
पढ़ाई छोड़ शिक्षकों पर सुरक्षा गश्त का बोझ (photo source- Patrika)
CG News: छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की जिम्मेदारियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। पढ़ाई, पोषण आहार, सर्वे, बीएलओ और अन्य सरकारी कार्यों के बाद अब शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को आवारा कुत्तों की निगरानी का नया दायित्व सौंप दिया है।
20 नवंबर 2025 को लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी आदेश के बाद शिक्षकों में असंतोष की लहर है। जारी निर्देशों के अनुसार स्कूलों के प्राचार्य और प्रधान पाठक को नोडल अधिकारी बनाते हुए स्कूल परिसर और आसपास रहने वाले कुत्तों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। आदेश में कहा गया है कि स्कूलों को कुत्तों की गतिविधियों की निगरानी और सुरक्षा उपाय खुद सुनिश्चित करने होंगे।
अभिभावक मानते हैं कि सुबह-शाम बच्चे आवारा कुत्तों के बीच से गुजरते हैं, इसलिए सुरक्षा जरूरी है। लेकिन वे सवाल भी उठाते हैं कि जब डॉग कैचर टीमें मौजूद हैं, तो पूरा दायित्व शिक्षकों पर डालना उचित है या नहीं।
परिसर व आसपास आवारा कुत्तों की मॉनिटरिंग
कुत्ता दिखने पर तुरंत स्थानीय निकाय की डॉग कैचर टीम को सूचना
स्कूल परिसर में कुत्तों का प्रवेश रोकने के उपाय
हर गतिविधि की रिपोर्ट पोर्टल/नोडल टीम को भेजना
कुत्ता काटने पर बच्चे को तुरंत स्वास्थ्य केंद्र भेजना
CG News: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बढ़ रहे आवारा कुत्तों और हमलों को लेकर राज्यों को निर्देशित किया था। इसके बाद स्वास्थ्य, पंचायत, नगरीय प्रशासन और स्कूल शिक्षा सहित कई विभागों को जिमेदारी बांटी गई। इसका असर अब स्कूलों पर भी दिख रहा है।
भोजन के अवशेष परिसर से दूर निपटाना
गंदगी या ऐसे स्थान न बनने देना जहाँ कुत्ते बैठ सकें
बच्चों को कुत्तों से बचाव और जोखिमों की जानकारी देना
महेश यालम, जिला अध्यक्ष समग्र शिक्षा फेडरेशन: यदि बीजापुर में यह आदेश सती से लागू होता है तो संगठन इसका विरोध करेगा। शिक्षकों से कुत्तों की निगरानी करवाना बिल्कुल अनुचित है। शिक्षक पढ़ाई करें या कुत्ता ड्यूटी?
एल. एल. धनेलिया, जिला शिक्षा अधिकारी: राज्य शासन के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है। बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। उद्देश्य सिर्फ इतना है कि बच्चे आवारा या पागल कुत्तों से सुरक्षित रहें।
Updated on:
23 Nov 2025 02:11 pm
Published on:
23 Nov 2025 02:10 pm
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