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चुनाई पत्थर में माफिया राज: नौ लीज की आड़ में डेढ़ सौ हैक्टेयर में अवैध खनन, 23 दिन में 70 लाख का नुकसान

- भीलवाड़ा तहसील में चल रही कारगुजारी, खनिज विभाग की मिलीभगत

Mafia rule in Chunai Pathar: Illegal mining in 150 hectares under the guise of nine leases, loss of 70 lakhs in 23 days
Mafia rule in Chunai Pathar: Illegal mining in 150 hectares under the guise of nine leases, loss of 70 lakhs in 23 days

खनिज विभाग चुनाई पत्थर के अवैध खनन पर लगाम लगाने में नाकाम रहा है। विभाग की मिलीभगत के कारण भीलवाड़ा तहसील में जहां सिर्फ 9 लीज़ कुल 9 हैक्टेयर में स्वीकृत हैं, वहीं वास्तविकता यह है कि चुनाई पत्थर का खनन 150 हैक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल में हो रहा। प्रतिदिन 300 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉली व 300 डंपर पत्थर से भरे निकल रहे हैं। इनकी रॉयल्टी पर्ची तक नहीं काटी जाती। नतीजतन, विभाग और सरकार को हर दिन लाखों रुपए का नुकसान हो रहा। राजस्थान पत्रिका ने पड़ताल की तो मामला चौकाने वाला था।

तड़के चार बजे से अवैध खेल

खनन माफिया का नेटवर्क इतना मजबूत है कि वे तड़के 4 बजे ही मशीनें और ट्रैक्टर-ट्रॉली व डंपर लगा देते हैं। सुबह 9 बजे तक चुनाई पत्थर के भरे वाहन गांवों से बाहर निकल जाते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि खनिज विभाग व पुलिस की मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी मात्रा में पत्थर निकलना संभव नहीं है। हालांकि खनिज विभाग ने रॉयल्टी कलेक्शन का नाका निरस्त होने के बाद अपने बोर्डर होमगार्ड तैनात कर रखे हैं। लेकिन उनके सामने से वाहन निकल रहे हैं।

दरीबा-पांसल की डांग और समोड़ी बने केंद्र

भीलवाड़ा तहसील के दरीबा, पांसल की डांग, पुर और समोड़ी गांव अवैध खनन के गढ़ है। इन इलाकों में रोजाना ट्रैक्टर-ट्रॉली व डंपर की कतारें देखी जा सकती हैं। पत्थर सीधे निर्माण कार्यों और गिट्टी क्रेशर प्लांट तक पहुंचते हैं। खनिज विभाग को मात्र 23 दिनों में 70 लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

विभाग की तैनाती, कार्रवाई शून्य

विभाग ने सीमावर्ती इलाकों पर होमगार्ड और चौकियां लगा रखी हैं, लेकिन यह केवल औपचारिकता तक सीमित हैं। विभागीय गश्त का कोई असर नहीं पड़ता। माफिया समय और रूट बदलकर वाहन निकालते हैं। विभाग का सबसे बड़ा बहाना यही है कि ट्रैक्टर-ट्रॉली परिवहन विभाग में पंजीकृत नहीं हैं। जब पंजीकरण नहीं है तो रॉयल्टी पर्ची कटने का सवाल नहीं उठता। नतीजतन, हर दिन बड़ी संख्या में ट्रॉली पत्थर सरकारी रिकॉर्ड से बाहर निकल रहा है। जिला प्रशासन और खनिज विभाग मामले पर मौन हैं। पूरा नेटवर्क आंखों के सामने चलने के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही। अवैध खनन न केवल राजस्व का नुकसान कर रहा बल्कि पर्यावरणीय असंतुलन भी बढ़ रहा है।

राजस्व चोरी का हिसाब

  • स्वीकृत लीज़ : 9 (कुल 9 हैक्टेयर)
  • वास्तविक खनन : 250 हैक्टेयर से अधिक
  • रोजाना ट्रॉली व डंपर : 600 से ज्यादा
  • 23 दिन का नुकसान : 70 लाख रुपए
  • वार्षिक अनुमानित नुकसान : 10-12 करोड़ रुपए