास के अनुसार, इस सावा की अनूठी परंपरा यह है कि दूल्हा घोड़ी, रथ, बैंड और डीजे के बिना बारात निकालता है। सिर पर खिड़किया पाग, पीताम्बर और बनियान धारण कर, बिना जूता-चप्पल के पैदल चलने वाला दूल्हा विष्णुरूपी कहलाता है। लाल लौकार के नीचे शंख-ध्वनि, झालर और पारंपरिक गीत ‘तू मत डरपे हो लाडला’ की गूंज के बीच बाराती ससुराल पहुंचते हैं।

सावा टाईम टेबल धनतेरस पर:

समिति अध्यक्ष मक्खनलाल व्यास के अनुसार, दशहरा पर केवल तिथि तय होती है। धनतेरस के दिन हाथधान, गणेश परिक्रमा, जान, बरी और यज्ञोपवीत संस्कार जैसे मांगलिक कार्यक्रमों का शास्त्रोक्त निर्धारण कर सावा का विस्तृत कार्यक्रम (टाइम टेबल) घोषित किया जाएगा।