
MP News: भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल बीत चुके हैं, लेकिन शरीर में जहर अब भी पल रहा है। गैस प्रभावित इलाकों में कैंसर मरीजों की संख्या हर साल बढ़ रही है। इलाज की धीमी रफ्तार, डॉक्टरों की कमी से लोगों की उम्मीदें टूट रही हैं। एम्स और गैस राहत अस्पतालों के अनुसार प्रभावित इलाकों में फेफड़ों, गर्भाशय और ब्लड कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। गैस के संपर्क में आए लोगों की इम्यूनिटी कमजोर हो गई है। हालांकि अभी तक प्रमाणित नहीं हुआ है कि गैस पीड़ितों और उनके वंशजों में गैस के प्रभाव के कारण कैंसर हो रहा है।
गैस प्रभावित हर घर की जांच जरूरी है, वरना बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती जाएगी। गैस प्रभावित इलाकों में जन-जागरूकता और स्क्रीनिंग कैंप बढ़ाने होंगे। कैंसर की रोकथाम सिर्फ दवा से नहीं, बल्कि समय पर जांच और जीवनशैली सुधार से संभव है।- डॉ. अंकित जैन, असिस्टेंट प्रोफेसर , ऑन्कोलॉजिस्ट, एम्स भोपाल
गैस राहत विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक 4,000 से अधिक पीड़ित कैंसर मरीज दर्ज हैं। हर महीने गैस प्रभावित कॉलोनियों से औसतन 70 से 80 नए मरीज सामने आते हैं। जयप्रकाश नगर, काजी कैंप और आरिफ नगर जैसे इलाकों में कैंसर का खतरा सामान्य आबादी से तीन गुना ज्यादा है।
Updated on:
05 Nov 2025 03:28 pm
Published on:
05 Nov 2025 03:13 pm

