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देवउठनी एकादशी से गूंजे बैंड-बाजे, फिर शुरू हुए मांगलिक कार्य

- चातुर्मास का समापन, शहर में शादी समारोहों की धूम - होटल व मैरिज गार्डन रहे शादियों से खचाखच

Bands and music resonate from Devuthani Ekadashi
Bands and music resonate from Devuthani Ekadashi

देवउठनी एकादशी के साथ ही शनिवार से प्रदेशभर में शुभ कार्यों की शुरुआत हो गई। इस वर्ष खास बात यह रही कि एकादशी दो दिन शनिवार और रविवार तक रहेगी। इसके चलते दोनों दिन शहरों और कस्बों में बैंड, बाजा और बारातों की रौनक छाई रहेगी। विवाह स्थल सज-धजकर तैयार हैँ और शाम ढलते ही पारंपरिक लोक गीतों की मधुर ध्वनि के बीच घर-घर में भगवान विष्णु को जगाया गया। रविवार को भी महिलाएं एकादशी की व्रत रखेगी।

पंडित अशोक व्यास ने बताया कि देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं, जिससे चातुर्मास का समापन हो जाता है। चार महीनों तक बंद रहे विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण और अन्य शुभ कार्य अब पुनः प्रारंभ हो गए हैं।

तुलसी विवाह के आयोजन

देवउठनी एकादशी पर तुलसी माता और भगवान शालिग्राम का विवाह करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने घरों और मंदिरों में तुलसी विवाह के आयोजन किए। तुलसी को बेटी मानकर विधि-विधान से शालिग्राम भगवान से विवाह करवाया गया। मान्यता है कि इससे कन्यादान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

आज भी गूंजेगी शहनाइयां

शनिवार को ही अधिकांश शहरों में शादी समारोहों का दौर शुरू हो गया। होटल, विवाह स्थल और मैरिज गार्डन सजधजकर तैयार थे। रविवार को भी एकादशी होने के कारण विवाह और अन्य मांगलिक कार्य जारी रहेंगे। दोनों दिन प्रदेशभर में हजारों विवाह संपन्न होंगे।

बाजारों में लौटी रौनक

विवाह सीजन के आगाज के साथ ही बाजारों में जबरदस्त चहल-पहल नजर आई। टेंट, डेकोरेशन, फोटोग्राफी, कैटरिंग, बैंड-बाजा, डीजे, फ्लावर डेकोर, होटल, ज्वैलर्स, ब्यूटी पार्लर, मिठाई व गिफ्ट आइटम की दुकानों पर भीड़ उमड़ी रही। व्यवसायियों का कहना है कि विवाह सीजन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार देता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। वही जिनकी शादियों दिसंबर व जनवरी माह मे है वे दुल्हे व दुल्हन बाजार में शेरवानी व दुल्हन का बेस खरीदने में लगे थे। इसके चलते शेरवानी बनाने वाले कारीगरों को फुर्सत तक नहीं मिल रही है।

नवंबर-दिसंबर में रहेंगे शुभ मुहूर्त

व्यास के अनुसार, नवंबर माह में कुल 14 शुभ विवाह मुहूर्त रहेंगे। इनमें 2, 3, 6, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 नवंबर को विवाह होंगे। दिसंबर में 4, 5 और 6 दिसंबर को विवाह के योग हैं। इसके बाद खरमास और शुक्र अस्त के कारण डेढ़ महीने तक मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा। जनवरी में 22, 23, 25 व 28 और फरवरी में 4, 5, 6, 7, 10, 11, 12, 13, 19, 20, 21, 24, 25, 26 को विवाह मुहूर्त रहेंगे।