
MP News :मध्य प्रदेश में तेजी से शहरीकरण बढ़ रहा है। लेकिन, कई बड़े शहरों के नए मास्टर प्लान नहीं आ पाने के चलते आवासीय भू-उपयोग की जमीन का टोटा हो गया है। इससे मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड को भी शहरों के बीच में जमीन नहीं मिल पा रही है। इससे अब बोर्ड पुरानी जर्जर इमारतों को तोड़कर उनके स्थान पर नए बहुमंजिला भवन बनाने वाली रीडेंसिफिकेशन स्कीम पर फोकस कर रहा है।
इसके लिए प्रदेश के भोपाल, इंदौर के साथ 33 जिलों के 45 स्थानों पर रीडेंसिफिकेशन स्कीम के तहत प्रोजेक्ट शुरू करने पर काम चल रहा है। यहां पर हाईराइज भवन और कमर्शियल स्पेस विकसित किए जाएंगे। यह काम पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर होगा। कैबिनेट ने हाल ही में रीडेंसिफिकेशन योजना के नियमों में संशोधन कर दिया है, इससे शासन को भी विकास कार्यों के लिए ज्यादा राशि मिलेगी।
सूत्रों के अनुसार, अभी तक रीडेंसिफिकेशन के 35 प्रस्तावों को साधिकार समिति मंजूरी दे चुकी है। इन प्रस्तावों पर काम शुरू करने के लिए निवेशकों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। यहां जर्जर भवन तोड़कर नए तरीके से विकास कार्य किए जाएंगे। निवेशकों को इसके बदले में भूखंड दिए जाएंगे। हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त डॉ. राहुल हरिदास फटिंग के अनुसार, कई जिलों में रीडेंसिफिकेशन प्रोजेक्ट के संबंध में कार्ययोजनाएं बनाई हैं और कुछ बनाई जा रही हैं। मंजूरी मिलते ही इन पर काम शुरू किया जाएगा। इससे शहर के बीच में जर्जर भवनों को तोड़कर नए सिरे से विकास किया जाएगा।
-भोपाल की प्रोफेसर कॉलोनी में 380 करोड़ का प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। एनजीटी में केस के बाद अनुमतियां लेने की प्रक्रिया चल रही है।
-इंदौर में ओल्ड पलासिया, होल्कर कॉलेज, आइटीआइ कॉलेज की जमीन पर 150 करोड़ के प्रोजेक्ट।
-रतलाम में जिला जेल की जमीन पर 170 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट आ रहा है।
-सागर जिले में सेंट्रल जेल की जमीन पर 260 करोड़ के प्रोजेक्ट का प्रस्ताव है।
-खरगोन में लोक निर्माण विभाग की जमीन पर 315 करोड़ का प्रोजेक्ट प्रस्तावित।
-रीवा जिले में सेंट्रल जेल की जमीन पर 300 करोड का प्रस्ताव है।
-दमोह में जिला जेल की जमीन पर 62 करोड़ का प्रोजेक्ट प्रस्तावित।
-कटनी में पीडब्ल्यूडी की जमीन पर 33 करोड़ का प्रोजेक्ट
-सतना में पुराना पॉलीटेक्निक परिसर में 88 करोड़ का प्रोजेक्ट
-रायसेन में जिला अस्पताल के सामने की जमीन पर विकास कार्य।
राजधानी में अरेरा हिल्स पर सतपुड़ा, विंध्याचल भवनों को तोड़कर सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर पुनर्निर्माण संबंधी प्रोजेक्ट को रीडेंसिफिकेशन के तहत नहीं किया जाएगा। साधिकार समिति ने स्पष्ट निर्देश दिए कि इस प्रोजेक्ट का निर्माण शासन के बजट से ही किया जाएगा। बोर्ड इसकी डीपीआर बनवा रहा है। उसके बाद बजट तय होगा। यहां पर वल्लभ भवन की वास्तुकला के अनुसार 12 टॉवर प्रस्तावित किए गए हैं।
कैबिनेट ने हाल ही में रीडेंसिफिकेशन योजना 2022 में संशोधन करने की मंजूरी दी है। इसके अनुसार अब 100 फीसदी क्षेत्र और कलेक्टर गाइडलाइन रेट पर निवेशक को मिलने वाले प्लॉट के ऑफसेट मूल्य का निर्धारण होगा। पहले 60 प्रतिशत क्षेत्रफल और 100 फीसदी कलेक्टर गाइडलाइन रेट पर ऑफसेट मूल्य का निर्धारण होता था। इससे विकास कार्यों के लिए अधिक राशि मिल सकेगी।
Published on:
11 Nov 2025 07:24 am

