
भीलवाड़ा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा उपलब्ध कराने की व्यवस्था गंभीर संकट से जूझ रही है। एक ओर जहां 21वीं सदी में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्रांति का दौर है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के हजारों माध्यमिक विद्यालयों में या तो कंप्यूटर लैब नहीं है, और जहां है भी, वहां उन्हें पढ़ाने के लिए कंप्यूटर अनुदेशक उपलब्ध नहीं हैं।
आंकड़ों की हकीकत
सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 20 हजार से अधिक माध्यमिक विद्यालय हैं। इनमें से 13 हजार 976 स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित हो चुकी हैं, लेकिन इन लैबों के संचालन के लिए प्रदेश में केवल 6 हजार कंप्यूटर अनुदेशक ही उपलब्ध हैं। 7 हजार 976 स्कूलों की कंप्यूटर लैब या तो साइंस के अध्यापकों या अन्य शिक्षकों के भरोसे चल रही हैं। कई जगहों पर कंप्यूटर लैब पर ताले लटके हुए हैं। देखभाल के अभाव में कई स्कूलों में कंप्यूटर खराब होकर कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं।
प्रिंसिपल और अध्यापकों का प्रयास विफल
सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल और अध्यापक नामांकन बढ़ाने और सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। शहर, कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रिंसिपल और अध्यापक भामाशाहों से मिन्नतें कर कंप्यूटर लैब बनवा रहे हैं। कई जगह तो अध्यापक अपने वेतन से पैसे देकर एक-एक कंप्यूटर भेंट कर लैब तैयार कर रहे हैं, लेकिन कंप्यूटर अनुदेशकों की कमी के कारण ये लैब कबाड़ में बदल रहे है। विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा नहीं मिल पा रही है। कंप्यूटर अनुदेशक की कमी का एक बड़ा कारण कंप्यूटर अनुदेशक भर्ती- 2021 से जुड़ा है। पूर्ववर्ती सरकार के समय 10 हजार 157 पदों के लिए लिखित परीक्षा हुई थी। इसमे से करीब 3 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। 40 प्रतिशत न्यूनतम अर्हता और कठिन पेपर स्तर के कारण केवल 6 हजार पद ही भर पाए थे। इस भर्ती में 4 हजार से अधिक पद रिक्त रह गए थे, जिन पर ध्यान नहीं दिया गया। युवाओं के आंदोलन के बाद पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने शेष पदों पर भर्ती करने की सहमति तो जताई थी, लेकिन प्रक्रिया शुरू नहीं की। प्रदेश के आईटी बेरोजगार लगातार कंप्यूटर अनुदेशक भर्ती करवाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। उनकी अनदेखी के कारण हजारों प्रशिक्षित युवा बेरोजगार हैं।
Published on:
08 Nov 2025 09:10 am

