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सरकारी प्रोजेक्ट: जमीन की कीमत बढ़ी तो…भू-मालिक को मिलेगा 20% हिस्सा

MP News: निजी संपत्ति के मूल्य में वृद्धि का एक हिस्सा सरकार द्वारा राजस्व के रूप में वसूलने पर केंद्रित है।

फोटो सोर्स: पत्रिका
फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: सरकारी प्रोजेक्ट्स से जमीन की कीमतें बढ़ने पर संबंधित विभागों को जमीन की बिक्री से होने वाले राजस्व का 20 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा। कोलार सिक्सलेन रोड से मेट्रो की ओरेंज लाइन, नई प्रमुख सडकें, बीडीए व हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनियां और बड़े संस्थानों से जुड़ी निजी जमीनों की बढ़ी कीमतों में अब स्थानीय निकाय व संस्थाएं हिस्सेदारी भी हिस्सेदार होंगी ये सालाना करीब 1000 करोड़ रुपए होगी।

लाभ की होगा हिस्सेदारी

ये हिस्सेदारी 20 से 30 फीसदी तक हो सकती है। निगम की संपत्तिकर वसूली से लगभग दोगुना है। जिले में 20 बड़े प्रोजेक्ट्स के आसपास निजी जमीनों में लाभ की हिस्सेदारी की जाएगी। दरअसल भोपाल में एलवीसी यानी लैंड वैल्यू कैप्चरिंग का प्रावधान तय किया जा रहा है। भोपाल मास्टर प्लान व मेट्रोपॉलिटन रीजन के प्लान में इसे तय किया जा रहा है। अभी अहमदाबाद, सिंगापुर समेत अन्य शहरों में ये लागू है।

मेट्रो समेत इसी तरह के बड़े प्रोजेक्ट के लिए आय के नए स्रोतों में एलवीसी एक है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए सस्टेनेबल आय स्रोत भी जरूरी है। - श्रीकांत बनोठ, आयुक्त सह संचालक, टीएंडसीपी

स्थानीय एजेंसियों के राजस्व का नया स्रोत

लैंड वैल्यू कैप्चरिंग का नियम सार्वजनिक निवेश जैसे मेट्रो, एक्सप्रेस-वे या नई टाउनशिप से होने वाले निजी संपत्ति के मूल्य में वृद्धि का एक हिस्सा सरकार द्वारा राजस्व के रूप में वसूलने पर केंद्रित है। मेट्रो, रिंग रोड या इसी तरह के बड़े बुनियादी ढांचे के विकास के आसपास की निजी भूमि के मूल्य में हुई वृद्धि का एक निश्चित प्रतिशत राजस्व के रूप में लिया जाता है। जापान, सिंगापुर, गुजरात और महाराष्ट्र में ये सफलतापूर्वक लागू है।

एक निश्चित प्रतिशत वसूली

संपत्ति के व्यवसायिक उपयोग की स्थिति में लाभ का एक निश्चित प्रतिशत वसूला जा सकता है, जबकि एक अन्य तरीका नगर निगम के संपत्तिकर की तरह सालाना टैक्स की तरह वसूली का है। इस तरह के क्षेत्रों में लाभ वाली संपत्तियों से स्व मूल्यांकन आधारित टैक्स प्रणाली तय कर दी जाए।

ऐसे समझें लाभ की स्थिति

-मिसरोद से बर्रई बीडीए की पांच किमी रोड व 300 मीटर की नगर विकास योजना बन रही है। कृषिभूमि अचानक व्यवसायिक दर पर आ जाएगी।

-कोलार सिक्सलेन रोड कोलार गेस्ट हाउस से गोल जोड़ तक 15 किमी में सिक्सलेन हो गई। आवासीय जमीन सबसे महंगी संपत्ति में बदल गई।

-एम्स से सुभाष ब्रिज तक 6.22 किमी के आसपास 100 मीटर तक 50 से अधिक आवासीय कॉलोनियां हैं जिनकी लैंड वैल्यू कई गुना बढ़ गई।

-टीटीनगर के सरकारी आवास के आसपास का पूरा आवासीय क्षेत्र स्मार्ट सिटी एबीडी प्रोजेक्ट से शहर का कीमती क्षेत्र बन गया। लैंड वैल्यू बढ़ गई।

-शहर में 20 से अधिक सरकारी प्रोजेक्ट हैं जिन की निजी वजह से आसपास के क्षेत्र की कीमत बढ़ गई है।

विरोध की आशंका

-डीआइजी बंगला निवासी फराज खान ने कहा कि सरकार प्रोजेक्ट पूछकर नहीं बनाती। इसके बाद भी बढ़ी लैंड वैल्यू की हिस्सेदारी लेना ठीक नहीं है।

-मिसरोद निवासी अजय पाटीदार ने कहा कि आप जमीन लेते हैं तो बढ़ी कीमत की पूरी हिस्सेदारी भू स्वामी को दी जाना चाहिए।