डीग। 'जो वस्तु भगवान की विस्मृति करा देती है वह व्यसन है। व्यसन करने वाला कभी ध्यान धारणा नहीं कर सकता। तंबाकू खाने वाले को गो मांस खाने के बराबर पाप लगता है, क्योंकि इसकी उत्पत्ति कामधेनु के रक्त बिंदुओ से हुई है। भारत की संस्कृति में कभी इसका प्रचलन नहीं था, लेकिन विधर्मियों ने यहां आकर देश में तंबाकू की खेती की। इसका प्रचलन शुरू किया और खाने-पीने की परंपरा चलाई। व्यसन मनुष्य जीवन की बर्बादी का बड़ा कारण है। नशा करके ध्यान करने या माला फेरने का कोई मतलब नहीं।' यह कहना है कि रैवासा धाम के श्रीअग्रपीठाधीश्वर एवं वृंदावनधाम के मलूकपीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्र दास जी महाराज का।
राजस्थान में डीग के श्रीजड़खोर गोधाम में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा का वाचन करते हुए राजेन्द्र दास जी महाराज ने कहा कि 'व्यसन जीवन बर्बादी का बड़ा कारण है। कबीरदास जी की पक्तियां दोहराते हुए राजेन्द्र दास जी महाराज ने कहा कि अमली होकर करे ध्यान, गिरही होकर कथे ज्ञान, साधु होकर कुटे भग, कहे कबीर ये तीनों ठग। महाराज ने कहा कि कहीं तो कोई पारिवारिक व्यक्ति आध्यात्मिक ज्ञान दे रहा है, तो कोई नशा करके ध्यान कर रहा है और तो और कोई साधु होकर स्त्री से संभोग कर रहा है। ये तीनों ठग हैं इन तीनों को ठग जानना चाहिए। ऐसे लोग कभी भगवान का ध्यान और स्मरण नहीं कर सकते।'
बता दें कि डीग के श्रीजड़खोर गोधाम में नवरात्र के अवसर पर आयोजित इस गो-आराधन महोत्सव का मंगलवार को दूसरा दिन रहा। जहां श्रीरैवासा धाम श्रीअग्रपीठाधीश्वर एवं वृंदावन धाम श्रीमलूकपीठाधीश्वर श्री राजेंद्र दास जी महाराज ने कथा वाचन किया।
इस पूरे आयोजन में देश के कई संत-महंत शामिल हो रहे हैं। कथा के दौरान सनातन संस्कृति, गो महिमा से जुड़े प्रसंग भी सुनाए गए। मंगलवार को आयोजित हुई भजन संध्या कार्यक्रम में श्री प्रकाशदास जी महाराज एक से बढकर एक भजन प्रस्तुत किए। बुधवार को राजेन्द्र दास जी महाराज की कथा का तीसरा दिन है, वहीं सायंकालीन भजन संध्या में श्रीमानसदास जी महाराज भजन प्रस्तुत करेंगे।
Published on:
23 Sept 2025 07:29 pm