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खान मालिकों को बड़ी राहत, अब नहीं देनी होगी मोटी राशि

- केंद्रीय मंत्रालय ने वापस लिया पुराना आदेश, माइनिंग सेक्टर में खुशी की लहर - अब नहीं भरनी होगी 10 किमी दायरे की प्रजातियों पर 5-5 लाख रुपए की राशि - पौधरोपण की राशि भी घटी, 2000 के बजाय अब 800 रुपए प्रति पौधा देने होंगे

Big relief to mine owners, now they will not have to pay huge amount
Big relief to mine owners, now they will not have to pay huge amount

केंद्र सरकार ने वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन प्लान में बड़ा परिवर्तन कर देशभर के खान और क्वारी लाइसेंस धारकों को बड़ी राहत दी है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नया आदेश जारी करते हुए हाल ही जारी व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। पुराने आदेश में खनन क्षेत्र के 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाली प्रत्येक वन्यजीव प्रजाति के संरक्षण के लिए 5 लाख रुपए जमा कराने थे। पहले जारी आदेश के अनुसार खान या क्वारी लीज धारक को वन्यजीव संरक्षण योजना के तहत अपने क्षेत्र के आसपास पाई जाने वाली हर वन्यजीव प्रजाति पर यह राशि जमा करानी थी। इस आदेश के चलते प्रत्येक खान मालिक पर लाखों रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आ रहा था। राजस्थान पत्रिका ने 3 नवंबर के अंक में इस मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित किया था, “सीया के नए आदेश से ठप हो सकता है खनन कार्य, हजारों लोगों की रोजी पर संकट” शीर्षक खबर प्रमुखता से छापी थी। इसके बाद मंत्रालय ने आदेश पर पुनर्विचार करते हुए इसे संशोधित कर दिया है।

अब केवल प्लान प्रस्तुत करना होगा

नए निर्देशों के तहत अब खान मालिकों को वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन प्लान वन्यजीव विभाग में प्रस्तुत करना तो होगा, लेकिन 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाली प्रजातियों के नाम पर कोई राशि जमा नहीं करनी होगी।

पौधारोपण की राशि में भी संशोधन

मंत्रालय ने पौधरोपण से जुड़ी व्यवस्था में भी संशोधन किया है। पहले खान क्षेत्र के 33 प्रतिशत हिस्से में पौधरोपण अनिवार्य था और प्रति पौधा 2000 रुपए बैंक गारंटी के रूप में जमा कराने थे। अब संशोधित आदेश के तहत खान मालिक स्वयं के स्तर पर या वन विभाग के माध्यम से पौधारोपण कर सकते हैं। यदि वे वन विभाग से पौधे लगवाते हैं, तो प्रति पौधा केवल 800 रुपए की राशि देनी होगी।

भीलवाड़ा जिले के खान मालिकों को बड़ी राहत

भीलवाड़ा जिले में गिद्ध, पैंथर, चिंकारा, नीलगाय, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, सेही, नेवला, खरगोश, जंगली सूअर, भालू और जरख जैसी 13 वन्यजीव प्रजातियां पाई जाती हैं। पुराने आदेश के अनुसार, प्रत्येक खान मालिक को इन प्रजातियों पर 5-5 लाख रुपए जमा कराने थे। यानी एक खान पर लगभग 65 लाख रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था। अब इस आदेश को वापस लेने से जिले के सैकड़ों खान मालिकों को बड़ी आर्थिक राहत मिली है।

माइनिंग उद्योग को मिली राहत

ऊपरमाल पत्थर खान व्यवसायी संघ के मंत्री रामप्रसाद विजयवर्गीय ने कहा कि पुराने आदेश से खनन गतिविधियां ठप होने की कगार पर पहुंच गई थीं, लेकिन अब संशोधित आदेश से न केवल उद्योग को राहत मिली है, बल्कि रोजगार पर भी संकट टल गया है। मानवेन्द्र कुमावत का कहना है कि केंद्रीय मंत्रालय के इस कदम से राजस्थान सहित देशभर के खनन क्षेत्रों में राहत की सांस ली जा रही है।