
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई को शुक्रवार को सेरमोनियल बेंच में विदाई दी गई। वे रविवार को सेवानिवृत होंगे। इस मौके पर उन्होंने अपनी चार दशक लंबी विधिक यात्रा को पूर्ण और आत्मिक संतोष के साथ समाप्त होने वाला बताते हुए कहा, मैंने जज के पद को कभी ताकत की कुर्सी नहीं, देश की सेवा करने का जरिया समझा। मैं अदालत से इस भावना के साथ जा रहा हूं कि देश के लिए जो संभव था, वह पूरी ईमानदारी से किया। सेरेमोनियल बेंच में उनके साथ अगले सीजेआइ न्यायाधीश सूर्य कांत और न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन बैठे।
वरिष्ठ वकीलों, विधिक अधिकारियों से खचाखच भरे कोर्ट नंबर एक में जस्टिस गवई ने कहा कि वह हमेशा समानता, न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व जैसे संविधान के मूल सिद्धांतों से प्रेरित रहे। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर और पिता (जो आंबेडकर के करीबी सहयोगी थे) से मेरा न्यायिक दर्शन प्रभावित रहा। मैंने हमेशा मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि एक जज को कपड़ा बदलने की बजाय कपड़े की सलवटों को दूर करना चाहिए। फैसले आम नागरिकों को सरल भाषा में समझ आने चाहिए।वहीं जस्टिस सूर्यकांत ने उन्हें भाई और मार्गदर्शक बताया और कहा कि उन्होंने मामलों को धैर्य, गरिमा और हास्य-विनोद के साथ संभाला।
डोंट थ्रो...फूल बरसाने से रोका
सेरेमोनियल बेंच में एक वकील विदाई भाषण के समय फूलों की पंखुडिय़ों की डलिया ले कर आए। उन्होंने फूल बरसाने के लिए जैसे ही डलिया खोली तो जस्टिस गवई के तुरंत मुस्कुराते हुए कहा, नो..नो..डोंट थ्रो...हैंड इट ओवर टू समवन...। यह सुनते ही कोर्ट रूम में मौजूद जजों, सीनियर वकीलों और युवा अधिवक्ताओं के बीच हंसी की लहर दौड़ गई।
Published on:
21 Nov 2025 11:26 pm

